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व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी से बाहर निकल कर लोगों को साहित्य पढ़ने की जरूरत है: पुरुषोत्तम अग्रवाल

आधुनिक भारत पर संगोष्ठी कार्यक्रम का आयोजन किया गया.

संगोष्ठी कार्यक्रम
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Published : Apr 19, 2019, 8:55 AM IST

रायपुर: जिले में आधुनिक भारत पर संगोष्ठी कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस दौरान जवाहलाल नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर और संघ लोक सेवा आयोग के पूर्व सदस्य पुरुषोत्तम अग्रवाल ने अलग-अलग विषयों पर चर्चा की. इस कार्यक्रम में जवाहरलाल नेहरू को भी याद किया गया.

संगोष्ठी कार्यक्रम

आधुनिक भारत पर रखी गई संगोष्ठी के दौरान पूर्व प्रोफेसर पुरुषोत्तम अग्रवाल ने कहा कि आधुनिकता हमेशा ही परंपरा से जुड़ी हुई होती है. कभी भी आधुनिकता को परंपराओं से हटाकर नहीं देखा जा सकता. आधुनिकता, कभी भी परंपरा का विरोध नहीं है न ही आधुनिकता का अर्थ केवल भौतिक विकास है. आधुनिकता का अर्थ यदि एक शब्द में कहें तो न्याय हैं. उन्होंने सोशल मीडिया पर भी कई बार तंज कसा.

व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी से हट कर साहित्य पढ़ने की जरूरत
संघ लोकसेवा आयोग के पूर्व सदस्य ने इस बात पर भी जोर दिया कि लोगों को साहित्य पढ़ने की जरूरत है. व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी से हट कर असल में हमारा साहित्य क्या है यह जानने की जरूरत है. उन्होंने नेहरू जी को याद करते हुए कहा कि आज जो लोग उनके बारे में कुछ भी बात करते हैं उन्हें आजादी के बाद के उस भारत को देखने की जरूरत है. कोई कल्पना भी कर सकता है क्या उस आजाद भारत की? जो स्थिति थी वहां से अब तक के सफर की कल्पना आसान नहीं थी.

रायपुर: जिले में आधुनिक भारत पर संगोष्ठी कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस दौरान जवाहलाल नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर और संघ लोक सेवा आयोग के पूर्व सदस्य पुरुषोत्तम अग्रवाल ने अलग-अलग विषयों पर चर्चा की. इस कार्यक्रम में जवाहरलाल नेहरू को भी याद किया गया.

संगोष्ठी कार्यक्रम

आधुनिक भारत पर रखी गई संगोष्ठी के दौरान पूर्व प्रोफेसर पुरुषोत्तम अग्रवाल ने कहा कि आधुनिकता हमेशा ही परंपरा से जुड़ी हुई होती है. कभी भी आधुनिकता को परंपराओं से हटाकर नहीं देखा जा सकता. आधुनिकता, कभी भी परंपरा का विरोध नहीं है न ही आधुनिकता का अर्थ केवल भौतिक विकास है. आधुनिकता का अर्थ यदि एक शब्द में कहें तो न्याय हैं. उन्होंने सोशल मीडिया पर भी कई बार तंज कसा.

व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी से हट कर साहित्य पढ़ने की जरूरत
संघ लोकसेवा आयोग के पूर्व सदस्य ने इस बात पर भी जोर दिया कि लोगों को साहित्य पढ़ने की जरूरत है. व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी से हट कर असल में हमारा साहित्य क्या है यह जानने की जरूरत है. उन्होंने नेहरू जी को याद करते हुए कहा कि आज जो लोग उनके बारे में कुछ भी बात करते हैं उन्हें आजादी के बाद के उस भारत को देखने की जरूरत है. कोई कल्पना भी कर सकता है क्या उस आजाद भारत की? जो स्थिति थी वहां से अब तक के सफर की कल्पना आसान नहीं थी.

Intro:व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी से बाहर निकल कर लोगों को साहित्य पढ़ने की जरूरत है : पुरुषोत्तम अग्रवाल

रायपुर । आधुनिकता हमेशा ही परंपरा से जुटी हुई होती है । कभी भी आधुनिकता परंपराओं से हटाकर नहीं देखा जा सकता यह बातें कही जवाहलाल नेहरू विश्वविद्यालय के भूतपूर्व प्रोफेसर और संघ लोकसेवा आयोग के भूतपूर्व सदस्य पुरुषोत्तम अग्रवाल ने ।

आधुनिक भारत पर रखी गई संगोष्ठी के दौरान उन्होंने आगे कहा कि आधुनिकता का कभी भी परंपरा का विरोध नहीं है । न ही आधुनिकता का अर्थ केवल भौतिक विकास है। आधुनिकता का अर्थ यदि एक शब्द में कहें तो न्याय हैं । उन्होंने सोशल मीडिया पर भी कई बार तंज कसा ।

अपनी बात को रखते हुए उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि लोगों को साहित्य पढ़ने की जरूरत है । व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी से हट कर असल में हमारा साहित्य क्या है यह जानने की जरूरत है । नेहरू जी को याद करते हुए उन्होंने कहा कि आज जो लोग उनके बारे में कुछ भी बात करते हैं उन्हें आजादी के बाद के उस भारत को देखने की जरूरत है । कोई कल्पना भी कर सकता है क्या उस आजाद भारत की? जो स्थिति थी वहां से अब तक के सफर की कल्पना आसान नहीं थी ।



Body:व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी से बाहर निकल कर लोगों को साहित्य पढ़ने की जरूरत है : पुरुषोत्तम अग्रवाल

रायपुर । आधुनिकता हमेशा ही परंपरा से जुटी हुई होती है । कभी भी आधुनिकता परंपराओं से हटाकर नहीं देखा जा सकता यह बातें कही जवाहलाल नेहरू विश्वविद्यालय के भूतपूर्व प्रोफेसर और संघ लोकसेवा आयोग के भूतपूर्व सदस्य पुरुषोत्तम अग्रवाल ने ।

आधुनिक भारत पर रखी गई संगोष्ठी के दौरान उन्होंने आगे कहा कि आधुनिकता का कभी भी परंपरा का विरोध नहीं है । न ही आधुनिकता का अर्थ केवल भौतिक विकास है। आधुनिकता का अर्थ यदि एक शब्द में कहें तो न्याय हैं । उन्होंने सोशल मीडिया पर भी कई बार तंज कसा ।

अपनी बात को रखते हुए उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि लोगों को साहित्य पढ़ने की जरूरत है । व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी से हट कर असल में हमारा साहित्य क्या है यह जानने की जरूरत है । नेहरू जी को याद करते हुए उन्होंने कहा कि आज जो लोग उनके बारे में कुछ भी बात करते हैं उन्हें आजादी के बाद के उस भारत को देखने की जरूरत है । कोई कल्पना भी कर सकता है क्या उस आजाद भारत की? जो स्थिति थी वहां से अब तक के सफर की कल्पना आसान नहीं थी ।



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