रायपुर : आर्थिक नाकेबंदी आंदोलन कार्यक्रम में सर्व आदिवासी समाज के साथ ही आदिवासी समाज के जनप्रतिनिधि भी इसमें समर्थन करेंगे. सर्व आदिवासी समाज के द्वारा 32% आरक्षण की मांग को लेकर 10 अक्टूबर से प्रदेश भर में चरणबद्ध तरीके से आंदोलन किया जा रहा है. 1 नवंबर को सभी जिला मुख्यालय में राज्य उत्सव का विरोध करने के साथ ही एक दिवसीय धरना भी दिया गया था. (economic blockade on demand of reservation)
आरक्षण पर फैसला गलत : सर्व आदिवासी समाज के प्रदेश उपाध्यक्ष संतोषी ठाकुर का कहना है कि "आरक्षण के मामले में हाईकोर्ट ने जो फैसला दिया है, आदिवासी समाज के साथ अन्याय और कुठाराघात हुआ है. सर्व आदिवासी समाज और अनुसूचित जाति शासकीय सेवक संघ की एक बैठक हुई थी, जिसमें हाईकोर्ट के द्वारा दिए गए इस फैसले को लेकर नाराजगी जताते हुए 15 नवंबर को पूरे प्रदेश में आर्थिक नाकेबंदी करने का निर्णय लिया गया. पूरे जोरशोर से 15 नवंबर को प्रदेश भर में आर्थिक नाकेबंदी करने के साथ ही छत्तीसगढ़ बंद करने का भी निर्णय लिया गया है. छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा 32% आरक्षण का अध्यादेश अब तक नहीं लाई है, जिसके कारण इस तरह के कदम सर्व आदिवासी समाज को उठाना पड़ रहा है." (sarva aadiwashi samaj economic blockade)
सरकार के खिलाफ आदिवासियों का गुस्सा : सर्व आदिवासी समाज के प्रदेश अध्यक्ष बीएस रावटे का कहना है कि "19 सितंबर को हाई कोर्ट के द्वारा दिए गए फैसले को लेकर प्रदेश सरकार ने अब तक किसी तरह की कोई ठोस कार्यवाही नहीं की है. जिसके कारण प्रदेश के आदिवासी समाज को सड़क पर उतरकर लड़ाई लड़ने को मजबूर होना पड़ रहा है. सरकार के रवैया से आदिवासी समाज आक्रोशित और नाराज हैं. सर्व आदिवासी समाज के द्वारा 15 नवंबर को होने वाले आर्थिक नाकेबंदी को लेकर प्रदेश के अलग-अलग जिलों में बैठक लेकर आदिवासी समाज को एकजुट और लामबंद किया जा रहा है."