रायपुर: छत्तीसगढ़ सरकार स्व सहायता समूहों को बढ़ावा देने और प्रदेश की विकास प्रक्रिया में महिलाओं की हिस्सेदारी सुनिश्चित करने के लिए अनेक जनकल्याणकारी कार्य और योजनाएं संचालित कर रही है. इसी कड़ी में दंतेवाड़ा जिला प्रशासन और कृषि विज्ञान केन्द्र दंतेवाड़ा की ओर से नक्सल प्रभावित लोगों की आजीविका सुधार करने के लिए संचालित कड़कनाथ मुर्गीपालन व्यवसाय किया गया है.
इस अभिनव पहल से दंतेवाड़ा जिले में अब तक 146 स्व-सहायता समूह और 19 अदिवासी किसान जुड़ चुके हैं. पिछले दो साल में कड़कनाथ कुक्कुट मुर्गी पालन करने वाले लगभग 1600 हितग्राहियों ने कुल 3 करोड़ 52 लाख रूपये का व्यवसाय किया है. कृषि विज्ञान केन्द्र, दंतेवाड़ा ने पिछले दो साल में 104 स्व-सहायता समूहों को 70 हजार 400 चूजों का वितरण किया है.
स्व-सहायता समूहों को दिए चूजे
लॉकडाउन की अवधि में कटेकल्याण क्षेत्र के गाटम ग्राम के रोशनी स्व-सहायता समूह, एडपाल ग्राम के चंदा स्व-सहायता समूह, भूसारास ग्राम के ऐर पुंगार स्व-सहायता समूह, कटेकल्याण ग्राम के मां दन्तेश्वरी स्व.सहायता समूह तथा कुंआकोंडा ब्लाक के समेली ग्राम के आंगादेवी स्व-सहायता समूह, मां दन्तेश्वरी स्व.सहायता समूह, लक्ष्मी स्व-सहायता समूह और कडमपाल गांव के मां दुर्गा स्व-सहायता समूह को कड़कनाथ के चूजे प्रदान किए गए हैं.
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कृषि विज्ञान केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. नारायण साहू ने बताया कि, सभी समूहों को 21 दिन आयु के 300-300 चूजे प्रदान किए गए हैं. 6 महीने में इन चूजों का वजन लगभग डेढ़ से दो किलो तक हो जाता है, जिसे 500 रूपये प्रति नग की दर से विक्रय किया जाता है. जिले के प्रगतिशील कृषकों को 1010 अंडे सेकने की क्षमता वाली हेचिंग मशीन भी दी गई है.