रायपुर: छतीसगढ़ की सत्ता में आए भूपेश सरकार को 2 साल पूरे हो गए हैं. कांग्रेस 2 साल के कार्यकाल की उपलब्धियों का बखान कर रही है और इसका जोर शोर से प्रचार-प्रसार किया जा रहा है. महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के मौके पर 2 अक्टूबर 2019 को मुख्यमंत्री वार्ड कार्यालय योजना की शुरुआत की गई थी. इस योजना के तहत वार्ड के लोगों की समस्याओं का समाधान करना था. इनमें स्वच्छता, जलापूर्ति, पर्यावरण, स्ट्रीट लाइट आदि जैसी आम समस्याएं शामिल है.
ETV भारत की टीम ने मुख्यमंत्री वार्ड कार्यालय योजना का रियलिटी चेक किया. ETV भारत की टीम ने रायपुर नगर निगम के वार्डों में जाकर जायजा लिया कि किस तरह मुख्यमंत्री वार्ड कार्यालय के माध्यम से लोगों की समस्याओं का निवारण हो रहा है.
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सबसे पहले रोहणीपुरम तालाब के पास बने मुख्यमंत्री वार्ड कार्यालय का जायजा लिया गया. मुख्यमंत्री वार्ड कार्यालय तो खुला था, लेकिन वहां वार्ड कार्यालय से संबंधित कार्य नहीं किया जा रहा था. वहां पर मौजूद अधिकारी ने बताया कि वहां कोविड-19 का काम चल रहा है. मुख्यमंत्री वार्ड कार्यालय से संबंधित जानकारी उनके पास नहीं है.
कार्यालय में योजना संबंधित कोई जानकारी नहीं
रायपुर नगर निगम से मिली जानकारी के अनुसार ETV भारत की टीम ने जोन क्रमांक 5 के चांगोराभाठा सांस्कृतिक भवन वार्ड कार्यालय का जायजा लेना चाहा, लेकिन वहां किसी प्रकार का मुख्यमंत्री वार्ड कार्यालय संचालित ही नहीं किया जा रहा था. इस संबंध में हमने वार्ड वासियों से बातचीत की, उनका कहना था कि उन्हें मुख्यमंत्री वार्ड कार्यालय से संबंधित किसी प्रकार की जानकारी नहीं है और ना ही उस भवन में मुख्यमंत्री वार्ड कार्यालय संचालित हो रहा है.
धरातल पर फेल नजर आती योजना
इसके बाद ETV भारत की टीम डंगनिया पहुंची. जहां पानी टंकी पर बने वार्ड कार्यालय में कोई भी कर्मचारी या अधिकारी मौजूद नहीं था. और ना ही वहां किसी प्रकार का काम किया जा रहा था. इस संबंध में हमने स्थानीय युवकों से बातचीत की. उनका कहना था कि यह योजना अच्छी तो है लेकिन यहां वार्ड कार्यालय ही बंद पड़ा है. वह कुछ योजना के बारे में जानकारी लेने पहुंचे हुए थे, लेकिन वार्ड कार्यालय बंद होने के कारण उन्हें जानकारी नहीं मिली है. यह योजना धरातल पर पूरी तरह से फेल नजर आ रही है.
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70 वार्डों में हुई थी योजना की शुरुआत
मुख्यमंत्री वार्ड कार्यालय योजना के तहत सभी वार्ड में कार्यालय खोला जाना था. लेकिन रायपुर नगर निगम के 70 वार्डों में से सिर्फ 26 वार्डों में ही वार्ड कार्यालय खुल पाया है. ETV भारत ने कई वार्ड कार्यालयों का जायजा लिया. ज्यादातर कार्यालय बंद पाए गए. जिन दावों के साथ इस योजना को आम जनता की समस्याओं के निवारण के लिए बनाया गया था. वह रियलिटी चेक में फेल साबित हुआ है.
क्या है मुख्यमंत्री वार्ड कार्यालय योजना ?
शहरी निकायों के वार्डों में रहने वाले लोगों की समस्याओं को देखते हुए छत्तीसगढ़ मुख्यमंत्री वार्ड कार्यालय योजना की शुरुआत की गई थी. वार्डवासियों की परेशानियों के समाधान के लिए एक स्टॉप सेंटर के रूप में काम किया जाना था. स्वच्छता और जलापूर्ति की समस्या का निवारण, पर्यावरण संबंधी मुद्दे, गैर कामकाजी, स्ट्रीट लाइट के साथ-साथ सामुदायिक भवनों का आरक्षण लाइसेंस और कर संबंधी कार्य आदि एक छत के नीचे करना इस योजना का मुख्य उद्देश्य था.
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महापौर ने कहा- कार्रवाई की जाएगी
इस संबंध में ETV भारत की टीम ने नगर निगम के महापौर ढेबर से बातचीत की. उनका कहना है कि नगर निगम के बहुत से काम होते हैं, मुख्यमंत्री वार्ड कार्यालय का समय दो से तीन घंटा ही है. जहां वार्ड कार्यालय नहीं खुल रहे हैं. वहां कार्रवाई की जाएगी.
जनता को नहीं मिल रहा योजना का लाभ
ETV भारत की टीम ने रियलिटी चेक में पाया की जिन दावों के साथ मुख्यमंत्री वार्ड कार्यालय योजना की शुरुआत की गई थी. इस योजना से ज्यादातर लोगों को फायदा नहीं हो पा रहा है और शहर के ज्यादातर वार्ड वासियों को इस बारे में जानकारी नहीं है. कई वार्डो में वार्ड कार्यालय तो बनाए गए हैं लेकिन संचालित नहीं हो रहे हैं. ना ही इसका लाभ लोगों को मिल पा रहा है.