रायपुर: राजधानी रायपुर में कई मोहल्ले और बस्तियों में हाई वोल्टेज की लाइन घरों और मकानों के नजदीक से गुजर रही है. इन हाई वोल्टेज लाइनों में 11 केवी और 33 केवी की लाइन शामिल है. मकानों के करीब से गुजर रहे हाई वोल्टेज लाइन की वजह से दुर्घटना होने की आशंका भी बनी रहती है. बच्चों के खेलने या फिर कपड़ा सुखाने के दौरान तार के टच हो जाने पर कभी भी हादसा हो सकता है. विद्युत विभाग के शहर अभियंता का कहना है कि शिकायत मिलने पर मापदंडों को ध्यान में रखते हुए हाई वोल्टेज लाइन को मकान से कुछ दूर किया जा सकता है.
इन इलाकों में है समस्याएं
राजधानी के कई इलाकों में हाई वोल्टेज बिजली के तार मकान के करीब से गुजर रहे हैं. इनमें चंगोराभाठा, रायपुरा, महादेव घाट, कंकालीपारा, बूढ़ा तालाब, मठपारा पुरानी बस्ती, रामसागर पारा, गुढ़ियारी, कबीर नगर सहित कई इलाके शामिल हैं. यहां 11 केवी और 33 केवी की विद्युत लाइन खंभों के माध्यम से घरों तक पहुंचाई गई है.
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दुर्घटना की आशंका
एक्सपर्ट का कहना है कि मकानों के नजदीक से होकर गुजरे बिजली के तारों से हमेशा दुर्घटना की आशंका बनी रहती है. कई बार सरकारी गाइडलाइन की अनदेखी करते हुए लोग अपना मकान निर्धारित मापदंड से आगे बढ़ाकर बनाते हैं. जिसके कारण भी विद्युत लाइन मकान के करीब से होकर गुजरती है. ऐसे में रहवासी और सीएसईबी दोनों को मिल-जुल कर काम करना होता है.
बीमारियों का खतरा
डॉक्टर राकेश गुप्ता के मुताबिक यदि कोई व्यक्ति इन तारों की चपेट में आता है तो शरीर के साथ-साथ हृदय पर भी प्रभाव पड़ता है. हृदय पर प्रभाव पड़ने और जलने पर मनुष्य की मौत भी हो सकती है. हाई वोल्टेज विद्युत लाइन के संपर्क में आने वालों को तुरंत इलाज के लिए डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए. जिससे पीड़ितों की जान बच सकती है.
'शिकायत मिलने पर समस्या दूर की जाती है'
बिजली विभाग के शहर अभियंता अनीश कुमार लखेरा का कहना है कि जब भी कोई नई बस्ती या कॉलोनी बनती है तो लोग अपने मकान को निर्धारित मापदंड से आगे बढ़ाकर बनाते हैं. जिसके कारण भी इस तरह की दिक्कतें होने लगती है. ऐसी स्थिति में वहां के रहवासी या फिर नगर निगम के माध्यम से शिकायत मिलने के बाद इन लाइनों को मकान से कुछ दूर किया जा सकता है.
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बिजली विभाग ने झाड़ा पल्ला!
11 केवी और 33 केवी के लाइन के माध्यम से मकान और बस्तियों में बिजली सप्लाई की जा रही है. लेकिन रहवासी हमेशा भयभीत रहते हैं. वहीं बिजली विभाग का कहना है कि इसकी शिकायत रहवासी व्यक्तिगत सीएसईबी में या फिर सामूहिक रूप से नगर निगम में करते हैं. आगे की कार्रवाई सीएसईबी विभाग करता है.