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Wearing Gems: अगर आप भी धारण करने जा रहे हैं रत्न तो पहले जान लें इससे जुड़े नियम - ग्रहों के प्रभाव

ग्रहों के प्रभाव को घटाने या बढ़ाने में रत्नों की खासी भूमिका होती है. अगर आप भी कोई रत्न धारण करने जा रहे हैं तो कुछ खास बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी होता है. ज्योतिष महेंद्र कुमार ठाकुर ने इस विषय में विस्तार से जानकारी दी है.

rules of wearing gems
रत्न धारण करने के नियम
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Published : Mar 27, 2023, 5:24 PM IST

ज्योतिष महेंद्र कुमार ठाकुर

रायपुर: रत्नों को धारण करना बहुत महत्वपूर्ण होता है. रत्न ग्रहों के प्रभाव को परिवर्तित करने, बदलने, घटाने, बढ़ाने में पूरी तरह सक्षम हैं. कई रत्नों का प्रभाव तो तत्काल दिखाई पड़ता है. माणिक का प्रभाव, नीलम का प्रभाव, हीरे का प्रभाव और गोमेद का प्रभाव तत्काल दिखता है. बाकी रत्न भी अपना प्रभाव दिखाते हैं.

ये हैं रत्न धारण करने के नियम: रत्न धारण करने से ग्रहों की ताकत बढ़ जाती है. अगर कोई ग्रह कुंडली में 1 डिग्री का है, तो रत्न के कारण उसकी शक्ति 6 डिग्री हो जाती है. इस तरह से लगभग 5 डिग्री का प्रभाव रत्न बढ़ा ही देते हैं. लेकिन रत्नों को धारण करने के लिए खास प्रक्रिया होती है. रत्न की प्राण प्रतिष्ठा कर विधिवत मंत्रोच्चार के साथ उसकी पूजा-अर्चना करने के बाद ही धारण किया जाना चाहिए, तभी उसका फल मिलता है.

इसलिए जरूरी है रत्नों की प्राण प्रतिष्ठा: ज्योतिष महेंद्र कुमार ठाकुर कहते हैं कि "बिना प्राण प्रतिष्ठा के रत्न धारण करना लाभकारी नहीं होता. बिना प्राण प्रतिष्ठा के रत्न धारण करने पर नुकसान ही होता है. रत्न धारण करने की अवधि भी निश्चित होनी चाहिए. ग्रह की महादशा, अंतर्दशा और गोचर में ग्रहों की स्थिति के आधार पर रत्न का चुनाव किया जाना चाहिए. उसे 3 साल के अंदर प्राण प्रतिष्ठा की जानी चाहिए. ताकि रत्न प्रभावी बना रहे. रत्न धारण के समय यह भी देखा जाना चाहिए कि कहीं उसके शत्रु ग्रह की दशा तो नहीं आ रही है, गोचर में उनका शत्रु ग्रह प्रभावशाली हो रहा है, जो कुंडली के लिए राजयोग देने वाला है. ऐसी स्थिति में जिस रत्न को जातक धारण करता है, वह रत्न तो नुकसान नहीं करता लेकिन राजयोग देने वाले शत्रु ग्रह का प्रभाव क्षीण हो जाता है."

यह भी पढ़ें: Balrampur: रामानुजगंज में चैती छठ को लेकर भक्तों में उत्साह, कन्हर नदी घाट पर तैयारी पूरी

रत्नों की शुद्धता जरूरी: ज्योतिष महेंद्र कुमार ठाकुर ने बताया कि "रत्न के धारण का समय निश्चित करना किसी भी ज्योतिषी और जातक दोनों के लिए महत्वपूर्ण है, ताकि रत्नों के धारण का अधिक से अधिक शुभ फल मिल सके. इसके अलावा रत्न की शुद्धता बहुत जरूरी है. अधिक अच्छा हो कि रत्न की पहचान किसी तकनीकी जानकार से करा ली जाए, तो रत्न अधिक लाभकारी होता है. धोखा होने की संभावना नहीं रहती. दोषपूर्ण रत्न की पहचान हो जाती है. इसलिए जहां तक हो सके रत्न धारण ना करके सामान्य जातक को मंत्र जाप करना चाहिए. संबंधित ग्रहों के मंत्र जाप से जातक को केवल लाभ ही होता है, कोई नुकसान नहीं होता. इसलिए मंत्र जाप रत्नों की तुलना में अधिक महत्वपूर्ण माना गया है. रत्न अशुद्ध हो तो हानिकारक होता है."

इन बातों का रखें ख्याल: ज्योतिष महेंद्र कुमार ठाकुर ने बताया कि "सूर्य के लिए जातक को माणिक धारण करना चाहिए. चंद्रमा के लिए जातक को मोती धारण करना चाहिए. मंगल के लिए जातक को मूंगा धारण करना चाहिए. बुध के लिए जातक को पन्ना, बृहस्पति के लिए पुखराज, शुक्र के लिए हीरा, शनि के लिए नीलम, राहु के लिए गोमेद और केतु के लिए जातक को कैट्स आई धारण करना चाहिए. इसमें नीलम, गोमेद, हीरा, माणिक और पुखराज तत्काल अपना असर दिखाते हैं."

ज्योतिष महेंद्र कुमार ठाकुर

रायपुर: रत्नों को धारण करना बहुत महत्वपूर्ण होता है. रत्न ग्रहों के प्रभाव को परिवर्तित करने, बदलने, घटाने, बढ़ाने में पूरी तरह सक्षम हैं. कई रत्नों का प्रभाव तो तत्काल दिखाई पड़ता है. माणिक का प्रभाव, नीलम का प्रभाव, हीरे का प्रभाव और गोमेद का प्रभाव तत्काल दिखता है. बाकी रत्न भी अपना प्रभाव दिखाते हैं.

ये हैं रत्न धारण करने के नियम: रत्न धारण करने से ग्रहों की ताकत बढ़ जाती है. अगर कोई ग्रह कुंडली में 1 डिग्री का है, तो रत्न के कारण उसकी शक्ति 6 डिग्री हो जाती है. इस तरह से लगभग 5 डिग्री का प्रभाव रत्न बढ़ा ही देते हैं. लेकिन रत्नों को धारण करने के लिए खास प्रक्रिया होती है. रत्न की प्राण प्रतिष्ठा कर विधिवत मंत्रोच्चार के साथ उसकी पूजा-अर्चना करने के बाद ही धारण किया जाना चाहिए, तभी उसका फल मिलता है.

इसलिए जरूरी है रत्नों की प्राण प्रतिष्ठा: ज्योतिष महेंद्र कुमार ठाकुर कहते हैं कि "बिना प्राण प्रतिष्ठा के रत्न धारण करना लाभकारी नहीं होता. बिना प्राण प्रतिष्ठा के रत्न धारण करने पर नुकसान ही होता है. रत्न धारण करने की अवधि भी निश्चित होनी चाहिए. ग्रह की महादशा, अंतर्दशा और गोचर में ग्रहों की स्थिति के आधार पर रत्न का चुनाव किया जाना चाहिए. उसे 3 साल के अंदर प्राण प्रतिष्ठा की जानी चाहिए. ताकि रत्न प्रभावी बना रहे. रत्न धारण के समय यह भी देखा जाना चाहिए कि कहीं उसके शत्रु ग्रह की दशा तो नहीं आ रही है, गोचर में उनका शत्रु ग्रह प्रभावशाली हो रहा है, जो कुंडली के लिए राजयोग देने वाला है. ऐसी स्थिति में जिस रत्न को जातक धारण करता है, वह रत्न तो नुकसान नहीं करता लेकिन राजयोग देने वाले शत्रु ग्रह का प्रभाव क्षीण हो जाता है."

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रत्नों की शुद्धता जरूरी: ज्योतिष महेंद्र कुमार ठाकुर ने बताया कि "रत्न के धारण का समय निश्चित करना किसी भी ज्योतिषी और जातक दोनों के लिए महत्वपूर्ण है, ताकि रत्नों के धारण का अधिक से अधिक शुभ फल मिल सके. इसके अलावा रत्न की शुद्धता बहुत जरूरी है. अधिक अच्छा हो कि रत्न की पहचान किसी तकनीकी जानकार से करा ली जाए, तो रत्न अधिक लाभकारी होता है. धोखा होने की संभावना नहीं रहती. दोषपूर्ण रत्न की पहचान हो जाती है. इसलिए जहां तक हो सके रत्न धारण ना करके सामान्य जातक को मंत्र जाप करना चाहिए. संबंधित ग्रहों के मंत्र जाप से जातक को केवल लाभ ही होता है, कोई नुकसान नहीं होता. इसलिए मंत्र जाप रत्नों की तुलना में अधिक महत्वपूर्ण माना गया है. रत्न अशुद्ध हो तो हानिकारक होता है."

इन बातों का रखें ख्याल: ज्योतिष महेंद्र कुमार ठाकुर ने बताया कि "सूर्य के लिए जातक को माणिक धारण करना चाहिए. चंद्रमा के लिए जातक को मोती धारण करना चाहिए. मंगल के लिए जातक को मूंगा धारण करना चाहिए. बुध के लिए जातक को पन्ना, बृहस्पति के लिए पुखराज, शुक्र के लिए हीरा, शनि के लिए नीलम, राहु के लिए गोमेद और केतु के लिए जातक को कैट्स आई धारण करना चाहिए. इसमें नीलम, गोमेद, हीरा, माणिक और पुखराज तत्काल अपना असर दिखाते हैं."

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