रायपुर : राम जन्मभूमि विवाद सुलझने के बाद भगवान राम की माता कौशल्या के जन्म से जुड़े सवालों को सुलझाने की कोशिश की जा रही है. माना जाता है कि माता कौशल्या की जन्मस्थली चंदखुरी है और सरकार ने इस स्थान को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की योजना बनाई है. इसी कड़ी में अब दूधाधारी मठ ने ऐलान किया है कि 'ज्योतिष गणना कर माता कौशल्या के जन्मतिथि का निर्धारण करने वालों को 11 लाख रुपए इनाम दिया जाएगा'.
बता दें कि छत्तीसगढ़ को पुरातन काल से दक्षिण कोसल के नाम से जाना जाता है. रामचरित मानस और वाल्मिकी रामायण में भी कौशल प्रदेश का उल्लेख मिलता है. मान्यता है कि माता कौशल्या इसी कौशल प्रदेश (छत्तीसगढ़) की राजकुमारी थीं. उनके पिता भानुमंत और माता सुबाला-अमृतप्रभा थीं.
चंदखुरी में है कौशल्या मां का एकमात्र मंदिर
राजधानी रायपुर से तकरीबन 25 किलोमीटर दूर चंदखुरी (प्राचीन नाम चंद्रपुरी) गांव है, जिसे माता कौशल्या की जन्मस्थली माना जाता है. यहां माता कौशल्या का मंदिर है, जो देश में कौशल्या मां का एकमात्र मंदिर है. छत्तीसगढ़ सरकार ने राम वनगमन मार्ग पर स्थित प्रमुख स्थलों को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का निर्णय लिया है. इसकी शुरुआत चंदखुरी से की जा रही है. मान्यता है कि वनवास के दौरान भगवान राम के छत्तीसगढ़ के 8 प्रमुख स्थानों में रुके थे.
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दूधाधारी मठ कर रहा जानकारी जुटाने का प्रयास
सरकार के साथ-साथ से माता कौशल्या को लेकर जानकारी जुटाने का काम दूधाधारी मठ भी कर रहा है. इसके लिए कांग्रेस के पूर्व विधायक और दूधाधारी मठ के प्रमुख रामसुंदर दास पहल कर रहे हैं.
प्रमाण प्रस्तुत करने का आग्रह
दूधाधारी मठ के प्रमुख रामसुंदर दास ने कहा कि भगवान राम का जन्मस्थान और कुंडली को मान्यता मिल चुकी है, लेकिन माता कौशल्या को लेकर जानकारी बाकी है. माता कौशल्या की जन्मतिथि को लेकर प्रमाण. पुरातत्व की खुदाई, प्राचीन ग्रन्थों, जनश्रुति, क्षेत्रीय दंतकथाओं आदि के अलावा ज्योतिष विज्ञान के क्षेत्र में रुचि रखने वाले विद्वानों को इस संबंध में जानकारियों और ज्योतिष गणना आदि के आधार पर प्रमाण प्रस्तुत करने का आग्रह किया गया है. भगवान रामचन्द्र की कुंडली के चतुर्थ भाव (मातृ भाव) के आधार पर माता कौशल्या की जन्मतिथि के निर्धारण और जन्मकुंडली तैयार किया जा सकता है.
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15 दिसंबर तक प्रस्तुत करें प्रमाण
विद्वानों से प्राप्त प्रस्ताव को जूरी द्वारा परीक्षण किया जाएगा. इसके लिए पहला स्थान प्राप्त करने वाले विद्वान को 11 लाख नकद और विशेष सम्मान पत्र प्रदान किया जाएगा. 15 दिसंबर तक इस सिलसिले में प्रमाण दूधाधारी मठ को प्रस्तुत कर सकते हैं.