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Sawan 2022: छत्तीसगढ़ का ऐतिहासिक हटकेश्वरनाथ मंदिर, यहां सावन में उमड़ती है भक्तों की भीड़ - हटकेश्वरनाथ मंदिर की कहानी

सावन का महीना भगवान भोलेनाथ को समर्पित होता है. इस पूरे माह भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना की जाती है. शिवालयों में बड़ी संख्या में भक्त दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं. छत्तीसगढ़ का सबसे प्राचीन हटकेश्वरनाथ मंदिर रायपुर के महादेव घाट पर स्थित (historic Hatkeshwarnath temple of Chhattisgarh ) है. यहां सावन के महीने में भक्तों की भीड़ उमड़ती है.

Hatkeshwarnath temple
हटकेश्वरनाथ मंदिर
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Published : Jul 13, 2022, 5:03 PM IST

Updated : Jul 13, 2022, 6:03 PM IST

रायपुर: इस बार सावन महीने में 4 सोमवार पड़ रहे हैं. सावन का महीना 12 अगस्त तक रहेगा. सावन के महीने में रायपुर स्थित छत्तीसगढ़ के सबसे प्राचीन हटकेश्वरनाथ मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहता है. सावन सोमवार के दिन तो भक्तों की संख्या हजारों की तादाद में होती है. यहां सावन, महाशिवरात्रि और पुन्नी मेला में भक्तों की भीड़ देखते ही बनती है.

हटकेश्वरनाथ धाम में पूरी होती है मनोकामनाएं: श्रद्धालुओं का कहना है कि "यह मंदिर काफी प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिरों में से एक है. इस मंदिर में भगवान के दर्शन करने के लिए रायपुर के आसपास के साथ ही काफी दूर-दूर के लोग पहुंचते हैं. ऐसी भी मान्यता है कि इस मंदिर में जो भी भक्त अपनी मनोकामना लेकर पहुंचते हैं, उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होती है."

छत्तीसगढ़ का ऐतिहासिक हटकेश्वरनाथ मंदिर

कलश से जलाभिषेक: हटकेश्वरनाथ धाम के पुजारी पंडित सुरेश गिरी गोस्वामी ने बताया, "सावन का महीना 14 जुलाई से प्रारंभ हो रहा है. इस बार भक्तों को मंदिर में प्रवेश पूर्व की ओर स्थित द्वार से होगा. हटकेश्वरनाथ भगवान के दर्शन के बाद भक्त दक्षिण के द्वार से मंदिर के बाहर निकल सकेंगे. इस बार भगवान शिव को जल चढ़ाने की परंपरा में थोड़ा बदलाव किया गया है. रविवार और सोमवार को भीड़ ज्यादा होने के कारण कलश के माध्यम से भगवान को जल, दूध, दही और दूसरी चीजों का अभिषेक किया जाएगा. अन्य दिनों में भगवान को सीधे दूध-दही और जल अर्पित किया जा सकता है."

मनचाहे वर की प्राप्ति: रायपुरा स्थित काली मंदिर के पुजारी पंडित अंकित तिवारी ने बताया, "हटकेश्वरनाथ मंदिर काफी प्राचीन और ऐतिहासिक है. सावन के महीने में खासकर सोमवार के दिन अविवाहित कन्याएं पूरे विधि-विधान से भगवान भोलेनाथ पशुपतिनाथ और मां कात्यायनी की पूजा आराधना करते हैं तो उन्हें मनचाहे वर की प्राप्ति होती है."

राजा ब्रह्मदेव ने कराया हटकेश्वरनाथ धाम का निर्माण: रायपुर के खारून नदी के तट पर हटकेश्वरनाथ धाम है, जिसे लोग वर्तमान में महादेव घाट मंदिर के नाम से जानते हैं. इस मंदिर का निर्माण 1402 ईस्वी में राजा ब्रह्मदेव ने किया था. उस समय हैययवंशी राजाओं का शासन काल था. मान्यता है कि राजा ब्रह्मदेव शिकार पर निकले थे, तभी रायपुरा के पास उनके घोड़े को चोट लगी और वह घोड़ा गिर गया. जिसके बाद उस स्थल से घास फूस और सूखी लकड़ियों को हटाकर देखा गया तो वहां पर स्वयंभू शिवलिंग के दर्शन राजा ब्रह्मदेव को हुए. जिसके बाद राजा ने खारून नदी से जल लाकर शिवलिंग को अर्पित किया और भगवान से प्रार्थना की उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति होगी तो वह इस मंदिर का निर्माण 6 महीने की रात्रि में कराएंगे. पुत्र प्राप्ति के बाद राजा ने इस प्राचीन मंदिर का निर्माण करवाया था.

यह भी पढ़ें: पुत्रप्राप्ति के बाद राजा ब्रह्मदेव ने किया था हटकेश्वरनाथ मंदिर का निर्माण, आज भी साक्षात प्रमाण है जलती धुनी

तंत्र-मंत्र और साधना से धुनी हुई प्रज्ज्वलित : इस प्राचीन और ऐतिहासिक हटकेश्वरनाथ मंदिर की कहानी यहीं पर खत्म नहीं होती. राजा ने 6 महीने की रात में इस मंदिर का निर्माण करवाया और यह भी प्रण लिया कि कार्तिक मास की पूर्णिमा को पुन्नी मेला और फाल्गुन मास की चौदस तिथि को महाशिवरात्रि का मेला होगा. यह मेला आज भी निरंतर चला आ रहा है. इस हटकेश्वरनाथ धाम के पास ही एक अखंड धुनी प्रज्ज्वलित हो रही है. ऐसी मान्यता है कि लगभग साढ़े छह सौ साल पहले प्रथम पीढ़ी के महंत शिवगिरी ने अपने तंत्र-मंत्र और साधना से इस धुनी को प्रज्ज्वलित किया था. इसी अखंड धुनी की अग्नि से आज भगवान हटकेश्वरनाथ की पूजा-पाठ और आराधना की जाती है.

रायपुर: इस बार सावन महीने में 4 सोमवार पड़ रहे हैं. सावन का महीना 12 अगस्त तक रहेगा. सावन के महीने में रायपुर स्थित छत्तीसगढ़ के सबसे प्राचीन हटकेश्वरनाथ मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहता है. सावन सोमवार के दिन तो भक्तों की संख्या हजारों की तादाद में होती है. यहां सावन, महाशिवरात्रि और पुन्नी मेला में भक्तों की भीड़ देखते ही बनती है.

हटकेश्वरनाथ धाम में पूरी होती है मनोकामनाएं: श्रद्धालुओं का कहना है कि "यह मंदिर काफी प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिरों में से एक है. इस मंदिर में भगवान के दर्शन करने के लिए रायपुर के आसपास के साथ ही काफी दूर-दूर के लोग पहुंचते हैं. ऐसी भी मान्यता है कि इस मंदिर में जो भी भक्त अपनी मनोकामना लेकर पहुंचते हैं, उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होती है."

छत्तीसगढ़ का ऐतिहासिक हटकेश्वरनाथ मंदिर

कलश से जलाभिषेक: हटकेश्वरनाथ धाम के पुजारी पंडित सुरेश गिरी गोस्वामी ने बताया, "सावन का महीना 14 जुलाई से प्रारंभ हो रहा है. इस बार भक्तों को मंदिर में प्रवेश पूर्व की ओर स्थित द्वार से होगा. हटकेश्वरनाथ भगवान के दर्शन के बाद भक्त दक्षिण के द्वार से मंदिर के बाहर निकल सकेंगे. इस बार भगवान शिव को जल चढ़ाने की परंपरा में थोड़ा बदलाव किया गया है. रविवार और सोमवार को भीड़ ज्यादा होने के कारण कलश के माध्यम से भगवान को जल, दूध, दही और दूसरी चीजों का अभिषेक किया जाएगा. अन्य दिनों में भगवान को सीधे दूध-दही और जल अर्पित किया जा सकता है."

मनचाहे वर की प्राप्ति: रायपुरा स्थित काली मंदिर के पुजारी पंडित अंकित तिवारी ने बताया, "हटकेश्वरनाथ मंदिर काफी प्राचीन और ऐतिहासिक है. सावन के महीने में खासकर सोमवार के दिन अविवाहित कन्याएं पूरे विधि-विधान से भगवान भोलेनाथ पशुपतिनाथ और मां कात्यायनी की पूजा आराधना करते हैं तो उन्हें मनचाहे वर की प्राप्ति होती है."

राजा ब्रह्मदेव ने कराया हटकेश्वरनाथ धाम का निर्माण: रायपुर के खारून नदी के तट पर हटकेश्वरनाथ धाम है, जिसे लोग वर्तमान में महादेव घाट मंदिर के नाम से जानते हैं. इस मंदिर का निर्माण 1402 ईस्वी में राजा ब्रह्मदेव ने किया था. उस समय हैययवंशी राजाओं का शासन काल था. मान्यता है कि राजा ब्रह्मदेव शिकार पर निकले थे, तभी रायपुरा के पास उनके घोड़े को चोट लगी और वह घोड़ा गिर गया. जिसके बाद उस स्थल से घास फूस और सूखी लकड़ियों को हटाकर देखा गया तो वहां पर स्वयंभू शिवलिंग के दर्शन राजा ब्रह्मदेव को हुए. जिसके बाद राजा ने खारून नदी से जल लाकर शिवलिंग को अर्पित किया और भगवान से प्रार्थना की उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति होगी तो वह इस मंदिर का निर्माण 6 महीने की रात्रि में कराएंगे. पुत्र प्राप्ति के बाद राजा ने इस प्राचीन मंदिर का निर्माण करवाया था.

यह भी पढ़ें: पुत्रप्राप्ति के बाद राजा ब्रह्मदेव ने किया था हटकेश्वरनाथ मंदिर का निर्माण, आज भी साक्षात प्रमाण है जलती धुनी

तंत्र-मंत्र और साधना से धुनी हुई प्रज्ज्वलित : इस प्राचीन और ऐतिहासिक हटकेश्वरनाथ मंदिर की कहानी यहीं पर खत्म नहीं होती. राजा ने 6 महीने की रात में इस मंदिर का निर्माण करवाया और यह भी प्रण लिया कि कार्तिक मास की पूर्णिमा को पुन्नी मेला और फाल्गुन मास की चौदस तिथि को महाशिवरात्रि का मेला होगा. यह मेला आज भी निरंतर चला आ रहा है. इस हटकेश्वरनाथ धाम के पास ही एक अखंड धुनी प्रज्ज्वलित हो रही है. ऐसी मान्यता है कि लगभग साढ़े छह सौ साल पहले प्रथम पीढ़ी के महंत शिवगिरी ने अपने तंत्र-मंत्र और साधना से इस धुनी को प्रज्ज्वलित किया था. इसी अखंड धुनी की अग्नि से आज भगवान हटकेश्वरनाथ की पूजा-पाठ और आराधना की जाती है.

Last Updated : Jul 13, 2022, 6:03 PM IST

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