रायपुर : रायपुर के इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में बीते कई सालों से अलग-अलग फसलों पर कई तरह के रिसर्च हो रहे हैं. वर्तमान में रायपुर कृषि विश्वविद्यालय में मसाला बीज पर शोध हो रहा है. पहली बार अजमोदा और सोआ बीज मसाले की फसल पर शोध किया जा रहा है. यहां की अनुकूल जलवायु के आधार पर अच्छे परिणाम मिले तो छत्तीसगढ़ के किसान इन मसाला बीज फसल से अच्छा लाभ अर्जित कर सकेंगे.
दोनों किस्मों की बीज की फसल छत्तीसगढ़ में नहीं के बराबर
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में शोध कर रहे सेवन दास खुटे ने बताया कि छत्तीसगढ़ के किसान अब तक मसाला बीज में अजवाइन, करायत, जीरा, मेथी, धनिया और सौंफ जैसी फसल की खेती कर रहे हैं. पहली बार अजमोदा और सोआ की फसल का बीज अजमेर के राष्ट्रीय अनुसंधान बीज मसाला फसल केंद्र से लाया गया. इस बीज के उत्पादन को लेकर यहां शोध कार्य किया जा रहा है. इन दोनों किस्मों की बीज की फसल छत्तीसगढ़ में नहीं के बराबर होती है. सोआ यूरोपियन देश का बीज मसाला फसल है.
बड़े होटल-रेस्टोरेंट नॉनवेज का साथ प्रिजर्व करने में करते हैं फसल का उपयोग
यह दोनों मसाला बीज की तुलना की जाए तो सोआ फसल की लंबाई थोड़ी ज्यादा होती है, लेकिन अजमोदा फसल की ऊंचाई थोड़ी कम होती है. बड़े होटल और रेस्टोरेंट नॉनवेज के साथ-साथ इसका उपयोग प्रिजर्व करने में करते हैं. वर्तमान में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में इस पर शोध किया जा रहा है. अगर छत्तीसगढ़ में इसका ग्रोथ अच्छा रहा तो आने वाले समय में इस बीज मसाले की फसल की जानकारी किसानों की दी जाएगी. साथ ही किसान इसकी खेती करके अच्छा लाभ भी अर्जित कर पाएंगे.