रायपुर: संतान सप्तमी संतान की प्राप्ति, संतान की रक्षा, संतान के आरोग्य ऐश्वर्य शांति और सुख प्राप्ति के लिए किया जाने वाला महापर्व माना गया है. यह महापर्व इस साल भाद्रपद शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि शुक्रवार के दिन मनाया जाएगा. ज्येष्ठा गौरी पूजन के साथ, ज्येष्ठा नक्षत्र, आयुष्मा, चर योग और विश्व कुंभकरण वृश्चिक और धनु राशि के चंद्रमा में मनाया जाएगा. इसे ललिता सप्तमी 2023, संतान सप्तमी, मुक्ताभरण सप्तमी के नाम से भी जाना जाता है.
संतान सप्तमी का महत्व: संतान सप्तमी पर सुहागिन महिलाएं अपने पुत्र की लंबी आयु की रक्षा, संतान के आरोग्य कामना, ऐश्वर्य और शांति के लिए करती हैं. यह पर्व माता पार्वती और भगवान शंकर की पूजा के लिए प्रसिद्ध है.
संतान सप्तमी की पूजा: पंडित विनीत शर्मा ने बताया कि इस दिन भगवान शंकर और मां पार्वती की विशेष पूजा की जाती है. इस शुभ दिन व्रत, उपवास, अनुष्ठान रखने का विशेष दिन माना गया है. इस दिन माता पार्वती को नए वस्त्र, चूड़ियां, सुहाग की सामग्री अर्पित की जाती है. यह पावन पर्व बड़े उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है. इस उपवास को निराहार, फलाहारी अथवा एकाशना रूप में किया जा सकता है. माता पार्वती की पूजा करने पर ऐसी महिलाएं जिन्हें संतान सुख नहीं मिला है, उन्हें संतान की प्राप्ति होती है.
संतान सप्तमी अपने आप में अद्भुत और अद्वितीय माना गया है. इस पावन पर्व के शुभ दिन पार्वती और शंकर भगवान को सप्तधान्य यानी 7 तरह के अनाज, 7 तरह के फल के साथ ही 7 तरह का मीठा प्रसाद, 7 तरह के फूल अर्पित किए जाते हैं. सप्तमी तिथि के दिन 7 अंक का विशेष महत्व रहता है. इसलिए पूरे मनोयोग और श्रद्धा के साथ संतान सप्तमी का पर्व मनाना चाहिए.