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टेंशन में रखवाले: क्यों अपनी और अपनों की जान के दुश्मन बने जवान ?

प्रदेश में सुरक्षा में तैनात जवान डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं. नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में तैनात जवान ज्यादा टेंशन में हैं. तनाव और डिप्रेशन की वजह से कई जवानों ने खुदकुशी कर ली और कई जवानों ने अपने ही साथी जवानों को जान से मार डाला. सरकार भी जवानों को तनाव मुक्त करने के लिए 'स्पंदन अभियान' चला रही है. देखिए ETV भारत की विशेष रिपोर्ट.

jawans became depressed and tensed in chhattisgarh
सुरक्षा में तैनात जवान डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं
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Published : Jun 5, 2020, 7:02 PM IST

Updated : Jun 7, 2020, 2:56 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ में सुरक्षा में तैनात जवान डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं. नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में तैनात जवान ज्यादा टेंशन में हैं. आलम ये है कि जवान अपनी और अपनों की जान के दुश्मन बन गए हैं. खासकर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में तैनात जवानों को ज्यादा मानसिक तनाव में देखा जा रहा है. कोरोना संकट की वजह से छुट्टी ना मिलने से भी इन जवानों का मानसिक तनाव और बढ़ता जा रहा है. भले इसके पीछे कारण लगातार काम करना या फिर पारिवारिक हो, लेकिन इसका असर सीधे तौर पर जवानों के मस्तिष्क और स्वास्थ्य पर पड़ रहा है. इस वजह से जवानों में आत्महत्या करने का ग्राफ हर दिन बढ़ता जा रहा है. तनाव और डिप्रेशन की वजह से कई बार एक जवान दूसरे जवान की जान भी ले लेते हैं. जवानों को इन परेशानियों से बाहर निकालने के लिए कई उपाय किए जा रहे हैं.

टेंशन में रखवाले

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर त्वरित अमल करते हुए राज्य पुलिस ने जवानों को अवसाद और तनाव से बचाने के लिए 2 जून से स्पंदन अभियान की शुरूआत हुई है. यह योजना प्रदेश में तत्काल प्रभाव से लागू हो गई है. इस संबंध में विस्तृत दिशा-निर्देश सभी पुलिस अधीक्षकों एवं सेनानियों को जारी कर दिए गए हैं. कोरोना संकट की वजह से आज हजारों जवान विभिन्न जगह पर बिना छुट्टी के अपनी ड्यूटी दे रहे हैं. खासकर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में जवान लगातार सुरक्षा में तैनात हैं. हालांकि इस कोरोना संकट के बीच उन जवानों को संक्रमण से बचाने के लिए कई संसाधन और सुविधा मुहैया कराई गई है. उनके स्वास्थ्य का विशेष ख्याल रखा जा रहा है, जिसकी जानकारी नक्सल ऑपरेशन डीआईजी ओपी पाल ने दी.

jawans became depressed and tensed in chhattisgarh
आत्महत्या करने वाले जवानों के आंकड़े

छुट्टी नहीं मिलने से डिप्रेशन में जवान

नक्सल इलाकों में ग्रामीण और CRPF के जवानों की काउंसलिंग और अवेयरनेस के लिए काम करने वाली डॉक्टर मोनिका शर्मा का कहना है कि कोरोना संकट के दौरान जवानों को कई महीने से एक ही जगह पर तैनात रहना पड़ रहा है. इस दौरान न तो उन्हें छुट्टी मिल रही है और ना ही आराम करने का मौका मिल रहा है. खासकर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में जवान दिन भर गश्त में लगे हुए हैं. वापस कैंप में आने के बाद उनके पास मनोरंजन का कोई साधन नहीं होता है. ऐसी परिस्थिति में कुछ जवान मानसिक तनाव से भी ग्रसित हो रहे हैं.

jawans became depressed and tensed in chhattisgarh
जवानों के साथ हाल ही में हुए हत्या के हादसे
jawans became depressed and tensed in chhattisgarh
जवानों के साथ हाल ही में हुए हत्या के हादसे

जवानों की काउंसलिंग करना अनिवार्य

मनोचिकित्सक डॉक्टर जेसी अजवानी के मुताबिक कई बार कुछ जवान छुट्टी न मिलने से मानसिक तनाव में आ जाते हैं. ऐसे में सुरक्षा विभाग को इन जवानों की काउंसलिंग करना अनिवार्य है. साथ ही ऐसे जवानों के मनोरंजन, उनके स्वास्थ्य और योगाभ्यास सहित अन्य चीजों पर भी विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है. तभी ऐसे जवानों को मानसिक तनाव से निकाला जा सकता है.

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जवानों के साथ हाल ही में हुए हत्या के हादसे

जवानों को तनाव मुक्त करने 'स्पंदन अभियान'

मनोचिकित्सक की इस राय से सरकार ने भी सहमति जाहिर की है और यही वजह है कि अब सरकार इन जवानों को तनाव मुक्त करने एक अभियान चलाने जा रही है जिसका नाम है 'स्पंदन अभियान'. इस अभियान के तहत अवसाद और तनाव से निकालने योजना बनाई गई है, जिसके अंतर्गत जवानों के लिए कैंपों में मनोचिकित्सक म्यूजिक थेरेपी, योग, शिक्षा, खेलकूद और पुस्तकालय आदि की व्यवस्था करने के निर्देश दिए गए हैं. पुलिस महानिदेशक ने बताया कि स्पंदन अभियान के तहत सभी पुलिस अधिकारी पुलिस लाइन, थानों एवं सशस्त्र बल की कंपनियों का भ्रमण कर जवानों के साथ समय व्यतीत करेंगे और उनकी समस्याओं से रूबरू होंगे. इसी तरह से पुलिस अधीक्षकों को भी सभी थानों एवं पुलिस लाइन में जाकर जवानों की समस्याएं सुनने हेतु निर्देशित किया गया है.

jawans became depressed and tensed in chhattisgarh
जवानों के साथ हाल ही में हुए हत्या के हादसे

स्पंदन अभियान में पुलिस मुख्यालय रायपुर में पुलिस महानिदेशक द्वारा जिला पुलिस बल एवं सशस्त्र बल के अधिकारियों एवं कर्मचारियों से मिलने के लिए माह में 2 बार स्पेशल इंटरेक्टिव प्रोग्राम चलाया जाएगा, जिसके तहत इनसे पुलिस महानिदेशक द्वारा स्वयं चर्चा करेंगे.

जवानों के लिए की जाएगी सुविधा

गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ने बताया कि सुरक्षा अधिकारियों को कैंपों में जाकर रात रुकने के लिए कहा गया है. जहां वे जवानों से मिलकर उनका दुख-दर्द सुने और उनकी समस्याओं का समाधान करेंगे. इसके अलावा जवानों के लिए टीवी और योग सहित मनोचिकित्सक की व्यवस्था करने के लिए भी कहा गया है. गृहमंत्री ने कहा कि जवानों को अच्छा वातावरण मिले उसके लिए इस प्रकार की व्यवस्था की जा रही है.

jawans became depressed and tensed in chhattisgarh
आत्महत्या करने वाले जवानों के आंकड़े

जवानों ने ली साथियों की जान

⦁ दिसंबर 2019 में नारायणपुर में ITBP के जवान ने अपने ही साथियों पर अंधाधुंध गोलियां चलाई थी, जिसमें 6 जवान की मौत हो गई थी और 2 घायल हुए थे.

⦁ फरवरी 2020 को बीजापुर में CAF के जवान ने गोली चलाते हुए अपने एक साथी को मौत के घाट उतार दिया था.

⦁ मई 2020 को नारायणपुर में CAF के जवान ने भी अपने साथियों पर गोली चलाई थी, जिसमें 2 जवान की मौत हो गई थी.

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आत्महत्या करने वाले जवानों के आंकड़े

आत्महत्या करने वाले जवानों के आंकड़े

पिछले साल प्रदेश में 36 जवानों ने आत्महत्या कर ली थी. छत्तीसगढ़ में ऐसी भी कई घटनाएं हुई हैं, जिसमें जवानों ने अपनी सर्विस राइफल या पिस्टल का इस्तेमाल दुश्मनों पर नहीं किया, बल्कि अपने साथियों को मार दिया या फिर खुद को खत्म कर लिया. राज्य के पुलिस विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक साल 2007 से साल 2019 तक की स्थिति के मुताबिक सुरक्षा बल के 201 जवानों ने आत्महत्या की है. इसमें राज्य पुलिस और अर्धसैनिक बलों के जवान भी शामिल हैं. वहीं साल 2020 में करीब 6 से ज्यादा जवान अब तक आत्महत्या कर चुके हैं.

रायपुर: छत्तीसगढ़ में सुरक्षा में तैनात जवान डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं. नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में तैनात जवान ज्यादा टेंशन में हैं. आलम ये है कि जवान अपनी और अपनों की जान के दुश्मन बन गए हैं. खासकर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में तैनात जवानों को ज्यादा मानसिक तनाव में देखा जा रहा है. कोरोना संकट की वजह से छुट्टी ना मिलने से भी इन जवानों का मानसिक तनाव और बढ़ता जा रहा है. भले इसके पीछे कारण लगातार काम करना या फिर पारिवारिक हो, लेकिन इसका असर सीधे तौर पर जवानों के मस्तिष्क और स्वास्थ्य पर पड़ रहा है. इस वजह से जवानों में आत्महत्या करने का ग्राफ हर दिन बढ़ता जा रहा है. तनाव और डिप्रेशन की वजह से कई बार एक जवान दूसरे जवान की जान भी ले लेते हैं. जवानों को इन परेशानियों से बाहर निकालने के लिए कई उपाय किए जा रहे हैं.

टेंशन में रखवाले

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर त्वरित अमल करते हुए राज्य पुलिस ने जवानों को अवसाद और तनाव से बचाने के लिए 2 जून से स्पंदन अभियान की शुरूआत हुई है. यह योजना प्रदेश में तत्काल प्रभाव से लागू हो गई है. इस संबंध में विस्तृत दिशा-निर्देश सभी पुलिस अधीक्षकों एवं सेनानियों को जारी कर दिए गए हैं. कोरोना संकट की वजह से आज हजारों जवान विभिन्न जगह पर बिना छुट्टी के अपनी ड्यूटी दे रहे हैं. खासकर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में जवान लगातार सुरक्षा में तैनात हैं. हालांकि इस कोरोना संकट के बीच उन जवानों को संक्रमण से बचाने के लिए कई संसाधन और सुविधा मुहैया कराई गई है. उनके स्वास्थ्य का विशेष ख्याल रखा जा रहा है, जिसकी जानकारी नक्सल ऑपरेशन डीआईजी ओपी पाल ने दी.

jawans became depressed and tensed in chhattisgarh
आत्महत्या करने वाले जवानों के आंकड़े

छुट्टी नहीं मिलने से डिप्रेशन में जवान

नक्सल इलाकों में ग्रामीण और CRPF के जवानों की काउंसलिंग और अवेयरनेस के लिए काम करने वाली डॉक्टर मोनिका शर्मा का कहना है कि कोरोना संकट के दौरान जवानों को कई महीने से एक ही जगह पर तैनात रहना पड़ रहा है. इस दौरान न तो उन्हें छुट्टी मिल रही है और ना ही आराम करने का मौका मिल रहा है. खासकर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में जवान दिन भर गश्त में लगे हुए हैं. वापस कैंप में आने के बाद उनके पास मनोरंजन का कोई साधन नहीं होता है. ऐसी परिस्थिति में कुछ जवान मानसिक तनाव से भी ग्रसित हो रहे हैं.

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जवानों के साथ हाल ही में हुए हत्या के हादसे
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जवानों के साथ हाल ही में हुए हत्या के हादसे

जवानों की काउंसलिंग करना अनिवार्य

मनोचिकित्सक डॉक्टर जेसी अजवानी के मुताबिक कई बार कुछ जवान छुट्टी न मिलने से मानसिक तनाव में आ जाते हैं. ऐसे में सुरक्षा विभाग को इन जवानों की काउंसलिंग करना अनिवार्य है. साथ ही ऐसे जवानों के मनोरंजन, उनके स्वास्थ्य और योगाभ्यास सहित अन्य चीजों पर भी विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है. तभी ऐसे जवानों को मानसिक तनाव से निकाला जा सकता है.

jawans became depressed and tensed in chhattisgarh
जवानों के साथ हाल ही में हुए हत्या के हादसे

जवानों को तनाव मुक्त करने 'स्पंदन अभियान'

मनोचिकित्सक की इस राय से सरकार ने भी सहमति जाहिर की है और यही वजह है कि अब सरकार इन जवानों को तनाव मुक्त करने एक अभियान चलाने जा रही है जिसका नाम है 'स्पंदन अभियान'. इस अभियान के तहत अवसाद और तनाव से निकालने योजना बनाई गई है, जिसके अंतर्गत जवानों के लिए कैंपों में मनोचिकित्सक म्यूजिक थेरेपी, योग, शिक्षा, खेलकूद और पुस्तकालय आदि की व्यवस्था करने के निर्देश दिए गए हैं. पुलिस महानिदेशक ने बताया कि स्पंदन अभियान के तहत सभी पुलिस अधिकारी पुलिस लाइन, थानों एवं सशस्त्र बल की कंपनियों का भ्रमण कर जवानों के साथ समय व्यतीत करेंगे और उनकी समस्याओं से रूबरू होंगे. इसी तरह से पुलिस अधीक्षकों को भी सभी थानों एवं पुलिस लाइन में जाकर जवानों की समस्याएं सुनने हेतु निर्देशित किया गया है.

jawans became depressed and tensed in chhattisgarh
जवानों के साथ हाल ही में हुए हत्या के हादसे

स्पंदन अभियान में पुलिस मुख्यालय रायपुर में पुलिस महानिदेशक द्वारा जिला पुलिस बल एवं सशस्त्र बल के अधिकारियों एवं कर्मचारियों से मिलने के लिए माह में 2 बार स्पेशल इंटरेक्टिव प्रोग्राम चलाया जाएगा, जिसके तहत इनसे पुलिस महानिदेशक द्वारा स्वयं चर्चा करेंगे.

जवानों के लिए की जाएगी सुविधा

गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ने बताया कि सुरक्षा अधिकारियों को कैंपों में जाकर रात रुकने के लिए कहा गया है. जहां वे जवानों से मिलकर उनका दुख-दर्द सुने और उनकी समस्याओं का समाधान करेंगे. इसके अलावा जवानों के लिए टीवी और योग सहित मनोचिकित्सक की व्यवस्था करने के लिए भी कहा गया है. गृहमंत्री ने कहा कि जवानों को अच्छा वातावरण मिले उसके लिए इस प्रकार की व्यवस्था की जा रही है.

jawans became depressed and tensed in chhattisgarh
आत्महत्या करने वाले जवानों के आंकड़े

जवानों ने ली साथियों की जान

⦁ दिसंबर 2019 में नारायणपुर में ITBP के जवान ने अपने ही साथियों पर अंधाधुंध गोलियां चलाई थी, जिसमें 6 जवान की मौत हो गई थी और 2 घायल हुए थे.

⦁ फरवरी 2020 को बीजापुर में CAF के जवान ने गोली चलाते हुए अपने एक साथी को मौत के घाट उतार दिया था.

⦁ मई 2020 को नारायणपुर में CAF के जवान ने भी अपने साथियों पर गोली चलाई थी, जिसमें 2 जवान की मौत हो गई थी.

jawans became depressed and tensed in chhattisgarh
आत्महत्या करने वाले जवानों के आंकड़े

आत्महत्या करने वाले जवानों के आंकड़े

पिछले साल प्रदेश में 36 जवानों ने आत्महत्या कर ली थी. छत्तीसगढ़ में ऐसी भी कई घटनाएं हुई हैं, जिसमें जवानों ने अपनी सर्विस राइफल या पिस्टल का इस्तेमाल दुश्मनों पर नहीं किया, बल्कि अपने साथियों को मार दिया या फिर खुद को खत्म कर लिया. राज्य के पुलिस विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक साल 2007 से साल 2019 तक की स्थिति के मुताबिक सुरक्षा बल के 201 जवानों ने आत्महत्या की है. इसमें राज्य पुलिस और अर्धसैनिक बलों के जवान भी शामिल हैं. वहीं साल 2020 में करीब 6 से ज्यादा जवान अब तक आत्महत्या कर चुके हैं.

Last Updated : Jun 7, 2020, 2:56 PM IST
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