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छत्तीसगढ़ : माता कौशल्या की जन्मतिथि बताने पर मिलेगा 11 लाख रुपए - माता कौशल्या की जन्मतिथि

दूधाधारी मठ ने ऐलान किया है कि ज्योतिष गणना कर माता कौशल्या के जन्मतिथि का निर्धारण करने वालों को 11 लाख रुपए का इनाम दिया जाएगा.

रामसुंदर दास, प्रमुख, दूधाधारी मठ
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Published : Nov 16, 2019, 9:04 PM IST

Updated : Nov 16, 2019, 10:45 PM IST

रायपुर : राम जन्मभूमि विवाद सुलझने के बाद भगवान राम की माता कौशल्या के जन्म से जुड़े सवालों को सुलझाने की कोशिश की जा रही है. माना जाता है कि माता कौशल्या की जन्मस्थली चंदखुरी है और सरकार ने इस स्थान को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की योजना बनाई है. इसी कड़ी में अब दूधाधारी मठ ने ऐलान किया है कि 'ज्योतिष गणना कर माता कौशल्या के जन्मतिथि का निर्धारण करने वालों को 11 लाख रुपए इनाम दिया जाएगा'.

छत्तीसगढ़ : माता कौशल्या की जन्मतिथि बताने पर मिलेगा 11 लाख रुपए

बता दें कि छत्तीसगढ़ को पुरातन काल से दक्षिण कोसल के नाम से जाना जाता है. रामचरित मानस और वाल्मिकी रामायण में भी कौशल प्रदेश का उल्लेख मिलता है. मान्यता है कि माता कौशल्या इसी कौशल प्रदेश (छत्तीसगढ़) की राजकुमारी थीं. उनके पिता भानुमंत और माता सुबाला-अमृतप्रभा थीं.

चंदखुरी में है कौशल्या मां का एकमात्र मंदिर

राजधानी रायपुर से तकरीबन 25 किलोमीटर दूर चंदखुरी (प्राचीन नाम चंद्रपुरी) गांव है, जिसे माता कौशल्या की जन्मस्थली माना जाता है. यहां माता कौशल्या का मंदिर है, जो देश में कौशल्या मां का एकमात्र मंदिर है. छत्तीसगढ़ सरकार ने राम वनगमन मार्ग पर स्थित प्रमुख स्थलों को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का निर्णय लिया है. इसकी शुरुआत चंदखुरी से की जा रही है. मान्यता है कि वनवास के दौरान भगवान राम के छत्तीसगढ़ के 8 प्रमुख स्थानों में रुके थे.

पढ़ें : वनगमन पथः जानिए श्रीराम ने कैसे तय किया बैकुंठपुर से दंडकारण्य तक का सफर

दूधाधारी मठ कर रहा जानकारी जुटाने का प्रयास

सरकार के साथ-साथ से माता कौशल्या को लेकर जानकारी जुटाने का काम दूधाधारी मठ भी कर रहा है. इसके लिए कांग्रेस के पूर्व विधायक और दूधाधारी मठ के प्रमुख रामसुंदर दास पहल कर रहे हैं.

प्रमाण प्रस्तुत करने का आग्रह
दूधाधारी मठ के प्रमुख रामसुंदर दास ने कहा कि भगवान राम का जन्मस्थान और कुंडली को मान्यता मिल चुकी है, लेकिन माता कौशल्या को लेकर जानकारी बाकी है. माता कौशल्या की जन्मतिथि को लेकर प्रमाण. पुरातत्व की खुदाई, प्राचीन ग्रन्थों, जनश्रुति, क्षेत्रीय दंतकथाओं आदि के अलावा ज्योतिष विज्ञान के क्षेत्र में रुचि रखने वाले विद्वानों को इस संबंध में जानकारियों और ज्योतिष गणना आदि के आधार पर प्रमाण प्रस्तुत करने का आग्रह किया गया है. भगवान रामचन्द्र की कुंडली के चतुर्थ भाव (मातृ भाव) के आधार पर माता कौशल्या की जन्मतिथि के निर्धारण और जन्मकुंडली तैयार किया जा सकता है.

पढ़ें :SPECIAL: वनगमन पथ को छत्तीसगढ़ सरकार करेगी डेवलप, जानिए कहां-कहां पड़े थे श्रीराम के चरण

15 दिसंबर तक प्रस्तुत करें प्रमाण

विद्वानों से प्राप्त प्रस्ताव को जूरी द्वारा परीक्षण किया जाएगा. इसके लिए पहला स्थान प्राप्त करने वाले विद्वान को 11 लाख नकद और विशेष सम्मान पत्र प्रदान किया जाएगा. 15 दिसंबर तक इस सिलसिले में प्रमाण दूधाधारी मठ को प्रस्तुत कर सकते हैं.

रायपुर : राम जन्मभूमि विवाद सुलझने के बाद भगवान राम की माता कौशल्या के जन्म से जुड़े सवालों को सुलझाने की कोशिश की जा रही है. माना जाता है कि माता कौशल्या की जन्मस्थली चंदखुरी है और सरकार ने इस स्थान को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की योजना बनाई है. इसी कड़ी में अब दूधाधारी मठ ने ऐलान किया है कि 'ज्योतिष गणना कर माता कौशल्या के जन्मतिथि का निर्धारण करने वालों को 11 लाख रुपए इनाम दिया जाएगा'.

छत्तीसगढ़ : माता कौशल्या की जन्मतिथि बताने पर मिलेगा 11 लाख रुपए

बता दें कि छत्तीसगढ़ को पुरातन काल से दक्षिण कोसल के नाम से जाना जाता है. रामचरित मानस और वाल्मिकी रामायण में भी कौशल प्रदेश का उल्लेख मिलता है. मान्यता है कि माता कौशल्या इसी कौशल प्रदेश (छत्तीसगढ़) की राजकुमारी थीं. उनके पिता भानुमंत और माता सुबाला-अमृतप्रभा थीं.

चंदखुरी में है कौशल्या मां का एकमात्र मंदिर

राजधानी रायपुर से तकरीबन 25 किलोमीटर दूर चंदखुरी (प्राचीन नाम चंद्रपुरी) गांव है, जिसे माता कौशल्या की जन्मस्थली माना जाता है. यहां माता कौशल्या का मंदिर है, जो देश में कौशल्या मां का एकमात्र मंदिर है. छत्तीसगढ़ सरकार ने राम वनगमन मार्ग पर स्थित प्रमुख स्थलों को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का निर्णय लिया है. इसकी शुरुआत चंदखुरी से की जा रही है. मान्यता है कि वनवास के दौरान भगवान राम के छत्तीसगढ़ के 8 प्रमुख स्थानों में रुके थे.

पढ़ें : वनगमन पथः जानिए श्रीराम ने कैसे तय किया बैकुंठपुर से दंडकारण्य तक का सफर

दूधाधारी मठ कर रहा जानकारी जुटाने का प्रयास

सरकार के साथ-साथ से माता कौशल्या को लेकर जानकारी जुटाने का काम दूधाधारी मठ भी कर रहा है. इसके लिए कांग्रेस के पूर्व विधायक और दूधाधारी मठ के प्रमुख रामसुंदर दास पहल कर रहे हैं.

प्रमाण प्रस्तुत करने का आग्रह
दूधाधारी मठ के प्रमुख रामसुंदर दास ने कहा कि भगवान राम का जन्मस्थान और कुंडली को मान्यता मिल चुकी है, लेकिन माता कौशल्या को लेकर जानकारी बाकी है. माता कौशल्या की जन्मतिथि को लेकर प्रमाण. पुरातत्व की खुदाई, प्राचीन ग्रन्थों, जनश्रुति, क्षेत्रीय दंतकथाओं आदि के अलावा ज्योतिष विज्ञान के क्षेत्र में रुचि रखने वाले विद्वानों को इस संबंध में जानकारियों और ज्योतिष गणना आदि के आधार पर प्रमाण प्रस्तुत करने का आग्रह किया गया है. भगवान रामचन्द्र की कुंडली के चतुर्थ भाव (मातृ भाव) के आधार पर माता कौशल्या की जन्मतिथि के निर्धारण और जन्मकुंडली तैयार किया जा सकता है.

पढ़ें :SPECIAL: वनगमन पथ को छत्तीसगढ़ सरकार करेगी डेवलप, जानिए कहां-कहां पड़े थे श्रीराम के चरण

15 दिसंबर तक प्रस्तुत करें प्रमाण

विद्वानों से प्राप्त प्रस्ताव को जूरी द्वारा परीक्षण किया जाएगा. इसके लिए पहला स्थान प्राप्त करने वाले विद्वान को 11 लाख नकद और विशेष सम्मान पत्र प्रदान किया जाएगा. 15 दिसंबर तक इस सिलसिले में प्रमाण दूधाधारी मठ को प्रस्तुत कर सकते हैं.

Intro:रायपुर, राम जन्म भूमि विवाद सुलझने के बाद भगवान राम की माता कौशल्या के जन्म से जुड़ी मान्यताओं को सुलझाने की कोशिश हो रही है। माता कौशल्या की जन्मस्थली चंदखुरी है और सरकार ने इसको पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की योजना बनाई है। इस कड़ी में दूधाधारी मठ ने ऐलान किया है कि ज्योतिष गणना कर माता कौशल्या के जन्म तिथि का निर्धारण करने वालों को 11 लाख रुपये इनाम दिया जाएगा।

Body:छत्तीसगढ़ को पुरातन काल से दक्षिण कोसल के नाम से जाना जाता है। रामचरित मानस व वाल्मिकी रामायण में भी कौशल प्रदेश का उल्लेख मिलता है। मान्यता है कि कौशल्या, इसी कौशल प्रदेश (छत्तीसगढ़) की राजकुमारी थी। पिता भानुमंत व माता सुबाला-अमृतप्रभा थीं। राजधानी रायपुर से तकरीबन 25 किलोमीटर दूर चंदखुरी (प्राचीन नाम चंद्रपुरी) गांव है। जिसे माता कौशल्या की जन्म स्थली माना जाता है। यहां माता कौशल्या का मंदिर भी है। सरकार ने राम गमन मार्ग पर स्थित प्रमुख स्थलों को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का निर्णय लिया है। इसकी शुरूआत चंदखुरी से की जा रही है। मान्यता है कि वनवास के दौरान भगवान राम इन्हीं 8 प्रमुख स्थलों में रूके थे। उन्हें विकसित करने के लिए पर्यटन और वन विभाग मिलकर काम कर रहा है और इसके लिए समिति बनाई गई है।

सरकार से परे चंदखुरी के साथ-साथ माता कौशल्या को लेकर भी जानकारी जुटाने का दूधाधारी मठ ने बीड़ा उठाया है। इसके लिए कांग्रेस के पूर्व विधायक और दूधाधारी मठ के प्रमुख रामसुंदर दास पहल कर रहे हैं।

भगवान राम का जन्म स्थान और कुंडली को मान्यता मिल चुकी है, लेकिन माता कौशल्या को लेकर काफी कुछ करना बाकी है। जबकि प्रदेश का नाम ही कोसल (कौशल्या)के नाम से जाना जाता रहा है। माता कौशल्या के जन्म तिथि को लेकर प्रमाण, पुरातत्व की खुदाई, प्राचीन ग्रन्थों, जनश्रुति, क्षेत्रीय दंतकथाओं आदि के अलावा ज्योतिष विज्ञान के क्षेत्र में रुचि रखने वाले विद्वानों को इस संबंध में समस्त जानकारियों व ज्योतिष गणना आदि के आधार के द्वारा प्रमाण प्रस्तुत करने का आग्रह किया गया है। भगवान रामचन्द्र की कुंडली के चतुर्थ भाव (मातृ भाव) के आधार पर माता कौशल्या की जन्मतिथि के निर्धारण एवं जन्मकुंडली तैयार किया जा सकता है।

विद्वानों से प्राप्त प्रस्ताव को जूरी द्वारा परीक्षण किया जाएगा। इसके लिए प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले विद्वान को 11 लाख नगद और विशेष सम्मान पत्र प्रदान किया जाएगा। उन्होंने कहा कि 15 दिसंबर तक  इस सिलसिले में प्रमाण दूधाधारी मठ को प्रस्तुत किए जा सकेंगे।

Conclusion:उल्लेखनीय है कि चंदखुरी स्थित कौशल्या का मंदिर दुर्लभतम है, जैसे पुरे देश मे पुष्कर में ब्रह्मा जी का तथा कोणार्क में सूर्यदेव का एक मात्र मंदिर है। ठीक वैसे ही रायपुर के चंदखुरी में कौशल्या जी का एक मात्र मंदिर स्थित है। करीब 126 तालाब वाले इस गांव में सात तालाबों से घिरे जलसेन तालाब के बीच यह मंदिर स्थित है, जहां भगवान श्रीरामचन्द्र की माता कौशल्या की प्रतिमा स्थापित है और रामलला उनकी गोद में विराजमान हैं।


नोट राम पथ गमन और कौशल्या मंदिर के नाम से मयंक जी ने खबर भेजी है उसके फाइल फुटेज इस्तेमाल किए जा सकते हैं
Last Updated : Nov 16, 2019, 10:45 PM IST
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