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छत्तीसगढ़ शराब घोटाला याचिकाकर्ता अन्य मंचों को दरकिनार कर पीएमएलए प्रावधानों को चुनौती दे रहे: SC

छत्तीसगढ़ शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि इन दिनों शीर्ष अदालत में मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम के कुछ प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाएं दायर करने का चलन है. (PMLA) याचिकाकर्ताओं के लिए खुले अन्य मंचों को दरकिनार कर रहा है. SC observes Chhattisgarh liquor scam

SC observes Chhattisgarh liquor scam
छत्तीसगढ़ शराब घोटाला
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Published : May 30, 2023, 7:45 PM IST

नई दिल्ली: न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी और प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने यह टिप्पणी तब की, जब विभिन्न याचिकाकर्ताओं ने मंगलवार को छत्तीसगढ़ शराब घोटाले और पीएमएलए के कुछ प्रावधानों से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों को चुनौती देने वाली याचिकाओं को वापस लेने की मांग की गई.

शीर्ष अदालत ने कहा कि "पिछले साल सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित विजय मदनलाल के फैसले के बावजूद, पीएमएलए के कुछ प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाले अनुच्छेद 32 के तहत इस अदालत के समक्ष दायर रिट याचिकाओं में एक प्रवृत्ति है, जिस पर फैसला किया गया है."

शीर्ष अदालत ने टिप्पणी की है कि "ये राहतें याचिकाकर्ताओं के लिए खुले अन्य मंचों को दरकिनार कर रही हैं. छत्तीसगढ़ शराब घोटाले और पीएमएलए के कुछ प्रावधानों से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों को चुनौती देने वाली विभिन्न याचिकाओं को मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट से वापस ले लिया गया. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट खंडपीठ ने याचिकाकर्ताओं को अन्य उपयुक्त मंचों पर कानून के अनुसार उपलब्ध उपायों की तलाश करने की स्वतंत्रता दी है."

"कानूनी प्रावधानों को चुनौती देने खटखटा रहे एससी का दरवाजा": शीर्ष अदालत ने कहा कि "यह उच्च न्यायालय जाने के बजाय एक वैकल्पिक मंच बनता जा रहा है." सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने शीर्ष अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया कि "इन दिनों लोग अग्रिम जमानत मांग करने के बजाय कानूनों के प्रावधानों को चुनौती देने के लिए सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटा रहे हैं." एसजी मेहता ने इस तरह की याचिकाओं को कानून का दुरुपयोग बताया. उन्होंने शीर्ष अदालत से आग्रह किया कि "शीर्ष अदालत को कुछ टिप्पणियां करनी चाहिए, अन्यथा यह चलती रहेगी."

क्या है पूरा मामला: छत्तीसगढ़ के आबकारी अधिकारी निरंजन दास और करिश्मा ढेबर, अनवर ढेबर और पिंकी सिंह सहित कई अन्य ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. उन्होंने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के कुछ प्रावधानों को चुनौती दी थी. याचिकाकर्ता ने छत्तीसगढ़ में शराब अनियमितताओं के मामले में प्रवर्तन मामले की सूचना रिपोर्ट (ईसीआईआर) को भी रद्द करने की मांग की है.

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ईडी ने रिश्वत वसूली का लगाया आरोप: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) शराब घोटाले की जांच कर रहा है जो 2019 से 2022 के बीच चला था. जिसमें कई तरीकों से भ्रष्टाचार किया गया था. एजेंसी ने कहा कि "डिस्टिलर्स से उनके द्वारा खरीदी गई शराब के प्रत्येक मामले के लिए रिश्वत वसूली गई थी."

ईडी की जांच में खुलासा हुआ कि, "अरुण पति त्रिपाठी ने अनवर ढेबर के आग्रह पर अपनी सीधी कार्रवाइयों से विभाग में भ्रष्टाचार को अधिकतम करने के लिए छत्तीसगढ़ की पूरी शराब व्यवस्था को भ्रष्ट कर दिया. उन्होंने अपने अन्य सहयोगियों के साथ साजिश में नीतिगत बदलाव किए और अनवर ढेबर के सहयोगियों को टेंडर दिए, ताकि अधिक से अधिक लाभ लिया जा सके."

ईडी ने आरोप लगाया, "एक वरिष्ठ आईटीएस अधिकारी और सीएसएमसीएल के एमडी होने के बावजूद, वह किसी भी राज्य के आबकारी विभाग के कामकाज के लोकाचार के खिलाफ गया. उसने बेहिसाब कच्ची शराब बेचने के लिए राज्य द्वारा संचालित दुकानों का इस्तेमाल किया."

ईडी ने आरोप लगाया कि "उसकी मिलीभगत से राज्य के खजाने को भारी नुकसान हुआ और शराब सिंडिकेट के लाभार्थियों की जेब अपराध की अवैध आय में 2000 करोड़ रुपये से अधिक भर गई. इस लूट में उन्हें एक बड़ा हिस्सा भी मिला. राज्य के राजस्व में वृद्धि करने और नागरिकों को गुणवत्ता नियंत्रित शराब प्रदान करने के सीएसएमसीएल के मूल उद्देश्य का उनके द्वारा अपने व्यक्तिगत अवैध लाभ के लिए उल्लंघन किया गया था.''

रायपुर, भिलाई और मुंबई में ईडी ने ली तलाशी: ईडी ने रायपुर, भिलाई और मुंबई में तलाशी अभियान चलाया. नया रायपुर में 53 एकड़ जमीन का पता चला, जिसकी 21.60 करोड़ रुपये की बुक वैल्यू थी. इसे अनवर ढेबर ने अपराध की आय का उपयोग करके जेवी के नाम पर लिया था.यह संपत्ति FL-10A लाइसेंसधारी से अर्जित अपराध की आय को रूट करके एक सहयोगी के नाम पर लेन-देन के चक्रव्यूह के माध्यम से खरीदी गई थी. हाल की तलाशी कार्रवाई के दौरान, ईडी ने 20 लाख रुपये की नकदी और कई आपत्तिजनक दस्तावेजों को जब्त किया है.

ईडी ने आरोपियों की संपत्ति की सीज: मुंबई में अरविंद सिंह और अरविंद सिंह की पत्नी पिंकी सिंह के नाम पर एक शेयर ट्रेडिंग फर्म के साथ लगभग 1 करोड़ रुपये का बेहिसाब निवेश पाया गया. उसे पीएमएलए के तहत फ्रीज कर दिया गया है. इससे पहले, ईडी ने त्रिलोक सिंह ढिल्लों से 27.5 करोड़ रुपये की सावधि जमा को फ्रीज कर दिया था. इससे पहले, ईडी ने एक देशी शराब डिस्टिलर के घर से 28 करोड़ रुपये के आभूषण जब्त किए थे.

स्त्रोत - (एएनआई)

नई दिल्ली: न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी और प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने यह टिप्पणी तब की, जब विभिन्न याचिकाकर्ताओं ने मंगलवार को छत्तीसगढ़ शराब घोटाले और पीएमएलए के कुछ प्रावधानों से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों को चुनौती देने वाली याचिकाओं को वापस लेने की मांग की गई.

शीर्ष अदालत ने कहा कि "पिछले साल सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित विजय मदनलाल के फैसले के बावजूद, पीएमएलए के कुछ प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाले अनुच्छेद 32 के तहत इस अदालत के समक्ष दायर रिट याचिकाओं में एक प्रवृत्ति है, जिस पर फैसला किया गया है."

शीर्ष अदालत ने टिप्पणी की है कि "ये राहतें याचिकाकर्ताओं के लिए खुले अन्य मंचों को दरकिनार कर रही हैं. छत्तीसगढ़ शराब घोटाले और पीएमएलए के कुछ प्रावधानों से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों को चुनौती देने वाली विभिन्न याचिकाओं को मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट से वापस ले लिया गया. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट खंडपीठ ने याचिकाकर्ताओं को अन्य उपयुक्त मंचों पर कानून के अनुसार उपलब्ध उपायों की तलाश करने की स्वतंत्रता दी है."

"कानूनी प्रावधानों को चुनौती देने खटखटा रहे एससी का दरवाजा": शीर्ष अदालत ने कहा कि "यह उच्च न्यायालय जाने के बजाय एक वैकल्पिक मंच बनता जा रहा है." सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने शीर्ष अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया कि "इन दिनों लोग अग्रिम जमानत मांग करने के बजाय कानूनों के प्रावधानों को चुनौती देने के लिए सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटा रहे हैं." एसजी मेहता ने इस तरह की याचिकाओं को कानून का दुरुपयोग बताया. उन्होंने शीर्ष अदालत से आग्रह किया कि "शीर्ष अदालत को कुछ टिप्पणियां करनी चाहिए, अन्यथा यह चलती रहेगी."

क्या है पूरा मामला: छत्तीसगढ़ के आबकारी अधिकारी निरंजन दास और करिश्मा ढेबर, अनवर ढेबर और पिंकी सिंह सहित कई अन्य ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. उन्होंने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के कुछ प्रावधानों को चुनौती दी थी. याचिकाकर्ता ने छत्तीसगढ़ में शराब अनियमितताओं के मामले में प्रवर्तन मामले की सूचना रिपोर्ट (ईसीआईआर) को भी रद्द करने की मांग की है.

Chhattisgarh Liquor Scam: एपी त्रिपाठी 7 दिनों की न्यायिक रिमांड पर, 2 जून को होगी अगली पेशी
छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में कोड वर्ड के जरिए करोड़ों की हेरा फेरी, ईडी CODE को डिकोड करने में जुटी !
Chhattisgarh Liquor Scam : पप्पू ढिल्लन और एपी त्रिपाठी के बीच ट्रांजेक्शन का दावा, ईडी रिमांड फिर बढ़ी

ईडी ने रिश्वत वसूली का लगाया आरोप: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) शराब घोटाले की जांच कर रहा है जो 2019 से 2022 के बीच चला था. जिसमें कई तरीकों से भ्रष्टाचार किया गया था. एजेंसी ने कहा कि "डिस्टिलर्स से उनके द्वारा खरीदी गई शराब के प्रत्येक मामले के लिए रिश्वत वसूली गई थी."

ईडी की जांच में खुलासा हुआ कि, "अरुण पति त्रिपाठी ने अनवर ढेबर के आग्रह पर अपनी सीधी कार्रवाइयों से विभाग में भ्रष्टाचार को अधिकतम करने के लिए छत्तीसगढ़ की पूरी शराब व्यवस्था को भ्रष्ट कर दिया. उन्होंने अपने अन्य सहयोगियों के साथ साजिश में नीतिगत बदलाव किए और अनवर ढेबर के सहयोगियों को टेंडर दिए, ताकि अधिक से अधिक लाभ लिया जा सके."

ईडी ने आरोप लगाया, "एक वरिष्ठ आईटीएस अधिकारी और सीएसएमसीएल के एमडी होने के बावजूद, वह किसी भी राज्य के आबकारी विभाग के कामकाज के लोकाचार के खिलाफ गया. उसने बेहिसाब कच्ची शराब बेचने के लिए राज्य द्वारा संचालित दुकानों का इस्तेमाल किया."

ईडी ने आरोप लगाया कि "उसकी मिलीभगत से राज्य के खजाने को भारी नुकसान हुआ और शराब सिंडिकेट के लाभार्थियों की जेब अपराध की अवैध आय में 2000 करोड़ रुपये से अधिक भर गई. इस लूट में उन्हें एक बड़ा हिस्सा भी मिला. राज्य के राजस्व में वृद्धि करने और नागरिकों को गुणवत्ता नियंत्रित शराब प्रदान करने के सीएसएमसीएल के मूल उद्देश्य का उनके द्वारा अपने व्यक्तिगत अवैध लाभ के लिए उल्लंघन किया गया था.''

रायपुर, भिलाई और मुंबई में ईडी ने ली तलाशी: ईडी ने रायपुर, भिलाई और मुंबई में तलाशी अभियान चलाया. नया रायपुर में 53 एकड़ जमीन का पता चला, जिसकी 21.60 करोड़ रुपये की बुक वैल्यू थी. इसे अनवर ढेबर ने अपराध की आय का उपयोग करके जेवी के नाम पर लिया था.यह संपत्ति FL-10A लाइसेंसधारी से अर्जित अपराध की आय को रूट करके एक सहयोगी के नाम पर लेन-देन के चक्रव्यूह के माध्यम से खरीदी गई थी. हाल की तलाशी कार्रवाई के दौरान, ईडी ने 20 लाख रुपये की नकदी और कई आपत्तिजनक दस्तावेजों को जब्त किया है.

ईडी ने आरोपियों की संपत्ति की सीज: मुंबई में अरविंद सिंह और अरविंद सिंह की पत्नी पिंकी सिंह के नाम पर एक शेयर ट्रेडिंग फर्म के साथ लगभग 1 करोड़ रुपये का बेहिसाब निवेश पाया गया. उसे पीएमएलए के तहत फ्रीज कर दिया गया है. इससे पहले, ईडी ने त्रिलोक सिंह ढिल्लों से 27.5 करोड़ रुपये की सावधि जमा को फ्रीज कर दिया था. इससे पहले, ईडी ने एक देशी शराब डिस्टिलर के घर से 28 करोड़ रुपये के आभूषण जब्त किए थे.

स्त्रोत - (एएनआई)

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