रायपुर : बच्चों की नजर उतारने के लिए होलिका पर्व सर्वश्रेष्ठ उपाय प्रदान करता है. होली वास्तव में यज्ञ का ही रूप है, जिन बच्चों को बहुत जल्दी या बार बार नजर लगती हैं. उन बच्चों को मिर्ची, काला तिल, लाल मिर्च, काला उड़द से नजर उतारकर इन पदार्थों को होलिका दहन में भस्म कर देना चाहिए. कई बच्चों को त्वचा संबंधी बहुत परेशानियां आती हैं. उन्हें हल्दी बेसन का उबटन लगाकर इस उबटन को निकालकर होलिका दहन के समय होलिका में डाल देना चाहिए. जिससे यह समस्त बुराइयां और नजर दोष दूर हो जाते हैं.
इसी तरह होलिका दहन के पश्चात ठंडी हुई भस्म भी बहुत काम आती है. कई तरह के दोष में इस भस्म का उपयोग किया जाता है. ठंडी भस्म को तांबे या चांदी की ताबीज में भरकर बच्चों को गले में पहनाया जा सकता है, जिससे उनका नजर दोष शांत होता है.
कैसे बच्चों की उतारे नजर :ज्योतिष एवं वास्तुविद पंडित विनीत शर्मा ने बताया कि " होलिका जलने के बाद ठंडी हुई भस्म को लाल कपड़े में बांधकर बच्चों को पहना देने से उन्हें बार बार बीमार होने का दोष धीरे-धीरे कम होने लगता है. इसी तरह जिन बच्चों का आत्मविश्वास कम हो उन्हें जलती हुई होलिका से कुछ दूरी बनाकर सावधानी पूर्वक 11, 21 या 31 परिक्रमा करनी चाहिए.
होलिका दहन यज्ञ का ही स्वरूप है. जलती हुई होलिका में यज्ञ सामग्री जड़ी बूटियां औषधियां डालने से भी लाभ मिलता है. जिन बच्चों को बार-बार बाहरी हवा लगती है, उन बच्चों को भी होलिका के भस्म से 21 दिन तक लगातार तिलक करना चाहिए. यह तिलक एक निश्चित समय पर करना चाहिए और 21 सेकंड तक माथे पर हल्का दबाव डालकर तिलक लगाना चाहिए. जिन बच्चों को मानसिक पीड़ा है या मानसिक स्तर से जो बच्चे कमजोर हैं, उन्हें होलिका दहन के समय होली में गोबर के कंडे गोबर के उपले की आहूति देनी चाहिए."
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होलिका दहन के वक्त बरतें सावधानी : पंडित जी के मुताबिक " होलिका दहन करते समय यह सावधानी आवश्यक है कि लकड़ियां सुखी हो और सभी गुणों से संपन्न हो. वातावरण को शुद्ध करने वाली लकड़ियों का संतुलित रूप से उपयोग करना चाहिए. होलिका दहन का पर्व बच्चों का नजर उतारने के लिए बहुत ही विशिष्ट माना गया है. इस दिन मानसिक रूप से पीड़ित या दिव्यांग बच्चों का विशेष ध्यान रखना चाहिए. उन्हें इस समय गायत्री मंत्र, महामृत्युंजय मंत्र, राम रक्षा स्त्रोत और नरसिंह स्त्रोत का पाठ करना चाहिए."