रायपुर: शनिदेव महाराज को न्याय का देवता माना गया है. जिस व्यक्ति से शनिदेव रूठ जाते हैं, उन्हें कई सारी परेशानियां आती है. जबकि जिस से शनिदेव खुश रहते हैं. उस पर अपनी कृपा खूब बरसाते हैं. शनिवार का दिन शनिदेव के कुछ खास उपाय करके शनिदेव को खुश किया जा सकता है. शनिदेव प्रसन्न हो तो जीवन के हर दुख का अंत किया जा सकता है. तो आइए जानते हैं कि शनिवार के दिन आपको कैसे करनी है शनि महाराज की पूजा और किन मंत्रों के जाप से आपके जीवन के सभी कष्ट होंगे दूर इसे जानिए.
पीपल के पेड़ की पूजा करें: पीपल के पेड़ में सभी देवी-देवताओं का वास होता है. जो भी व्यक्ति शनिवार के दिन सूर्योदय के बाद पीपल की पूजा करने, जल अर्पित करने और तेल का दीया जलाने से शनि देव की कृपा हमेशा बनी रहती है. पीपल के पेड़ की पूजा से शनिदेव जल्द खुश होते हैं.
शनि मंत्रों का जाप: शनिवार के दिन शनिदेव की कृपा पाने और कुंडली से साढ़ेसाती का असर कम करने लिए शनिदेव के मंत्रों और हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए. साथ ही संभव हो तो शनि मंदिर जाकर शनि चालीसा की आरती भी करनी चाहिए.
हनुमान जी उपासना करें: मंगलवार के अलावा शनिवार के दिन भी हनुमान जी की पूजा करनी चाहिए. हनुमान जी पूजा करने से शनिदेव की भी कृपा प्राप्त होती है. ऐसे में शनिदेव की कृपा पाने और कुंडली से शनि दोष को खत्म करने के लिए हनुमान जी पूजा अवश्य करनी चाहिए. शनिवार के दिन विशेष रूप से हनुमान चालीसा या फिर सुंदरकांड का पाठ करें.
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शनिवार के दिन करें ये कुछ खास उपाय: शनिवार के दिन तेल से बनी चीजें भिखारी को खिलाने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं. शनिवार की शाम को अपने घर में धूप अवश्य जलाएं. इस दिन भिखारियों को काले उड़द की दाल का दान करें. साथ ही काले उड़द को जल में प्रवाहित करें. शनिवार के दिन सुंदरकांड का पाठ करना काफी ज्यादा फलदायी होता है. शनिवार के दिन चींटियों को गोरज मुहूर्त में तिल चौली डालें. शनिवार के दिन उड़द, तिल, गुड़ का लड्डू बना लें और उस जगह पर गाड़ दें जहां पर हल ना चले. शनिवार के दिन काले कुत्ते, काली गाय को रोटी और काली चिड़िया को दाना डालने से जीवन में चल रही परेशानियों से छुटकारा मिलता है.
शनि देव का तांत्रिक मंत्र: ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनये नमः
शनि देव के वैदिक मंत्र: ऊँ शन्नो देवीरभिष्टडआपो भवन्तुपीतये
शनि देव का एकाक्षरी मंत्र: ऊँ शं शनैश्चाराय नमः
शनि देव का गायत्री मंत्र: ऊँ भगभवाय विद्महैं मृत्युरुपाय धीमहि तन्नो शनिः प्रचोद्यात्
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