रायपुर: रायपुर के घड़ी चौक में 1924 में बाल आश्रम बनाया गया था. इस बाल आश्रम में 100 अनाथ बच्चे रहते हैं. यहां ऐसे बच्चे भी हैं जिनके माता-पिता जेल में सजा काट रहे हैं. कोरोना महामारी के दौर में ऐसे आश्रमों में बच्चों की सुरक्षा और कोरोना से बचाव को लेकर क्या उपाय किए गए हैं. ETV भारत की टीम ने रायपुर के बाल आश्रम में आश्रम संरक्षक से सुरक्षा व्यवस्था को लेकर लेकर कई जानकारियां ली.
बाल आश्रम के संरक्षक अमित तिवारी ने बताया कि रायपुर के बाल आश्रम में कुल 100 बच्चे रहते हैं. हर 25 बच्चों पर एक हाउस फादर (देखरेख करने वाले) को रखा जाता है, जो इन 25 बच्चों की पूरी तरह देखभाल करता है. इसके अलावा तीन सफाई कर्मी, 2 किचन कर्मी रखे गए हैं, जो समय पर बच्चों के लिए खाना बनाते हैं. बाल आश्रम में बच्चों को पूरी सुविधा दी जाती है. वह उनकी सेहत का भी पूरा ख्याल रखा जाता है. बाल आश्रम में एक डॉक्टर भी हमेशा किसी भी परिस्थिति के लिए तैयार रहता है. किसी भी समय बच्चे को डॉक्टर की जरूरत पड़े, तो डॉक्टर तत्काल मौके पर मौजूद हो जाता है.
रायपुर में कुल 12 बाल गृह हैं, जिसमें से 4 सरकारी और 8 निजी बाल आश्रम हैं. शासकीय बाल ग्रह में दो विधि से संरक्षक बाल ग्रह हैं, जिसमें कुल 113 बच्चे रहते हैं. एक बालिका गृह है, जिसमें 46 बालिकाएं रहती हैं. एक शासकीय बालगृह है, जिसमें 42 बच्चे रहते हैं. 8 अशासकीय बाल गृह में दो स्पेशल बच्चों की संस्था है. एक एडॉप्शन संस्थाएं हैं, दो बाल गृह हैं. एक यतीम खाना है जहां 13 बालक रहते हैं. एक बाल गृह है, जहां 1 साल से 6 साल के बालक-बालिकाएं रहती हैं. जहां वर्तमान में 19 बच्चे रह रहे हैं, जिसमें से तीन नर्सरी में पढ़ाई कर रहे हैं.
रात 8 बजे आश्रम का गेट होता है बंद
अमित तिवारी ने बताया कि बाल आश्रम में बच्चों की सिक्योरिटी को लेकर भी उनका खास ख्याल रखा जाता है. बाहर से आने वाले किसी भी व्यक्तियों को बच्चों से मिलने से पहले बाल आश्रम संचालक और हाउस फादर से अनुमति लेनी पड़ती है, जिसके बाद ही बच्चों को किसी से भी मिलने दिया जाता है. बच्चों से मिलने का समय भी सुबह 11 बजे से 12 बजे तक और शाम को 5 बजे से 7 बजे तक रखा गया है. इसके साथ ही रात को 8 बजे के बाद आश्रम के गेट बंद हो जाते हैं, जिसके बाद न ही कोई आश्रम में आ सकता है. ना बाहर जा सकता है. बाल आश्रम में CCTV कैमरे लगाए गए हैं. जिनके माध्यम से सब पर कड़ी नजर रखी जाती है.
बाल आश्रम में तीन सिक्योरिटी गेट लगाए गए
अमित तिवारी ने बताया कि बाल आश्रम में तीन सिक्योरिटी गेट लगाए गए हैं. 3 सिक्योरिटी गार्ड को भी रखा गया है, जो सुबह शाम आश्रम की देखभाल करते हैं. कोरोना काल के दौर में बच्चों का खास ख्याल रखा जा रहा है. ऐसे में बाल आश्रम संचालक ने बच्चों को मास्क और सैनिटाइजर दिए हैं. यह सभी मास्क कपड़े के बने हुए हैं, जिसे धोकर दोबारा इस्तेमाल किया जा सकता है. सैनिटाइजर खत्म होने पर बच्चों को दोबारा सैनिटाइजर दिया जाता है.
बाल आश्रम में सुरक्षा का रखा जाता है विशेष ख्याल
बाल आश्रम में रह रहे बच्चों ने बताया कि बाल आश्रम में सिक्योरिटी का ख्याल रखा जाता है. अभी कोरोना काल चल रहा है. इस दौरान बाल आश्रम के हर बच्चे को फेस मास्क और सैनिटाइजर दिया गया है. इसके साथ ही बाल आश्रम में रह रहे सभी कर्मचारियों को भी 24 घंटे मास्क पहनना अनिवार्य है. खाना बनाते वक्त और खाना परोसते वक्त भी सभी मास्क पहने रहते हैं. हर कुछ घंटों में सैनिटाइजर का उपयोग करते रहते हैं.
1924 में बनाया गया था बाल आश्रम
बता दें कि रायपुर के घड़ी चौक में स्थित बाल आश्रम को 1924 में बनाया गया था. इस बाल आश्रम में अभी 100 बच्चे रहते हैं. जहां इनकी पूरी देखभाल की जाती है. कक्षा 12वीं के बाद भी अगर यह बच्चे पढ़ना चाहें, तो इन्हें पढ़ाया जाता है. पढ़ाई के साथ-साथ इनके दूसरे स्किल्स पर भी ध्यान दिया जाता है. अगर स्पोर्ट्स या किसी अन्य खेल में भी यह आगे बढ़ना चाहते हैं, तो इन्हें आगे बढ़ाने के लिए बाल आश्रम पूरा प्रयास करता है. इस बाल आश्रम में 7 साल तक के बच्चे रहते हैं. इस बाल आश्रम में 15 अनाथ बच्चे हैं, जिनका इस दुनिया में कोई नहीं है. अभी कोरोना महामारी को देखते हुए कुछ बच्चों को उनके परिजनों के पास भेज दिया गया है. जहां हर महीने उनके परिजनों को बच्चों के लिए 10 किलो चावल 2 किलो सोयाबीन इत्यादि चीजें बाल आश्रम की तरफ से दी जाती है.