रायपुर: छत्तीसगढ़ की सियासत धान के इर्द-गिर्द घूमती नजर आती है. एक बार फिर इसी मुद्दे पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच घमासान की स्थिति है. दरअसल प्रदेश के कई खरीदी केंद्रों में कामकाज ठप होने की स्थिति है. इसको लेकर जहां भाजपा राज्य सरकार पर किसानों से छलावा करने का आरोप लगा रही है. वहीं कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया है. चावल का उठाव नहीं होने के चलते खरीदी प्रभावित हो रही है. पिछले दो दशक में ऐसी स्थिति पहली बार निर्मित हो रही है, धान खरीदी के लिए इतने बड़े पैमाने पर केंद्रों में खरीदी नहीं हो पा रही है.
भाजपा का क्या कहना?
धान खरीदी एक-एक कर कई जिलों में प्रभावित हो रही है. इस पर बीजेपी नेताओं का साफ कहना है कि सरकार किसानों का धान खरीदना ही नहीं चाहती है. इसलिए राजनीति कर रही है. इस पूरे मुद्दे पर बीजेपी और केंद्र के बीच सोशल मीडिया पर जंग छिड़ गई है. बीजेपी का कहना है कि कोविड-19 का दौर में अप्रैल महीने में ही बारदाने की कमी की आशंका व्यक्त की गई थी. लेकिन राज्य सरकार ने कोई ध्यान नहीं दिया.
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कांग्रेस ने किया पलटवार
धान खरीदी के हालात पर मुख्यमंत्री खुद नजर बनाए हुए हैं. कांग्रेस का आरोप है कि केंद्र सरकार ने किसान विरोधी नीति के तहत पहले बारदाना सप्लाई नहीं किया. फिर चावल का उठाव रोककर, धान खरीदी को प्रभावित करने की कोशिश कर रही है. इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री ने पीएम से बात भी की है. धान खरीदी कई सोसाइटी में बंद होने की स्थिति है. ऐसे में राज्य सरकार को इस संबंध में ठोस रणनीति बनानी होगी. पिछले साल भी कई जिलों में लिंक फेल होने जैसी समस्या के चलते किसानों को भारी समस्या का सामना करना पड़ा था. ऐसे में समर्थन मूल्य को लेकर उत्साहित किसानों को निराश होने में वक्त नहीं लगेगा.