रायपुर: "जनता के मेहनत की गाढ़ी कमाई को पानी में बहाना" यह कहावत तो सभी ने सुनी होगी लेकिन जनता के मेहनत की गाढ़ी कमाई को सैनिटाइजर में बहाना, ये कहावत आपने नहीं सुनी होगी. लेकिन इन दिनों छत्तीसगढ़ का खाद विभाग कुछ इसी कहावत को चरितार्थ कर रहा है. इस विभाग की बैठकों में जितनी बोतल पानी की नहीं होती है उससे ज्यादा बोतल सैनिटाइजर की रखी जा रही है जिसे जनता की गाढ़ी कमाई से विभाग खरीद रहा है.
क्या है पूरा मामला
सोमवार को खाद्य मंत्री अमरजीत भगत की अध्यक्षता में राज्य भंडारण निगम की बैठक हुई, जिस टेबल पर बैठक चल रह थी वहां मंत्री अमरजीत के अलावा 5 और अधिकारी मौजूद रहे, इनमें खाद्य विभाग के सचिव कमलप्रीत सिंह, राज्य भंडारण निगम के प्रबंध निदेशक एलेक्स पॉल मेनन, राज्य भंडारण निगम के सचिव व महाप्रबंधक आर के सिंह सहित दो अन्य अधिकारी भी शामिल रहे. इन अधिकारियों के लिए टेबल पर 14 पानी की छोटी बोतलें रखी गई थी, वहीं इन बोतलों के साथ ही 7 बड़ी-बड़ी सैनिटाइजर की बोतल टेबल पर रखी गई यानि टेबल पर मंत्री और अधिकारियों के पीने के लिए जितनी मात्रा में पानी रखा गया लगभग उतनी ही मात्रा में सैनिटाइजर रखा गया, जबकि मीटिंग में एक सैनिटाइजर की बोतल से भी काम चल सकता था.ऐसे में यह कहावत चरितार्थ होती है कि "जनता के मेहनत की गाढ़ी कमाई को खाद्य विभाग सैनिटाइजर में बहा रहा है.
सरकार की कथनी और करनी में अंतर
बता दें कि राज्य सरकार अक्सर सभी विभागों में मितव्यता और खर्चों में कटौती की बात करती रहती है इसके लिए समय-समय पर मुख्यमंत्री और मंत्रियों के की तरफ से निर्देशित भी किया जाता है लेकिन जिस तरह से राज्य भंडारण निगम की बैठक में सैनिटाइजर की बोतलें देखने को मिली है उससे साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकार की कथनी और करनी में कितना अंतर है.