रायपुर: मांगलिक होना भी विवाह में देरी का कारण होता है. विवाह की इच्छुक युवक युवती हर रोज मंदिर जाकर शिव पार्वती की पूजा करें. ऐसा करने से विवाह में हो रही देरी के ग्रह दूर होते हैं. शिव पुराण के अनुसार भगवान शिव ने माता पार्वती की तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें पत्नी रूप में स्वीकार किया था, इसलिए भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से विवाह में हो रही देरी दूर होती है.
सोलह सोमवार का व्रत देगा लाभ: ज्योतिष और वास्तुविद पंडित प्रिया शरण त्रिपाठी ने बताया कि "कन्या शिव जैसा पति की प्राप्ति करने के लिए सोलह सोमवार का व्रत रखकर लाभ प्राप्त कर सकती हैं. यह व्रत सावन के पहले सोमवार से शुरू कर सकते हैं. ध्यान रखें कि शिवजी की पूजा में गंगाजल और भस्म अर्पण का विशेष महत्व बताया गया है. इनकी कृपा से विवाह में कोई परेशानी आती है, तो वह दूर हो जाती है. कुंडली में सप्तमेश विवाह का भाव है, जब यह पंचम भाव के स्वामी चंद्रदेव स्थित हो या सप्तम भाव के स्वामी सप्तम भाव में स्थित है, तो विवाह के योग बनते हैं. इसलिए सप्तमेश की पूजा करना युवक-युवतियों के लिए बहुत जरूरी है. इससे विवाह के योग शीघ्र बनते हैं, और हर तरह की परेशानी और समस्या दूर हो जाती है."
आप ओपल रत्न धारण करने से मिलेगा लाभ: ज्योतिष और वास्तुविद पंडित प्रिया शरण त्रिपाठी ने बताया कि "घर में जल्द से जल्द मंगल कार्य शुरू हो जाए. इसके लिए आप ओपल रत्न धारण करें. इसको धारण करने से विवाह की समस्याएं खत्म होती है, और जिनको लव मैरिज करनी हो उनके लिए भी यह रत्न काफी कारगर सिद्ध होगा. इससे शुक्र ग्रह मजबूत होता है, और शुक्र को प्रेम और विवाह का ग्रह माना गया है. इससे विवाह के योग अति शीघ्र बनने लगते हैं. जिन लोगों के विवाह में कोई ना कोई समस्या बनी रहती है, तो उनको गुरुवार का व्रत करना चाहिए. इसके लिए पीले वस्त्र धारण करें. पीले फूल चने की दाल और चंदन से भगवान विष्णु की पूजा करें. इस दिन केले के पेड़ की भी पूजा करें. ऐसा करने से विवाह की समस्याएं धीरे-धीरे खत्म होने लगती है."
कालसर्प दोष होना भी विवाह में देरी का एक कारण: ज्योतिष और वास्तुविद पंडित प्रिया शरण त्रिपाठी ने बताया कि "मांगलिक होना पितृ दोष होना या कालसर्प दोष होना भी विवाह में देरी का एक कारण है. कहते हैं जब सूर्य मंगल या बुध लग्न या लग्न के स्वामी पर दृष्टि डालते हो और गुरु बारहवें भाव में बैठा हो तो भी विवाह में देरी होती है. प्रथम या चतुर्थ भाव में मंगल हो और सप्तम भाव में शनि हो तो व्यक्ति की विवाह के प्रति उदासीनता के भाव रहते हैं. प्रथम भाव सप्तम भाव में और बारहवें भाव में गुरु या शुभ ग्रह योग कारक ना हो और चंद्रमा कमजोर हो तो विवाह में बाधाएं आती है. सप्तम भाव में शनि और गुरु की युति होने से शादी में देरी होती है. कई बार यह भी देखा गया है कि दोनों में से कोई एक ग्रह हो तो भी विवाह में बाधाएं आती है. यदि गुरु कमजोर या नीच का होकर बैठा हो शत्रु भाव में या शत्रुओं के साथ बैठा हो तब भी विवाह में बाधाएं आती हैं."
ऐसा करके हो सकते हैं दोष से मुक्त: ज्योतिष और वास्तुविद पंडित प्रिया शरण त्रिपाठी ने बताया कि "मंगल दोष है. तो उसका उज्जैन के मंगलनाथ में उपाय करें. कुंभ विवाह करें. पितृ दोष या कालसर्प दोष है. तो उसका नासिक के त्रंबकेश्वर में जाकर उपाय करें. सप्तम भाव का दोष है, तो उपाय करना चाहिए. लड़कों को शुक्र के उपाय करना चाहिए. लड़कियों को गुरु के उपाय करना चाहिए. शनिवार को पीपल वृक्ष की पूजा करें. गुरुवार को केले के युगल जोड़ों की पूजा करें. 11 शुक्रवार को माता पार्वती और दुर्गा जी के मंदिर में श्रीफल और चुनरी अर्पित करें. पूर्णिमा के दिन वटवृक्ष की 108 परिक्रमा करें. गाय को रोटी में घी लगाकर गुड लपेटकर खिलाए. हल्दी के पानी में आलू को उबालकर उसे ठंडा करके गाय को खिलाएं. गुरुवार और शुक्रवार को व्रत करें. अपने माथे पर केसर हल्दी या चंदन का तिलक लगाएं. शुक्रवार के दिन दही से स्नान करें और फिटकिरी का कुल्ला करके सोएं."