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RSS प्रमुख मोहन भागवत का छत्तीसगढ़ दौरा, जानिए राजनीतिक मायने

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Published : Nov 12, 2022, 4:51 PM IST

Updated : Nov 12, 2022, 7:36 PM IST

छत्तीसगढ़ में आरएसएस चीफ मोहन भागवत का दौरा प्रस्तावित है. ऐसे में राजनीतिक दलों में मोहन भागवत के दौरे को लेकर सुगबुगाहट तेज हो गई है. वैसे तो संघ प्रमुख मोहन भागवत छत्तीसगढ़ में आदिवासी जनजाति गौरव दिवस वाले दिन आ रहे हैं. जहां उन्हें जशपुर में मूर्ति का अनावरण करना है.लेकिन इसी बहाने विरोधी इस दौरे को चुनाव से जोड़कर देख रहे हैं.RSS chief Mohan Bhagwat visits Chhattisgarh

RSS प्रमुख मोहन भागवत का छत्तीसगढ़ दौरा

रायपुर : छत्तीसगढ़ में आरएसएस लगातार सक्रिय होती जा रही है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख सर संघ चालक डॉक्टर मोहन भागवत 14 -15 नवंबर दो दिवसीय छत्तीसगढ़ दौरे पर आने वाले हैं. मोहन भागवत के छत्तीसगढ़ प्रवास को लेकर राजनीतिक गलियों में हलचल तेज हो गई है. एक ओर छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव नजदीक है. इस लिहाज से भी मोहन भागवत के दौरे को बेहद अहम माना जा रहा है. सबसे ज्यादा चर्चा का विषय यह है कि आरएसएस प्रमुख का दो महीने के भीतर छत्तीसगढ़ का यह दूसरा दौरा है. (RSS chief Mohan Bhagwat visits Chhattisgarh)

क्या है कांग्रेस की राय : आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के दौरे को लेकर कांग्रेस संचार विभाग प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला का कहना है" राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ स्वयं को गैर राजनीतिक बताता है. लेकिन भारतीय जनता पार्टी के हितो के लिए वे हमेशा राजनीतिक गतिविधियों में शामिल होते. RSS गुड़ खाता है और गुलगुले से परहेज करता है. संघ का वास्तविक काम भारतीय जनता पार्टी के लिए पोलिंग मैनेजमेंट का काम करना है. जिस प्रकार से एनजीओ राजनीतिक दलों के लिए चुनावी मैनेजमेंट का काम करते हैं. लगभग वही स्थिति राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की है.''भाजपा ने साधी चुप्पी : आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के दौरे को लेकर जब ईटीवी भारत ने भाजपा नेताओं से संपर्क किया तो उन्होंने इस पूरे मामले पर कुछ कहने से इनकार कर दिया..राजनीति के जानकारों की राय : वहीं इस मामले पर राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार शशांक शर्मा का कहना है कि " राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ राजनीति में काम नहीं करता है. इसलिए संघ प्रमुख मोहन भागवत का छत्तीसगढ़ दौरे को राजनीतिक तरीके से नहीं देखना चाहिए. समाज में जिस तरह से हम रहते हैं. राजनीति कही ना कही से प्रभावित करती है. उस हिसाब से अगर देखेंगे तो मोहन भागवत छत्तीसगढ़ आएंगे तो भारतीय जनता पार्टी के नेता वहां जाएंगे. जनजाति क्षेत्र में जाएंगे तो संघ का जनजाति क्षेत्रों में प्रभाव रहता है. जिस कार्यक्रम के लिए भी आ रहे हैं वहां पर भाषण देंगे वह प्रभावित करेंगे. जिसका फायदा राजनीतिक तौर पर किसी पार्टी को मिल सकता है. किसी को नुकसान हो सकता है. लेकिन उनका दौरा किसी मायने में राजनीतिक नहीं है. जनजाति गौरव दिवस 15 नवंबर को बनाने का जो सिलसिला शुरू हुआ है, वह उसके कार्यक्रम में आ रहे, बिरसा मुंडा जनजाति के हीरो है. उनके मूर्ति और दिलीप सिंह जूदेव की मूर्ति के अनावरण भी करेंगे, राजनीतिक द्वारा उनका नहीं है और ऐसा होता भी नहीं है.'' वरिष्ठ पत्रकार उचित शर्मा का कहना है कि '' मोहन भागवत छत्तीसगढ़ में जिस कार्यक्रम में आ रहे हैं वह पहले से डिसाइडेड है. 14 और 15 नवंबर का प्रोग्राम है. 15 नवंबर को आदिवासी जनजाति गौरव दिवस के रूप में मनाती है. उसी कार्यक्रम में शामिल होने से छत्तीसगढ़ आ रहे हैं.राजनीति अलग चीज है. लेकिन जिस तरह से उनका फोकस छत्तीसगढ़ में भी रहता है. खासतौर पर उस वक्त पर जब 32% आरक्षण वाला मामला अपने चरम पर हो. इसके कई मायने निकाले जा सकते हैं .इसमें कोई डाउट नही है कि RSS के अनुषांगिक संगठन और भारतीय जनता पार्टी छत्तीसगढ़ में फोकस बनाए हुए है.''

रायपुर : छत्तीसगढ़ में आरएसएस लगातार सक्रिय होती जा रही है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख सर संघ चालक डॉक्टर मोहन भागवत 14 -15 नवंबर दो दिवसीय छत्तीसगढ़ दौरे पर आने वाले हैं. मोहन भागवत के छत्तीसगढ़ प्रवास को लेकर राजनीतिक गलियों में हलचल तेज हो गई है. एक ओर छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव नजदीक है. इस लिहाज से भी मोहन भागवत के दौरे को बेहद अहम माना जा रहा है. सबसे ज्यादा चर्चा का विषय यह है कि आरएसएस प्रमुख का दो महीने के भीतर छत्तीसगढ़ का यह दूसरा दौरा है. (RSS chief Mohan Bhagwat visits Chhattisgarh)

क्या है कांग्रेस की राय : आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के दौरे को लेकर कांग्रेस संचार विभाग प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला का कहना है" राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ स्वयं को गैर राजनीतिक बताता है. लेकिन भारतीय जनता पार्टी के हितो के लिए वे हमेशा राजनीतिक गतिविधियों में शामिल होते. RSS गुड़ खाता है और गुलगुले से परहेज करता है. संघ का वास्तविक काम भारतीय जनता पार्टी के लिए पोलिंग मैनेजमेंट का काम करना है. जिस प्रकार से एनजीओ राजनीतिक दलों के लिए चुनावी मैनेजमेंट का काम करते हैं. लगभग वही स्थिति राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की है.''भाजपा ने साधी चुप्पी : आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के दौरे को लेकर जब ईटीवी भारत ने भाजपा नेताओं से संपर्क किया तो उन्होंने इस पूरे मामले पर कुछ कहने से इनकार कर दिया..राजनीति के जानकारों की राय : वहीं इस मामले पर राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार शशांक शर्मा का कहना है कि " राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ राजनीति में काम नहीं करता है. इसलिए संघ प्रमुख मोहन भागवत का छत्तीसगढ़ दौरे को राजनीतिक तरीके से नहीं देखना चाहिए. समाज में जिस तरह से हम रहते हैं. राजनीति कही ना कही से प्रभावित करती है. उस हिसाब से अगर देखेंगे तो मोहन भागवत छत्तीसगढ़ आएंगे तो भारतीय जनता पार्टी के नेता वहां जाएंगे. जनजाति क्षेत्र में जाएंगे तो संघ का जनजाति क्षेत्रों में प्रभाव रहता है. जिस कार्यक्रम के लिए भी आ रहे हैं वहां पर भाषण देंगे वह प्रभावित करेंगे. जिसका फायदा राजनीतिक तौर पर किसी पार्टी को मिल सकता है. किसी को नुकसान हो सकता है. लेकिन उनका दौरा किसी मायने में राजनीतिक नहीं है. जनजाति गौरव दिवस 15 नवंबर को बनाने का जो सिलसिला शुरू हुआ है, वह उसके कार्यक्रम में आ रहे, बिरसा मुंडा जनजाति के हीरो है. उनके मूर्ति और दिलीप सिंह जूदेव की मूर्ति के अनावरण भी करेंगे, राजनीतिक द्वारा उनका नहीं है और ऐसा होता भी नहीं है.'' वरिष्ठ पत्रकार उचित शर्मा का कहना है कि '' मोहन भागवत छत्तीसगढ़ में जिस कार्यक्रम में आ रहे हैं वह पहले से डिसाइडेड है. 14 और 15 नवंबर का प्रोग्राम है. 15 नवंबर को आदिवासी जनजाति गौरव दिवस के रूप में मनाती है. उसी कार्यक्रम में शामिल होने से छत्तीसगढ़ आ रहे हैं.राजनीति अलग चीज है. लेकिन जिस तरह से उनका फोकस छत्तीसगढ़ में भी रहता है. खासतौर पर उस वक्त पर जब 32% आरक्षण वाला मामला अपने चरम पर हो. इसके कई मायने निकाले जा सकते हैं .इसमें कोई डाउट नही है कि RSS के अनुषांगिक संगठन और भारतीय जनता पार्टी छत्तीसगढ़ में फोकस बनाए हुए है.''
Last Updated : Nov 12, 2022, 7:36 PM IST
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