रायपुर: ऋषि पंचमी को रक्षा पंचमी या गुरु पंचमी के रूप में भी जाना जाता है. इस पर्व को ओडिशा में नुआखाई के रूप में भी मानते हैं. आज विशाखा नक्षत्र, विश्कुंभ योग, बालव और कौरव कारण, प्रजापति योग का संयोग बना है. यह विशेष संयोग बहुत शुभ होता है.
क्यों मनाई जाती है ऋषि पंचमी?: ऋषि पंचमी के दिन अपने बुरे कर्मों के प्रायश्चित के लिए सभी सप्त ऋषियों की पूजा करने का विधान है. यह पर्व प्रायश्चित करने का महापर्व माना गया है. आज के शुभ दिन जाने-अनजाने सभी तरह की गलतियां और पापों के लिए प्रायश्चित किया जाता है. ऋषि पंचमी के शुभ दिन विश्वामित्र, परशुराम जी, भृगु सहित सभी सप्त ऋषियों की पूजा की जाती है. सभी सप्तर्षि भक्तों को आशीर्वाद देते हैं. आज के शुभ दिन गुरुजनों, विद्वानों, आचार्य और शिक्षकों की भी पूजा की जाती है.
सप्तर्षियों का पूजन ऐसे करें: सुबह उठकर ब्रह्म मुहूर्त में स्नान ध्यान कर सप्तर्षियों का आह्वान करें. पवित्र पूजा स्थल की सफाई करें. सप्तऋषियों के चित्रों को सम्मान के साथ स्थान दें. सप्तऋषियों को माला चढ़ाएं. सभी देवताओं की विधिविधान से पूजा करें. ऐसी मान्यता है कि शुद्ध अंतःकरण और पवित्र चरित्र से इस पर्व को मनाने पर सभी कामनाएं पूरी होती है.
सप्त ऋषियों का मिलेगा आशीर्वाद: महर्षियों के चरित्र का गौरव गान और कथा सुनकर जीवन में की गई गलतियों को सुधारने का संकल्प ऋषि पंचमी के दिन किया जाता है. आज के शुभ दिन व्रत, उपवास, अनुष्ठान और गुरु मंत्र का पाठ करना अत्यंत शुभ माना जाता है. सभी गुरुजनों की पूजा भी आज के शुभ दिन की जाती है. ऐसा करने पर सभी तरह के दोष दूर हो जाते हैं. यह पवित्र दिन पूरी आस्था, सात्विकता और जीवन के महान उच्चतम मूल्य के साथ मनाए जाने का दिवस है. आज का शुभ दिन नए संकल्प लेकर फिर से जीवन को सुव्यवस्थित करने का शुभ पर्व माना गया है.