रायपुर: 26 जनवरी को इस बार देश 74वां गणतंत्र दिवस सेलीब्रेट करेगा. इस साल मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतेह अल सिसी गणतंत्र दिवस समारोह के सम्मानित अतिथि होंगे. कई लोगों के जेहन में सवाल उठता है कि आखिर गणतंत्र दिवस 26 जनवरी को ही क्यों मनाते हैं. इसके पीछे रोचक इतिहास छिपा है, जिन्हें हम आपके लिए लेकर आए हैं.
स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता के बाद भी मानते थे ब्रिटिश कानून: देश को 15 अगस्त 1947 में ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता मिली. भारत उपनिवेशों से अलग हो गया और एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता भी मिली. बावजूद इसके 1950 तक हम गणतंत्र नहीं थे. अभी भी ब्रिटिश संविधान का पालन करने के साथ ही ब्रिटिश सम्राट को अपना प्रमुख माना गया. 26 जनवरी, 1950 को नए लिखित संविधान को अपनाकर भारत एक गणतंत्र बना.
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राजपथ पर हर राज्य निकालते हैं झांकी: गणतंत्र दिवस पर हर साल तीनों सेनाएं राजपथ पर भव्य परेड निकालती हैं. हर राज्य और केंद्र शासित प्रदेश संस्कृति का प्रदर्शन करने के लिए रंग-बिरंगी 'झांकी' भी निकलते हैं. इस परेड का नई दिल्ली से राष्ट्रीय टेलीविजन पर सीधा प्रसारण होता है. हर साल किसी दूसरे देश के प्रमुख को परेड देखने के लिए मुख्य अतिथि के तौर पर आमंत्रित भी किया जाता है. इस साल के मुख्य अतिथि के तौर पर मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतेह अल सिसी को आमंत्रित किया गया है.
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15 अगस्त को अंग्रेजी हुकूमत से मिली थी आजादी: 14 से 15 अगस्त 1947 की आधी रात को भारत को अंग्रेजी हुकूमत से आजादी मिली थी. इस दिन हम उन स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के साहस और धैर्य को याद किया जाता है. जिन्होंने अंग्रेजी हुकूमत से देश को आजादी दिलाने के लिए प्राणों की आहुति दी. वे बहादुरी से लड़े, गिरफ्तार हुए और कुछ शहीद भी हुए. स्वतंत्रता दिवस के दिन प्रधानमंत्री नई दिल्ली में ऐतिहासिक स्मारक लाल किले से राष्ट्र को संबोधित करते हैं और तिरंगे झंडे को फहराते हैं. देश के प्रत्येक राज्य की राजधानी, शहर, गांव, कस्बे और स्कूल में राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है.