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Saviours in Uniform : आईपीएस ऑफिसर रत्ना सिंह हैं प्रेरणा स्त्रोत - Saviours in Uniform

देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है. अमृत महोत्सव पर हम छत्तीसगढ़ की उन महिलाओं से आपको मिलवा रहे हैं, जिन्होंने कड़ी मेहनत से एक मुकाम हासिल किया और अब दूसरी महिलाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं. इसी कड़ी में ईटीवी भारत ने 2019 बैच की आईपीएस अधिकारी रत्ना सिंह से खास बातचीत की.

IPS officer Ratna Singh
ऑफिसर रत्ना सिंह से खास बातचीत
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Published : Aug 9, 2022, 3:58 PM IST

Updated : Aug 9, 2022, 4:06 PM IST

रायपुर: आज के समय में महिलाएं पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं. क्षेत्र में महिलाओं का योगदान बढ़ता जा रहा. 2019 बैच की आईपीएस अधिकारी रत्ना सिंह ने भी कड़ी मेहनत से सफलता अर्जित की है.

सवाल: रत्ना सिंह से आईपीएस रत्ना सिंह बनने का सफर कैसा रहा ?

जवाब: मैंने अपने कॉलेज में अंतिम वर्ष में यूपीएससी की तैयारी शुरू की थी. मेरी फ्रेंड भी UPSC की तैयारी कर रही थी. मेरी फ्रेंड के पिता आईपीएस ऑफिसर थे. उनसे ही प्रेरित होकर मैंने तैयारी शुरू की. मैंने तीन बार यूपीएससी की परीक्षा दी. तीसरे प्रयास में मेरा सलेक्शन हुआ.

ऑफिसर रत्ना सिंह से खास बातचीत

सवाल: क्या आपने पहले से तय कर रखा था आईपीएस बनना?

जवाब: सारी सर्विसेज अच्छी है. चाहे आप आईएएस बनें या आईपीएस बनें. कोई भी सर्विस आप करें, उसमें देश की सेवा कर रहे हैं. लोगों की सेवा कर रहे हैं. लेकिन एक बार वर्दी पहनने के बाद मुझें कभी ऐसा फील नहीं हुआ कि इस सर्विस को छोड़कर कहीं और जाना है. जिस तरह हम पब्लिक के साथ इंटरेक्शन करते हैं. पब्लिक अपनी समस्या लेकर सीधा हमसे मुलाकात करती है. हमारे पास भी सीधा मौका रहता है, उनकी परेशानी को हल करने का. उस अनुभव के बाद मुझे कभी नहीं लगा कि मैं और कहीं फिट हो सकती हूं या इससे बेहतर मैं और कोई काम कर सकती हूं.

सवाल: हाल ही में आपने वैवाहिक जीवन में प्रवेश किया है. ऑफिस और घर कैसे मैनेज कर पाती हैं?

जवाब: पुलिस में होने के नाते हम लोगों का वर्किग टाइम फिक्स नहीं है. आधी रात में भी अगर कुछ होता है तो जाना पड़ता है. इसलिए मैं अपने घरवालों का शुक्रिया अदा करना चाहूंगी. वे बहुत अंडरस्टेंडिंग हैं. मेरे जॉब के नेचर को समझते हैं. कभी कन्वेंशन डिमांड नहीं रखते. उतनी समझ परिवार वालों को है तो सारी चीजे मैनेज हो जाती है.

यह भी पढ़ें: आजादी का अमृत महोत्सव : रायपुर में आजादी की याद दिला रहे चौक चौराहे

सवाल: आपके कार्य क्षेत्र में 4 थाने आते हैं. लगातार शहर में चाकूबाजी की घटनाएं और क्राइम बढ़ रहे हैं. आप इन सभी चीजों से कैसे डील करती हैं?

जवाब: चाकूबाजी की घटनाएं बहुत ही सीरियस इश्यू है. हाल ही में 2 मामले चाकूबाजी के आए हैं. जब ऐसी घटनाएं होती हैं, हमारा यही स्टेप होता है कि जल्दी से जल्दी आरोपी को पकड़ें और चार्जशीट दायर कर प्रार्थी को जल्द से जल्द न्याय दिलाने का प्रयास करें. जो लोग सोशल मीडिया पर चाकू और तलवार के साथ फोटो पोस्ट करते हैं, उनकी पहचान कर रहे हैं. उनकी भी रेगुलेर चेकिंग होती है. शाम को पेट्रोलिंग के लिए निकलते हैं. हम लगातार सरप्राइज चेकिंग करते हैं. उसी में बहुत सारे लोग चाकू के साथ मिलते हैं. आसपास की दुकान में जहां फैंसी चाकू मिल सकते हैं, वहां जाकर हमने चाकू जप्त किए हैं.

सवाल: आपके करियर में ऐसा कोई अचीवमेंट जिसे डील करके आपको सकून मिला हो?

जवाब: मेरे लिए सबसे बड़ा अचीवमेंट यही होता है कि कोई अगर परेशान होकर आया है और मैं उनकी मदद कर पाई हूं. मेरे लिए वही अचीवमेंट होता है. किसी केस की बात की जाए तो मैंने जब रायपुर में प्रोबेशन पीरियड में पॉक्सो केस इन्वेस्टिगेट किया था, उसके ट्रायल में मैं गई और सब कुछ प्रोसेस मैने अटेंड किया. इसमें आरोपी को 20 साल की सजा हुई थी. जिस छोटी बच्ची के साथ गलत हुआ था, उसे न्याय दिलाने में मैं मदद कर पाई.

सवाल: महिलाएं भी अब अपराध की ओर बढ़ रहीं हैं. महिला अपराधियों से आप किस तरह डील करते हैं?

जवाब: अपराध अपराध होता है. अपराधी अपराधी होता है. वह जेंडर के अनुसार नहीं चलता. पहले पुरुष थे लेकिन अभी लड़कियां और महिलाएं भी आपराधिक कृत्य कर रहीं हैं. कोई भी गलत करता है चाहे वह महिला हो या पुरूष. महिलाओं के केस डील करने के लिए हमारे पास स्पेशल सेल है. जिनसे हम इस चीज में मदद लेते हैं. कानून महिलाओं और पुरुष दोनों के लिए बराबर है.

यह भी पढ़ें: हर घर तिरंगा अभियान अंबिकापुर: देशप्रेम में तिरंगे से रंग दिया घर

सवाल: आपने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की लेकिन आपने सिविल सर्विस को क्यों चुना?

जवाब: इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद लोग दोनों चीजें कर सकते हैं. ऐसा नहीं है कि इंजीनियरिंग की है तो इंजीनियर फील्ड में ही नौकरी करनी है. मेरे माता पिता दोनों ही सर्विस में थे. मेरी फ्रेंड के पिता आईपीएस थे. इन सभी चीजों से प्रभावित होकर मैं इस फील्ड में आई. मैं आपने काम से सैटिस्फाइड हूं और बहुत खुश हूं .

सवाल: आपके परिवार में कोई पुलिस बैकग्राउंड से नहीं है. पुलिस डिपार्टमेंट को लेकर लोगों में नकारात्मक छवि है ? परिवार का क्या कहना है?

जवाब: समाज में पुलिस को लेकर अलग अलग सोच है. जहां तक परिवार की बात है. जब उन्हें पता चला तो वह बहुत खुश थे लेकिन वे थोड़ा परेशान भी थे कि मैं वहां कैसे सर्वाइव कर पाऊंगी. ट्रेनिंग के दौरान जब उन्होंने देखा कि मैं सब चीजों को इंजॉय कर रही हूं. चाहे वह 40 किलोमीटर का रूट मार्च हो या फिर लगातार 16 किलोमीटर की रनिंग हो. परिवार के लोगों का इन सभी चीजों को एक्सेप्ट करना थोड़ा मुश्किल होता है कि यह सारी चीजें कैसे हो रही है. लेकिन ट्रेनिंग के दौरान मैंने अपनी सभी चीजों को इंजॉय किया. उन्होंने मुझे फील्ड पर काम करते हुए देखा और वे आश्वस्त हो गए कि उनकी बेटी अच्छा काम कर रही है.

सवाल: देश में महिलाओं के साथ दुष्कर्म के मामले कम नहीं हो रहे हैं. इसे किस तरह से आप देखती हैं?

जवाब: दुष्कर्म के मामले अगर रिपोर्ट हो रहे हैं यह खराब बात नहीं है. जिनके साथ गलत हो रहा है वो महिलाएं आगे आकर उस मामले पर रिपोर्ट कर रहीं हैं. पहले बदनामी के डर से लोग आगे नहीं आते थे. यह चीज गलत नहीं है कि केस आ रहे हैं. हम उन शिकायत पर कितना जल्दी इंवेस्टिगेशन कर रहे हैं. वास्तव में पीड़िता को किस तरह से न्याय दिला पा रहे हैं, वह महत्वपूर्ण है. नारी सशक्तिकरण की अगर बात की जाए तो हमारे विभाग द्वारा पिंक गश्त की शुरुआत की गई है. महीने में हम सभी महिला पुलिस अधिकारी स्टाफ बाहर निकलते हैं. बच्चों और महिलाओ से इंटरैक्शन करते है. हमारा लक्ष्य ही रहता है कि महिलाओं की अगर कोई समस्या है तो वह हम से सीधे मिलकर अपनी समस्या बता पाएं. अगर कोई महिला अपनी पहचान नहीं बताना चाहती तो उन की गोपनीयता बनाए रखते हुए हम उनकी मदद करते हैं.

सवाल: जो बच्चे यूपीएससी की तैयारी कर रहे हैं, उन्हें आप क्या संदेश देना चाहेंगी?

जवाब: जो लोग यूपीएससी या स्टेट सर्विस की तैयारी कर रहे हैं. मैं अपनी तरफ से भी बहुत बहुत शुभकामनाएं देना चाहूंगी. अगर आप सही दिशा में तैयारी करें, मॉक टेस्ट की तैयारी करके, करंट अफेयर्स को एनालिसिस करके अपनी तैयारी कर रहे हैं तो जरूर आपको कामयाबी मिलेगी.

रायपुर: आज के समय में महिलाएं पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं. क्षेत्र में महिलाओं का योगदान बढ़ता जा रहा. 2019 बैच की आईपीएस अधिकारी रत्ना सिंह ने भी कड़ी मेहनत से सफलता अर्जित की है.

सवाल: रत्ना सिंह से आईपीएस रत्ना सिंह बनने का सफर कैसा रहा ?

जवाब: मैंने अपने कॉलेज में अंतिम वर्ष में यूपीएससी की तैयारी शुरू की थी. मेरी फ्रेंड भी UPSC की तैयारी कर रही थी. मेरी फ्रेंड के पिता आईपीएस ऑफिसर थे. उनसे ही प्रेरित होकर मैंने तैयारी शुरू की. मैंने तीन बार यूपीएससी की परीक्षा दी. तीसरे प्रयास में मेरा सलेक्शन हुआ.

ऑफिसर रत्ना सिंह से खास बातचीत

सवाल: क्या आपने पहले से तय कर रखा था आईपीएस बनना?

जवाब: सारी सर्विसेज अच्छी है. चाहे आप आईएएस बनें या आईपीएस बनें. कोई भी सर्विस आप करें, उसमें देश की सेवा कर रहे हैं. लोगों की सेवा कर रहे हैं. लेकिन एक बार वर्दी पहनने के बाद मुझें कभी ऐसा फील नहीं हुआ कि इस सर्विस को छोड़कर कहीं और जाना है. जिस तरह हम पब्लिक के साथ इंटरेक्शन करते हैं. पब्लिक अपनी समस्या लेकर सीधा हमसे मुलाकात करती है. हमारे पास भी सीधा मौका रहता है, उनकी परेशानी को हल करने का. उस अनुभव के बाद मुझे कभी नहीं लगा कि मैं और कहीं फिट हो सकती हूं या इससे बेहतर मैं और कोई काम कर सकती हूं.

सवाल: हाल ही में आपने वैवाहिक जीवन में प्रवेश किया है. ऑफिस और घर कैसे मैनेज कर पाती हैं?

जवाब: पुलिस में होने के नाते हम लोगों का वर्किग टाइम फिक्स नहीं है. आधी रात में भी अगर कुछ होता है तो जाना पड़ता है. इसलिए मैं अपने घरवालों का शुक्रिया अदा करना चाहूंगी. वे बहुत अंडरस्टेंडिंग हैं. मेरे जॉब के नेचर को समझते हैं. कभी कन्वेंशन डिमांड नहीं रखते. उतनी समझ परिवार वालों को है तो सारी चीजे मैनेज हो जाती है.

यह भी पढ़ें: आजादी का अमृत महोत्सव : रायपुर में आजादी की याद दिला रहे चौक चौराहे

सवाल: आपके कार्य क्षेत्र में 4 थाने आते हैं. लगातार शहर में चाकूबाजी की घटनाएं और क्राइम बढ़ रहे हैं. आप इन सभी चीजों से कैसे डील करती हैं?

जवाब: चाकूबाजी की घटनाएं बहुत ही सीरियस इश्यू है. हाल ही में 2 मामले चाकूबाजी के आए हैं. जब ऐसी घटनाएं होती हैं, हमारा यही स्टेप होता है कि जल्दी से जल्दी आरोपी को पकड़ें और चार्जशीट दायर कर प्रार्थी को जल्द से जल्द न्याय दिलाने का प्रयास करें. जो लोग सोशल मीडिया पर चाकू और तलवार के साथ फोटो पोस्ट करते हैं, उनकी पहचान कर रहे हैं. उनकी भी रेगुलेर चेकिंग होती है. शाम को पेट्रोलिंग के लिए निकलते हैं. हम लगातार सरप्राइज चेकिंग करते हैं. उसी में बहुत सारे लोग चाकू के साथ मिलते हैं. आसपास की दुकान में जहां फैंसी चाकू मिल सकते हैं, वहां जाकर हमने चाकू जप्त किए हैं.

सवाल: आपके करियर में ऐसा कोई अचीवमेंट जिसे डील करके आपको सकून मिला हो?

जवाब: मेरे लिए सबसे बड़ा अचीवमेंट यही होता है कि कोई अगर परेशान होकर आया है और मैं उनकी मदद कर पाई हूं. मेरे लिए वही अचीवमेंट होता है. किसी केस की बात की जाए तो मैंने जब रायपुर में प्रोबेशन पीरियड में पॉक्सो केस इन्वेस्टिगेट किया था, उसके ट्रायल में मैं गई और सब कुछ प्रोसेस मैने अटेंड किया. इसमें आरोपी को 20 साल की सजा हुई थी. जिस छोटी बच्ची के साथ गलत हुआ था, उसे न्याय दिलाने में मैं मदद कर पाई.

सवाल: महिलाएं भी अब अपराध की ओर बढ़ रहीं हैं. महिला अपराधियों से आप किस तरह डील करते हैं?

जवाब: अपराध अपराध होता है. अपराधी अपराधी होता है. वह जेंडर के अनुसार नहीं चलता. पहले पुरुष थे लेकिन अभी लड़कियां और महिलाएं भी आपराधिक कृत्य कर रहीं हैं. कोई भी गलत करता है चाहे वह महिला हो या पुरूष. महिलाओं के केस डील करने के लिए हमारे पास स्पेशल सेल है. जिनसे हम इस चीज में मदद लेते हैं. कानून महिलाओं और पुरुष दोनों के लिए बराबर है.

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सवाल: आपने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की लेकिन आपने सिविल सर्विस को क्यों चुना?

जवाब: इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद लोग दोनों चीजें कर सकते हैं. ऐसा नहीं है कि इंजीनियरिंग की है तो इंजीनियर फील्ड में ही नौकरी करनी है. मेरे माता पिता दोनों ही सर्विस में थे. मेरी फ्रेंड के पिता आईपीएस थे. इन सभी चीजों से प्रभावित होकर मैं इस फील्ड में आई. मैं आपने काम से सैटिस्फाइड हूं और बहुत खुश हूं .

सवाल: आपके परिवार में कोई पुलिस बैकग्राउंड से नहीं है. पुलिस डिपार्टमेंट को लेकर लोगों में नकारात्मक छवि है ? परिवार का क्या कहना है?

जवाब: समाज में पुलिस को लेकर अलग अलग सोच है. जहां तक परिवार की बात है. जब उन्हें पता चला तो वह बहुत खुश थे लेकिन वे थोड़ा परेशान भी थे कि मैं वहां कैसे सर्वाइव कर पाऊंगी. ट्रेनिंग के दौरान जब उन्होंने देखा कि मैं सब चीजों को इंजॉय कर रही हूं. चाहे वह 40 किलोमीटर का रूट मार्च हो या फिर लगातार 16 किलोमीटर की रनिंग हो. परिवार के लोगों का इन सभी चीजों को एक्सेप्ट करना थोड़ा मुश्किल होता है कि यह सारी चीजें कैसे हो रही है. लेकिन ट्रेनिंग के दौरान मैंने अपनी सभी चीजों को इंजॉय किया. उन्होंने मुझे फील्ड पर काम करते हुए देखा और वे आश्वस्त हो गए कि उनकी बेटी अच्छा काम कर रही है.

सवाल: देश में महिलाओं के साथ दुष्कर्म के मामले कम नहीं हो रहे हैं. इसे किस तरह से आप देखती हैं?

जवाब: दुष्कर्म के मामले अगर रिपोर्ट हो रहे हैं यह खराब बात नहीं है. जिनके साथ गलत हो रहा है वो महिलाएं आगे आकर उस मामले पर रिपोर्ट कर रहीं हैं. पहले बदनामी के डर से लोग आगे नहीं आते थे. यह चीज गलत नहीं है कि केस आ रहे हैं. हम उन शिकायत पर कितना जल्दी इंवेस्टिगेशन कर रहे हैं. वास्तव में पीड़िता को किस तरह से न्याय दिला पा रहे हैं, वह महत्वपूर्ण है. नारी सशक्तिकरण की अगर बात की जाए तो हमारे विभाग द्वारा पिंक गश्त की शुरुआत की गई है. महीने में हम सभी महिला पुलिस अधिकारी स्टाफ बाहर निकलते हैं. बच्चों और महिलाओ से इंटरैक्शन करते है. हमारा लक्ष्य ही रहता है कि महिलाओं की अगर कोई समस्या है तो वह हम से सीधे मिलकर अपनी समस्या बता पाएं. अगर कोई महिला अपनी पहचान नहीं बताना चाहती तो उन की गोपनीयता बनाए रखते हुए हम उनकी मदद करते हैं.

सवाल: जो बच्चे यूपीएससी की तैयारी कर रहे हैं, उन्हें आप क्या संदेश देना चाहेंगी?

जवाब: जो लोग यूपीएससी या स्टेट सर्विस की तैयारी कर रहे हैं. मैं अपनी तरफ से भी बहुत बहुत शुभकामनाएं देना चाहूंगी. अगर आप सही दिशा में तैयारी करें, मॉक टेस्ट की तैयारी करके, करंट अफेयर्स को एनालिसिस करके अपनी तैयारी कर रहे हैं तो जरूर आपको कामयाबी मिलेगी.

Last Updated : Aug 9, 2022, 4:06 PM IST
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