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बस्तर पहुंची फोन टैपिंग की आंच, दहशत में लोग, सरकार के खिलाफ लड़ेंगे 'जंग' - दहशत में लोग

एक इजराइली साफ्टवेयर ने छत्तीसगढ़ के कई लोगों की फोन टैपिंग कर प्रदेश में दहशत का माहौल बना दिया है, जिसमें देश-विदेश के साथ ही भारत के पत्रकारों और कई सामाजिक कार्यकर्ताओं के नाम शामिल हैं, इसमें से छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग से भी खई लोग शामिल हैं.

बस्तर पहुंची फोन टैपिंग की लपट
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Published : Nov 2, 2019, 11:21 PM IST

Updated : Nov 3, 2019, 12:03 AM IST

रायपुर: सोशल नेटवर्किंग की सबसे बड़ी सोशल साइट वाट्सअप ने खुलासा किया है कि भारत में सामाजिक और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, वकीलों, पत्रकारों के फोन टैप कराए जा रहे हैं. ऐसा इजराइली साफ्टवेयर के जरिए वाट्सअप का इस्तेमाल करके किया जा रहा है. इसमें देश-विदेश के साथ ही भारत के पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के भी नाम हैं. जिनमें नक्सल प्रभावित बस्तर इलाको में काम कर रहे सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार भी शामिल हैं.

बस्तर पहुंची फोन टैपिंग की आंच

दरअसल, अब तक जिन सामाजिक कार्यकर्ताओं के फोन टैप होने की जानकारी सामने आई है उनमें से ज्यादातर का लिंक बस्तर से है. सामाजिक कार्यकर्ता बेला भाटिया, लीगल एंड ग्रुप की शालिनी गेरा और पत्रकार शुभ्रांशु चौधरी के नाम सामने आया है, जिसके बाद से लोगों में इस बात की दहशत दिख रही है कि न जाने किसका फोन सरकार सुन रही हो.

केंद्र के इशारे पर फोन टैपिंग!
वैसे भी नक्सल प्रभावित बस्तर में सामाजिक कार्यकर्ता, पत्रकार और वकील पहले से ही राज्य सरकार के निशाने पर रहे हैं. अब केंद्र के इशारे पर फोन टैपिंग की जानकारी सामने आने पर बस्तर से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इसे गंभीर मसला माना है.

सामाजिक कार्यकर्ता ने बताई जानकारी
वहीं सामाजिक कार्यकर्ता बेला भाटिया ने ETV भारत से बात करते हुए कहा कि 'यह जांच नहीं है यह एक तरह की फंडामेंटल राइट्स की चोरी है. इसे जासूसी कहा सकता है. उन्होंने कहा कि इजराइल की एक कंपनी है NSO जो इस तरह का जासूसी सॉफ्टवेयर बनाती है, जिसका नाम पैगासाइस है. यह बहुत ही एडवांस सॉफ्टवेयर है, मुझे जानकारी व्हाट्सएप द्वारा मिली कि देश के लगभग 20 लोगों की लिस्ट बनाई गई है, जिसमें पत्रकार, मानवाधिकार कार्यकर्ता, मानव अधिकार वकील, प्रोफेसर शामिल हैं.'

सरकार पर लगाए गंभीर आरोप
वहीं उन्होंने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार इस तरह की षड्यंत्र रच रही है. उनके फोन में पैगासाइस जैसे सॉफ्टवेयर डालकर वीडियो कॉलिंग के माध्यम से व्हाट्सएप के सारे मैसेजेस, डिटेल और कालिंग के रिकॉर्ड और मैसेज चैट के स्क्रीनशॉट की जानकारी ली जा रही है. उन्होंने कहा कि वे इस षड्यंत्र के खिलाफ लोकतांत्रिक तरीके से लड़ेंगी.

माहौल बेहद चिंताजनक
ETV भारत से वरिष्ठ पत्रकार ललित सुरजन ने कहा है कि 'पत्रकारों पर लगातार हमले हो रहे हैं, उन्हें तरह-तरह से प्रताड़ित किया जा रहा है. अब इजरायल की कम्पनियों से जासूसी करने का काम काराया जा रहा है. अब अगर ऐसा माहौल रहेगा तो जनतंत्र कैसे कायम रहेगा.' उन्होंने कहा कि बहुत से पत्रकारों के फोन टैप हो रहे हैं. ये माहौल बेहद चिंताजनक है.

सरकार पर रमन ने लगाया आरोप
वहीं पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने फोन पर जासूसी किए जाने को लेकर कहा है कि जासूसी के मामले में शर्म की बात है. सुप्रीम कोर्ट में छत्तीसगढ़ सरकार ने स्वीकार किया है कि जासूसी करा रही है. इससे बड़ा अपराध क्या हो सकता है, सरकार को बिल्कुल फोन टैपिंग बंद कर देना चाहिए.

रायपुर: सोशल नेटवर्किंग की सबसे बड़ी सोशल साइट वाट्सअप ने खुलासा किया है कि भारत में सामाजिक और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, वकीलों, पत्रकारों के फोन टैप कराए जा रहे हैं. ऐसा इजराइली साफ्टवेयर के जरिए वाट्सअप का इस्तेमाल करके किया जा रहा है. इसमें देश-विदेश के साथ ही भारत के पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के भी नाम हैं. जिनमें नक्सल प्रभावित बस्तर इलाको में काम कर रहे सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार भी शामिल हैं.

बस्तर पहुंची फोन टैपिंग की आंच

दरअसल, अब तक जिन सामाजिक कार्यकर्ताओं के फोन टैप होने की जानकारी सामने आई है उनमें से ज्यादातर का लिंक बस्तर से है. सामाजिक कार्यकर्ता बेला भाटिया, लीगल एंड ग्रुप की शालिनी गेरा और पत्रकार शुभ्रांशु चौधरी के नाम सामने आया है, जिसके बाद से लोगों में इस बात की दहशत दिख रही है कि न जाने किसका फोन सरकार सुन रही हो.

केंद्र के इशारे पर फोन टैपिंग!
वैसे भी नक्सल प्रभावित बस्तर में सामाजिक कार्यकर्ता, पत्रकार और वकील पहले से ही राज्य सरकार के निशाने पर रहे हैं. अब केंद्र के इशारे पर फोन टैपिंग की जानकारी सामने आने पर बस्तर से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इसे गंभीर मसला माना है.

सामाजिक कार्यकर्ता ने बताई जानकारी
वहीं सामाजिक कार्यकर्ता बेला भाटिया ने ETV भारत से बात करते हुए कहा कि 'यह जांच नहीं है यह एक तरह की फंडामेंटल राइट्स की चोरी है. इसे जासूसी कहा सकता है. उन्होंने कहा कि इजराइल की एक कंपनी है NSO जो इस तरह का जासूसी सॉफ्टवेयर बनाती है, जिसका नाम पैगासाइस है. यह बहुत ही एडवांस सॉफ्टवेयर है, मुझे जानकारी व्हाट्सएप द्वारा मिली कि देश के लगभग 20 लोगों की लिस्ट बनाई गई है, जिसमें पत्रकार, मानवाधिकार कार्यकर्ता, मानव अधिकार वकील, प्रोफेसर शामिल हैं.'

सरकार पर लगाए गंभीर आरोप
वहीं उन्होंने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार इस तरह की षड्यंत्र रच रही है. उनके फोन में पैगासाइस जैसे सॉफ्टवेयर डालकर वीडियो कॉलिंग के माध्यम से व्हाट्सएप के सारे मैसेजेस, डिटेल और कालिंग के रिकॉर्ड और मैसेज चैट के स्क्रीनशॉट की जानकारी ली जा रही है. उन्होंने कहा कि वे इस षड्यंत्र के खिलाफ लोकतांत्रिक तरीके से लड़ेंगी.

माहौल बेहद चिंताजनक
ETV भारत से वरिष्ठ पत्रकार ललित सुरजन ने कहा है कि 'पत्रकारों पर लगातार हमले हो रहे हैं, उन्हें तरह-तरह से प्रताड़ित किया जा रहा है. अब इजरायल की कम्पनियों से जासूसी करने का काम काराया जा रहा है. अब अगर ऐसा माहौल रहेगा तो जनतंत्र कैसे कायम रहेगा.' उन्होंने कहा कि बहुत से पत्रकारों के फोन टैप हो रहे हैं. ये माहौल बेहद चिंताजनक है.

सरकार पर रमन ने लगाया आरोप
वहीं पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने फोन पर जासूसी किए जाने को लेकर कहा है कि जासूसी के मामले में शर्म की बात है. सुप्रीम कोर्ट में छत्तीसगढ़ सरकार ने स्वीकार किया है कि जासूसी करा रही है. इससे बड़ा अपराध क्या हो सकता है, सरकार को बिल्कुल फोन टैपिंग बंद कर देना चाहिए.

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(खबर में बेला भाटिया की बाईट जगदलपुर से अशोक नायडू और ललित सुरजन की बाईट सिद्धार्थ के मोजो से मिलेगी। डॉ रमन सिंह की बाईट लाइव यू से भेजी है)

रायपुर। सोशल नेटवर्किंग की सबसे बड़ी सोशल साइट वाट्सअप ने खुलासा किया है कि भारत में सामाजिक व मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, वकीलों, पत्रकारों के फोन टेप कराए जा रहे हैं। ऐसा इजराइली साफ्टवेयर के जरिए वाट्सअप का इस्तेमाल करके किया जा रहा है। इसमे देश विदेश के साथ ही भारत के पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के भी नाम है। जिनमे नक्सल प्रभावित बस्तर इलाको में सामाजिक काम कर रहे कार्यकर्ताओ और पत्रकारों के भी नाम है। ऐसे में इस सूचना के बाद हड़कंप मचा हुआ है।
Body:
वीओ
ओपनिंग पीटीसी

दरअसल अब तक जिन सामाजिक कार्यकर्ताओं के फोन टेप होने की जानकारी सामने आई है उनमें से ज्यादातर का लिंक बस्तर से है। सामाजिक कार्यकर्ता बेला भाटिया, लीगल एड ग्रुप की शालिनी गेरा, पत्रकार शुभ्रांशु चौधरी आदि के नाम सामने आने के बाद अब इस बात की दहशत भी दिख रही है कि न जाने किसका फोन सरकार सुन रही हो। नक्सल प्रभावित बस्तर में सामाजिक कार्यकर्ता, पत्रकार, वकील आदि पहले से राज्य सरकार के निशाने पर रहे हैं। अब केंद्र के इशारे पर फोन टेपिंग की जानकारी सामने आने पर बस्तर से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इसे गंभीर मसला तो माना है।

सामाजिक कार्यकर्ता बेला भाटिया ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि यह जांच नहीं है यह एक तरह की फंडामेंटल राइट्स की चोरी है। इसे जासूसी कहा सकता है, इजराइल की एक कंपनी है एनएसओ जो इस तरह का जासूसी सॉफ्टवेयर बनाता है। जिसका नाम है पैगासाइस है । यह बहुत ही एडवांस सॉफ्टवेयर है। मुझे जानकारी व्हाट्सएप द्वारा मिली कि देश के लगभग 20 लोगों की लिस्ट बनाई गई है जिसमें पत्रकार, मानवाधिकार कार्यकर्ता, मानव अधिकार वकील, प्रोफेसर शामिल है उनके खिलाफ सरकार ने इस तरह का षड्यंत्र रचा है। उनके फोन में पैग़ासाइस जैसे सॉफ्टवेयर डालकर वीडियो कॉलिंग के माध्यम से व्हाट्सएप के सारे मेसेजेस ,डिटेल व कालिंग के रिकॉर्ड और मैसेज चैट के स्क्रीनशॉट यह सॉफ्टवेयर संबंधित जो भी यह कर रहा है उनके तक पहुँच रहा है। जो भी फोन पर आप बातें कर रहे हो यह उनके तक पहुंचता है जो यह कर रहा है। यह बहुत बड़ी चोरी है और गलत है। उन्होंने कहा कि हम इस सरकार के षड्यंत्र के खिलाफ लोकतांत्रिक तरीके से लड़ेंगे और हम अपने कदम पीछे नहीं हटाएंगे।

बाईट बेला भाटिया, सामाजिक कार्यकर्ता

वीओ 2


हालांकि साथ ही यह भी कहा नक्सल प्रभावित बस्तर में सामाजिक कार्यकर्ता, पत्रकार, वकील आदि पहले से राज्य सरकार के निशाने पर रहे हैं। अब केंद्र के इशारे पर फोन टेपिंग की जानकारी सामने आने पर बस्तर से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इसे गंभीर मसला तो माना है।
वरिष्ठ पत्रकार ललित सुरजन ने कहा है कि पत्रकारों पर लगातार हमले हो रहे है, उन्हें तरह तरह से प्रताड़ित किया जा रहा हैं। अब इजरायल की कम्पनों जासूसी करने का काम किया जा रहा है, ये निजता का हनन है। अब अगर ऐसा माहौल रहेगा जनतंत्र कैसा कायम रहेगा। कितने सारे पत्रकार के फोन टेप हो रहे है या किए जा रहे है। नई बात सामने आई है, ये माहौल बेहद चिंता जनक है। वही पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने फोन पर जासूसी किए जाने को लेकर कहा है कि जासूसी के मामले में शर्म की बात है। सुप्रीम कोर्ट में छत्तीसगढ़ सरकार ने स्वीकार किया है कि जासूसी करा रही है। इससे बड़ा अपराध क्या हो सकता है, सरकार को बिल्कुल फोन टैपिंग बंद कर देना चाहिए।

बाईट ललित सुरजन, वरिष्ठ पत्रकार
बाईट डॉ रमन सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री


Conclusion:फाइनल वीओ

इसमे ये बात सामने आ रही है कि केंद्र के स्तर पर बस्तर के सामाजिक संगठनों की निगरानी का यह पहला मामला सामने आया है। राज्य के स्तर पर फोन टेपिंग का इस्तेमाल पिछले एक दशक से हो रहा है। बस्तर के कई पत्रकारों के फोन वर्षों तक टेप किए गए है

पीटीसी

मयंक ठाकुर, ईटीवी भारत, रायपुर
Last Updated : Nov 3, 2019, 12:03 AM IST
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