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छत्तीसगढ़ में एक बार फिर फन फैला रहा 'लाल आतंक', लील चुका है कई जिंदगियां - लील चुका है कई जिंदगिया

नक्सलियों की हरकतें फिर से तेज हो गई हैं.उन्होंने कई जगहों पर ब्लास्ट कर अपनी मौजूदगी जाहिर की है.

फन फैला रहा लाल आतंक
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Published : May 7, 2019, 11:39 PM IST

Updated : May 8, 2019, 11:48 AM IST

रायपुर: साल 2018 के अंत में छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनी थी. उसके बाद कुछ वक्त के लिए शांत रहे नक्सलियों की हरकतें फिर तेज हो गई हैं. बस्तर में मतदान से पहले नक्सलियों ने दंतेवाड़ा में बड़ा हमला किया था, जिसमें बीजेपी विधायक भीमा मंडावी की मौत हो गई थी. उससे पहले नक्सलियों ने 4 अप्रैल को कांकेर के पंखाजुर में BSF की टीम पर हमला किया था, जिसमें 4 जवान शहीद हो गए थे.

लाल आतंक

इधर फिर नक्सलियों ने छत्तीसगढ़-महाराष्ट्र सीमा पर गढ़चिरौली इलाके में भी हाल में बड़ा हमला कर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई. एक्सपर्ट का मानना है कि छत्तीसगढ़ में सरकार बदलने के बाद मिले समय को नक्सली अपनी ताकत बढ़ाने में इस्तेमाल कर रहे हैं.

कुछ बड़े प्वॉइन्ट्स-
विधायक भीमा मंडावी सहित 4 जवानों के हमले से सरकार उबर पाती इससे पहले ही 5 अप्रैल को धमतरी जिले के सिहावा इलाके में एक और हमला हुआ, जिसमें सीआरपीएफ के एक जवान की मौत हो गई.
6 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बालोद में कार्यक्रम था. उनके आने से पहले नक्सलियों ने धमाके करके मौजूदगी दिखाने की कोशिश की थी.

दूसरे स्टेट के बॉर्डर पर ज्यादा घटनाएं
नक्सल एक्सपर्ट्स का मानना है कि छत्तीसगढ़ में सरकार बदलने के बाद लगातार नक्सलियों की घटनाओं में इजाफा हुआ है. खासकर ऐसे क्षेत्रों में नक्सली अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं जो छत्तीसगढ़ के सीमाएं जो दूसरे राज्यों को टच करती हैं. खासकर आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र सीमा में लगातार हमले इसी बात को संकेत दे रहे हैं.

क्या कह रहे हैं एक्सपर्ट
इसके पीछे के कारणों पर बात करने हुए नक्सल एक्सपर्ट डॉ वर्णिका शर्मा ने बताया कि छत्तीसगढ़ में लंबे समय से सत्ता परिवर्तन होने के बाद उनको पता होता है कि अब सरकार अपने कामों में व्यस्त है और यही वह समय होता है जब नक्सलियों को सक्रिय गोरिल्ला अपने संचरण काल का समय मिल जाता है.

वक्त मिलते ही बढ़ाते हैं ताकत
वर्णिका शर्मा कहती हैं कि इसी दरम्यान वे अपनी ताकत का एहसास कराते हुए अपने क्षेत्रों में विस्तार करते हैं. लंबे समय से एंटी नक्सल ऑपरेशन के चलते जो नक्सल बैक में पीछे हटे हुए रहते हैं. वह समय मिलने के चलते अपने दायरे को लगातार बढ़ा रहे हैं.

शांत इलाकों को किया अशांत
बीते हमलो में देखा जाए तो घटनाए कांकेर और धमतरी के ऐसे इलाकों में हुए थे जो नक्सल प्रभावित तो हैं पर बीते कुछ वर्षों से अमूमन शांत रहे हैं. दंतेवाड़ा, सुकमा, बीजापुर और नारायणपुर जिलों को नक्सल मामले में ज्यादा संवेदनशील माना जाता है. कोंडागांव जिले के मर्दापाल और केशकाल इलाके में भी नक्सली हलचल लगातार दिखती है. ऐसे में कांकेर और धमतरी में हमला कर नक्सलियों ने फोर्स का ध्यान डायवर्ट करने की कोशिश की थी.

फोर्स का ध्यान हटाकर किया हमला !
नई जगहों पर हमला कर नक्सलियों ने फोर्स का ध्यान भंग किया और फिर दंतेवाड़ा में एक अप्रत्याशित और बड़ी वारदात कर दी. 7 अप्रैल को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की राजनांदगांव में सभा से पहले भी नक्सलियों ने मानपुर इलाके में एक धमाका किया जिसमें एक जवान घायल हुआ. इन घटनाओं के बाद यह तय हो गया है कि लोकसभा चुनाव के दौरान नक्सली बड़ी वारदात करके अपनी ताकत बढ़ा रहे हैं.

ताकत दिखाने की कोशिश कर रहे नक्सली
नक्सली संविधान और लोकतंत्र को नहीं मानते. वे भारतीय गणराज्य से युद्ध का दावा करते हैं. यही वजह है कि लोकसभा चुनावों के दौरान हर बार वे ज्यादा हमलावर दिखते हैं. 4 महीने पहले हुए विधानसभा चुनाव में खामोश रहे नक्सली अब फिर से खूनी खेल में जुट गए हैं. 2014 के चुनाव के पहले उन्होंने दरभा के टाहकवाड़ा में सीआरपीएफ के दल पर हमला किया था, जिसमें 15 जवान शहीद हो गए थे. 2014 के चुनाव के बाद फरसेगढ़ से लौट रही पोलिंग पार्टी की बस को उड़ा दिया जिसमें सात मतदान कर्मियों की मौत हो गई थी.

छत्तीसगढ़ के 10 बड़े नक्सली हमले-

  • छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में सबसे बड़ा नक्सली हमला 6 अप्रैल 2010 को हुआ था जिसमें 76 जवान शहीद हो गए थे.
  • 25 मई 2013 झीरम घाटी हमला हुआ था. उस हमले में नक्सलियों ने एक परिवर्तन यात्रा पर हमला कर दिया था, जिसमें कांग्रेस के शीर्ष नेताओं सहित 30 से ज्यादा लोग मारे गए थे.
  • एक बार फिर 11 मार्च 2014 को जीरम घाटी में हमला हुआ था, जिसमें 14 जवान शहीद हो गए थे.
  • 12 अप्रैल 2014 को छत्तीसगढ़ के बस्तर में नक्सली हमला हुआ था जिसमें 5 जवानों समेत 14 लोगों की मौत हो गई थी.
  • अगस्त 2014 में छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में नक्सलियों की गोलीबारी में सीआरपीएफ के 3 जवान घायल हो गए थे.
  • अप्रैल 2015 में छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में हुए नक्सली हमले में नक्सलियों के बिछाए बारूदी सुरंग के फटने से सुरक्षा बल के 4 जवान शहीद हो गए जबकि 8 घायल हो गए थे.
  • मार्च 2017 में बस्तर में हुए नक्सली हमले में CRPF की 219वीं बटालियन के जवान शहीद हो गए थे.
  • मार्च 2017 में ही छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में लैंडमाइन ब्लास्ट में CRPF के 7 जवान शहीद हो गए थे.
  • 11 मार्च 2017 को नक्सलियों ने सीआरपीएफ की 219वीं बटालियन को निशाना बनाया था जिसमें 12 जवान शहीद हो गए थे.
  • 2017 में नक्सली हमला हुआ था, जिसमें 25 सीआरपीएफ के जवान शहीद हो गए.

रायपुर: साल 2018 के अंत में छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनी थी. उसके बाद कुछ वक्त के लिए शांत रहे नक्सलियों की हरकतें फिर तेज हो गई हैं. बस्तर में मतदान से पहले नक्सलियों ने दंतेवाड़ा में बड़ा हमला किया था, जिसमें बीजेपी विधायक भीमा मंडावी की मौत हो गई थी. उससे पहले नक्सलियों ने 4 अप्रैल को कांकेर के पंखाजुर में BSF की टीम पर हमला किया था, जिसमें 4 जवान शहीद हो गए थे.

लाल आतंक

इधर फिर नक्सलियों ने छत्तीसगढ़-महाराष्ट्र सीमा पर गढ़चिरौली इलाके में भी हाल में बड़ा हमला कर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई. एक्सपर्ट का मानना है कि छत्तीसगढ़ में सरकार बदलने के बाद मिले समय को नक्सली अपनी ताकत बढ़ाने में इस्तेमाल कर रहे हैं.

कुछ बड़े प्वॉइन्ट्स-
विधायक भीमा मंडावी सहित 4 जवानों के हमले से सरकार उबर पाती इससे पहले ही 5 अप्रैल को धमतरी जिले के सिहावा इलाके में एक और हमला हुआ, जिसमें सीआरपीएफ के एक जवान की मौत हो गई.
6 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बालोद में कार्यक्रम था. उनके आने से पहले नक्सलियों ने धमाके करके मौजूदगी दिखाने की कोशिश की थी.

दूसरे स्टेट के बॉर्डर पर ज्यादा घटनाएं
नक्सल एक्सपर्ट्स का मानना है कि छत्तीसगढ़ में सरकार बदलने के बाद लगातार नक्सलियों की घटनाओं में इजाफा हुआ है. खासकर ऐसे क्षेत्रों में नक्सली अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं जो छत्तीसगढ़ के सीमाएं जो दूसरे राज्यों को टच करती हैं. खासकर आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र सीमा में लगातार हमले इसी बात को संकेत दे रहे हैं.

क्या कह रहे हैं एक्सपर्ट
इसके पीछे के कारणों पर बात करने हुए नक्सल एक्सपर्ट डॉ वर्णिका शर्मा ने बताया कि छत्तीसगढ़ में लंबे समय से सत्ता परिवर्तन होने के बाद उनको पता होता है कि अब सरकार अपने कामों में व्यस्त है और यही वह समय होता है जब नक्सलियों को सक्रिय गोरिल्ला अपने संचरण काल का समय मिल जाता है.

वक्त मिलते ही बढ़ाते हैं ताकत
वर्णिका शर्मा कहती हैं कि इसी दरम्यान वे अपनी ताकत का एहसास कराते हुए अपने क्षेत्रों में विस्तार करते हैं. लंबे समय से एंटी नक्सल ऑपरेशन के चलते जो नक्सल बैक में पीछे हटे हुए रहते हैं. वह समय मिलने के चलते अपने दायरे को लगातार बढ़ा रहे हैं.

शांत इलाकों को किया अशांत
बीते हमलो में देखा जाए तो घटनाए कांकेर और धमतरी के ऐसे इलाकों में हुए थे जो नक्सल प्रभावित तो हैं पर बीते कुछ वर्षों से अमूमन शांत रहे हैं. दंतेवाड़ा, सुकमा, बीजापुर और नारायणपुर जिलों को नक्सल मामले में ज्यादा संवेदनशील माना जाता है. कोंडागांव जिले के मर्दापाल और केशकाल इलाके में भी नक्सली हलचल लगातार दिखती है. ऐसे में कांकेर और धमतरी में हमला कर नक्सलियों ने फोर्स का ध्यान डायवर्ट करने की कोशिश की थी.

फोर्स का ध्यान हटाकर किया हमला !
नई जगहों पर हमला कर नक्सलियों ने फोर्स का ध्यान भंग किया और फिर दंतेवाड़ा में एक अप्रत्याशित और बड़ी वारदात कर दी. 7 अप्रैल को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की राजनांदगांव में सभा से पहले भी नक्सलियों ने मानपुर इलाके में एक धमाका किया जिसमें एक जवान घायल हुआ. इन घटनाओं के बाद यह तय हो गया है कि लोकसभा चुनाव के दौरान नक्सली बड़ी वारदात करके अपनी ताकत बढ़ा रहे हैं.

ताकत दिखाने की कोशिश कर रहे नक्सली
नक्सली संविधान और लोकतंत्र को नहीं मानते. वे भारतीय गणराज्य से युद्ध का दावा करते हैं. यही वजह है कि लोकसभा चुनावों के दौरान हर बार वे ज्यादा हमलावर दिखते हैं. 4 महीने पहले हुए विधानसभा चुनाव में खामोश रहे नक्सली अब फिर से खूनी खेल में जुट गए हैं. 2014 के चुनाव के पहले उन्होंने दरभा के टाहकवाड़ा में सीआरपीएफ के दल पर हमला किया था, जिसमें 15 जवान शहीद हो गए थे. 2014 के चुनाव के बाद फरसेगढ़ से लौट रही पोलिंग पार्टी की बस को उड़ा दिया जिसमें सात मतदान कर्मियों की मौत हो गई थी.

छत्तीसगढ़ के 10 बड़े नक्सली हमले-

  • छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में सबसे बड़ा नक्सली हमला 6 अप्रैल 2010 को हुआ था जिसमें 76 जवान शहीद हो गए थे.
  • 25 मई 2013 झीरम घाटी हमला हुआ था. उस हमले में नक्सलियों ने एक परिवर्तन यात्रा पर हमला कर दिया था, जिसमें कांग्रेस के शीर्ष नेताओं सहित 30 से ज्यादा लोग मारे गए थे.
  • एक बार फिर 11 मार्च 2014 को जीरम घाटी में हमला हुआ था, जिसमें 14 जवान शहीद हो गए थे.
  • 12 अप्रैल 2014 को छत्तीसगढ़ के बस्तर में नक्सली हमला हुआ था जिसमें 5 जवानों समेत 14 लोगों की मौत हो गई थी.
  • अगस्त 2014 में छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में नक्सलियों की गोलीबारी में सीआरपीएफ के 3 जवान घायल हो गए थे.
  • अप्रैल 2015 में छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में हुए नक्सली हमले में नक्सलियों के बिछाए बारूदी सुरंग के फटने से सुरक्षा बल के 4 जवान शहीद हो गए जबकि 8 घायल हो गए थे.
  • मार्च 2017 में बस्तर में हुए नक्सली हमले में CRPF की 219वीं बटालियन के जवान शहीद हो गए थे.
  • मार्च 2017 में ही छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में लैंडमाइन ब्लास्ट में CRPF के 7 जवान शहीद हो गए थे.
  • 11 मार्च 2017 को नक्सलियों ने सीआरपीएफ की 219वीं बटालियन को निशाना बनाया था जिसमें 12 जवान शहीद हो गए थे.
  • 2017 में नक्सली हमला हुआ था, जिसमें 25 सीआरपीएफ के जवान शहीद हो गए.
Intro:0405 RPR NAXALI MOVMENT PLANNING SPECIAL

राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद कुछ महीने शांत रहे नक्सली लोकसभा चुनाव आते ही हमलावर हो गए हैं। बस्तर में मतदान से पहले लगातार वारदात कर नक्सलियों ने बस्तर को दहला दिया है। दंतेवाड़ा के श्यामगिरी में विधायक भीमा मंडावी के काफिले पर हमले को अंजाम देकर वे अपने हौसले दिखा दिए है। इससे पहले नक्सलियों ने 4 अप्रैल को पखांजुर के माहला के जंगल में बीएसएफ के गश्ती दल पर हमला किया जिसमें चार जवानों की शहादत हुई। छत्तीसगढ़ महाराष्ट्र सीमा में गढ़चिरौली इलाके में भी हाल में नक्सलियों ने बड़े हमले कर इस इलाके में अपनी उपस्थिति दर्ज करा दिए है।
Body:छत्तीसगढ़ में सरकार बदलने के बाद मिले समय को अपनी ताकत बढ़ाने में इस्तेमाल कर रहे है। विधायक भीमा मंडावी सहित 4 जवानों के हमले से सरकार उबर पाती इससे पहले ही 5 अप्रैल को धमतरी जिले के सिहावा इलाके में एक और हमला हुआ जिसमें सीआरपीएफ के एक जवान की मौत हो गई। 6 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बालोद में कार्यक्रम था। उनके आने से पहले नक्सलियों ने धमाके करके मौजूदगी दिखाने की कोशिश की थी। सरकार बदलने के बाद उन्हें अपनी रणनीति में इजाफा करने का समय मिला है और इसका वे लगातार फायदा उठा रहे है। नक्सल एक्सपर्ट्स का मानना है कि छत्तीसगढ़ में सरकार बदलने के बाद लगातार नक्सलियों की घटनाओं में इजाफा हुआ है। खासकर ऐसे क्षेत्रों में नक्सलीअपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं जो छत्तीसगढ़ के सीमाएं जो दूसरे राज्यों को टच करती हैं। खासकर आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र सीमा में लगातार हमले इसी बात को संकेत दे रहे हैं। इसके पीछे के कारणों पर बात करने हुए नक्सल एक्सपर्ट डॉ वर्णिका शर्मा ने बताया कि छत्तीसगढ़ में लंबे समय से सत्ता परिवर्तन होने के बाद उनको पता होता है कि अब सरकार अपने कामों में व्यस्त है। और यही वह समय होता है जब सक्रिय गोरिल्ला अपने संचरण काल का समय मिल जाता है। वह इसी दरमियान वे अपनी ताकत का एहसास कराते हुए अपने क्षेत्रों में विस्तार करते हैं। दरअसल लंबे समय से एंटी नक्सल ऑपरेशन के चलते जो नक्सल बैक में पीछे हटे हुए रहते हैं वह समय मिलने के चलते अपने दायरे को लगातार बढ़ा रहे हैं।

बाईट- डॉ वर्णिका शर्मा, नक्सल एक्सपर्ट

बीते हमलो में देखा जाए तो घटनाए कांकेर और धमतरी के ऐसे इलाकों में हुए थे जो नक्सल प्रभावित तो हैं पर बीते कुछ वर्षों से अमूमन शांत रहे हैं। दंतेवाड़ा, सुकमा, बीजापुर और नारायणपुर जिलों को नक्सल मामले में ज्यादा संवेदनशील माना जाता है। कोंडागांव जिले के मर्दापाल और केशकाल इलाके में भी नक्सली हलचल लगातार दिखती है। ऐसे में कांकेर और धमतरी में हमला कर नक्सलियों ने फोर्स का ध्यान डायवर्ट करने की कोशिश की थी। नई जगहों पर हमला कर नक्सलियों ने फोर्स का ध्यान भंग किया और फिर दंतेवाड़ा में एक अप्रत्याशित और बड़ी वारदात कर दी। 7 अप्रैल को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की राजनांदगांव में सभा से पहले भी नक्सलियों ने मानपुर इलाके में एक धमाका किया जिसमें एक जवान घायल हुआ। इन घटनाओं के बाद यह तय हो गया है कि लोकसभा चुनाव के दौरान नक्सली बड़ी वारदात करके अपनी ताकत बड़ा रहे है।


ताकत दिखाने की कोशिश कर रहे नक्सली

नक्सली संविधान और लोकतंत्र को नहीं मानते। वे भारतीय गणराज्य से युद्ध का दावा करते हैं। यही वजह है कि लोकसभा चुनावों के दौरान हर बार वे ज्यादा हमलावर दिखते हैं। चार महीने पहले हुए विधानसभा चुनाव में खामोश रहे नक्सली अब फिर से खूनी खेल में जुट गए हैं। 2014 के चुनाव के पहले उन्होंने दरभा के टाहकवाड़ा में सीआरपीएफ के दल पर हमला कर 15 जवानों की हत्या की थी। 2014 के चुनाव के बाद फरसेगढ़ से लौट रही पोलिंग पार्टी की बस को उड़ा दिया जिसमें सात मतदान कर्मियों की मौत हो गई थी।

पीटीसी

मयंक ठाकुर, ईटीवी भारत, रायपुर


छत्तीसगढ़ के 10 बड़े नक्सली हमले

1. छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में सबसे बड़ा नक्सली हमला 6 अप्रैल 2010 को हुआ था जिसमें 76 जवान शहीद हो गए थे। 

2. 25 मई 2013 झीरम घाटी हमला हुआ था। उस हमले में नक्सलियों ने एक परिवर्तन यात्रा पर हमला कर दिया था जिसमें कांग्रेस के शीर्ष नेताओं सहित 30 से ज्यादा लोग मारे गए थे।

3.  एक बार फिर 11 मार्च 2014 को जीरम घाटी पर हमला हुआ था जिसमें 14 जवान शहीद हो गए थे।

4. 12 अप्रैल 2014 को छत्तीसगढ़ के बस्तर में नक्सली हमला हुआ था जिसमें 5 जवानों समेत 14 लोगों की मौत हो गई थी।

5.  अगस्त 2014 में छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में नक्सलियों की गोलीबारी में सीआरपीएफ के तीन जवान घायल हो गए थे।

6. अप्रैल 2015 में छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में हुए नक्सली हमले में नक्सलियों के बिछाए बारुदी सुरंग के फटने से सुरक्षा बल के 4 जवान शहीद हो गए जबकि 8 घायल हो गए थे।

7.  मार्च 2017 में बस्तर में हुए नक्सली हमले में CRPF की 219वीं बटालियन के जवान शहीद हो गए थे।

8. मार्च 2017 में ही छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में  लैंडमाइन ब्लास्ट में CRPF के 7 जवान मारे गए।

9. पिछले महीने 11 मार्च को नक्सलियों ने सीआरपीएफ की 219वीं बटालियन को निशाना बनाया था जिसमें 12 जवान शहीद हो गए थे।

10. आज हुए नक्सली हमले को 2017 का सबसे बड़ा नक्सली हमला माना जा रहा है। जिसमें 25 सीआरपीएफ के जवान शहीद हो गए।

(नोट- इस खबर में फाइल नक्सली हमलों के विज़ुअल लगा सकते है।)Conclusion:
Last Updated : May 8, 2019, 11:48 AM IST
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