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रियल स्टेट कारोबारियों ने की ये मांग, देखिए बजट से क्या है उम्मीद

रियल स्टेट कारोबारियों ने सरकार से मांग की है कि इस साल भी जमीन के सरकारी रेट में वृद्धि नहीं की जाए ताकि मार्केट में आने वाला पैसा रियल स्टेट कारोबार क्षेत्र में लगाया जा सके.

Real state traders demand to Government in raipur
रियल स्टेट कारोबारियों की मांग
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Published : Feb 27, 2020, 2:05 PM IST

Updated : Feb 27, 2020, 2:26 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ में रियल स्टेट कारोबारियों को राज्य सरकार के आगामी बजट से काफी उम्मीदें हैं. वैसे पिछले बजट में कांग्रेस सरकार ने मंदी की हालत से जूझ रहे रियल स्टेट कारोबार को बड़ी राहत दी थी. राज्य सरकार की ओर से सरकारी जमीनों की गाइड लाइन में 30 फीसदी तक कमी करने का असर रियल स्टेट मार्केट पर दिखा था. देशभर की मंदी के हालात के बावजूद छत्तीसगढ़ में जमीनों के कारोबार को एक बड़ी राहत मिली थी. अब एक बार फिर से रियल स्टेट कारोबारियों ने जमीन के दामों और सरकारी रेट पर वृद्धि न करने और रजिस्ट्री शुल्क में भी राहत देने की मांग रखी है.

रियल स्टेट कारोबारियों ने की राज्य सरकार से मांग

भले ही देश इस वक्त मंदी की मार से जूझ रहा हो. लेकिन छत्तीसगढ़ में जमीनों की बिक्री में बढ़ोतरी देखी गई है. रियल स्टेट कारोबारियों से मिली जानकारी के मुताबिक राज्य में सरकारी जमीनों के रेट गाइड लाइन में कम होने का असर सीधे तौर पर रियल स्टेट कारोबार के लिए फायदेमंद साबित हुआ है. जमीनों की रजिस्ट्री में राज्य में पिछले 2 सालों के मुताबिक इस साल रजिस्ट्रीओं में भी काफी इजाफा देखने को मिला है.

कलेक्टर गाइड लाइन से बजट का ऐलान

सरकारी जमीन की कीमत यानी कलेक्टर गाइड लाइन में 30 फीसदी तक कमी करने का ऐलान पिछले बजट में किया गया था. रियल स्टेट के जानकारों ने सरकार के इस फैसले को वाजिब बताते हुए कहा है कि मंदी के दौर में भी रियल स्टेट को सहारा देने वाला फैसला मार्केट के लिए फायदेमंद साबित हुआ है. अब यही उम्मीद है कि सरकार इस निर्णय को आगे भी जारी रखें, ताकि मार्केट में एक फ्लो बना रहे. वहीं क्रेडाई प्रेसिडेंट ने कहा कि उनकी संस्था ने राष्ट्रीय संस्था क्रेडाई के माध्यम से भी मुख्यमंत्री से अनुरोध किया है कि सरकारी गाइड लाइन को यथावत रखा जाए और रजिस्ट्री शुल्क में भी कमी की जाए, ताकि मंदी से जूझ रहे रियल स्टेट कारोबार को एक फ्लो मिल सके.

कारोबार में संभावनाओं के लिए कर सकते हैं प्रयास: अर्थशास्त्री

दरअसल छत्तीसगढ़ में साल 2008 से 2018 तक हर साल जमीन की सरकारी कीमतों में करीब 10 फीसदी तक बढ़ोतरी की जा रही थी. इसका असर यह हुआ कि जमीन की सरकारी कीमत बाजार भाव से कई ज्यादा हो गई. यानी बाजार में जिस जमीन की कीमत कम थी उसे खरीदने के बाद 2 गुना बढ़ी हुई कीमत पर रजिस्ट्री करानी पड़ रही थी. ऐसे में जमीन और मकान की कीमतों में बहुत ज्यादा वृद्धि हो रही थी. अर्थशास्त्रियों का मानना है कि किसी भी चीज की औसत से ज्यादा वृद्धि होना मार्केट के लिए घातक हो सकता है. अर्थशास्त्री डॉ विनोद जोशी कहते हैं कि छत्तीसगढ़ के लिहाज से कारोबार में संभावनाओं के लिए इस तरह के प्रयास किए जा सकते हैं, जिससे कि रियल स्टेट कारोबारियों और पूरे बाजार में एक बेहतर माहौल बन सके.

जमीन के सरकारी रेट में न हो वृद्धि: रियल स्टेट कारोबारी

छत्तीसगढ़ में रियल स्टेट मार्केट में पिछले कुछ सालों से चल रही मंदी का असर लगातार दिखा गया है. लेकिन बीते साल में सरकार की ओर से किए गए बदलाव से मार्केट में एक फ्लो आया है. अब इस साल भी रियल स्टेट कारोबारियों को उम्मीद है कि जमीन के सरकारी रेट में वृद्धि नहीं की जानी चाहिए. ताकि मार्केट में आने वाला पैसा रियल स्टेट कारोबार क्षेत्र में भी लगाया जा सके.

रायपुर: छत्तीसगढ़ में रियल स्टेट कारोबारियों को राज्य सरकार के आगामी बजट से काफी उम्मीदें हैं. वैसे पिछले बजट में कांग्रेस सरकार ने मंदी की हालत से जूझ रहे रियल स्टेट कारोबार को बड़ी राहत दी थी. राज्य सरकार की ओर से सरकारी जमीनों की गाइड लाइन में 30 फीसदी तक कमी करने का असर रियल स्टेट मार्केट पर दिखा था. देशभर की मंदी के हालात के बावजूद छत्तीसगढ़ में जमीनों के कारोबार को एक बड़ी राहत मिली थी. अब एक बार फिर से रियल स्टेट कारोबारियों ने जमीन के दामों और सरकारी रेट पर वृद्धि न करने और रजिस्ट्री शुल्क में भी राहत देने की मांग रखी है.

रियल स्टेट कारोबारियों ने की राज्य सरकार से मांग

भले ही देश इस वक्त मंदी की मार से जूझ रहा हो. लेकिन छत्तीसगढ़ में जमीनों की बिक्री में बढ़ोतरी देखी गई है. रियल स्टेट कारोबारियों से मिली जानकारी के मुताबिक राज्य में सरकारी जमीनों के रेट गाइड लाइन में कम होने का असर सीधे तौर पर रियल स्टेट कारोबार के लिए फायदेमंद साबित हुआ है. जमीनों की रजिस्ट्री में राज्य में पिछले 2 सालों के मुताबिक इस साल रजिस्ट्रीओं में भी काफी इजाफा देखने को मिला है.

कलेक्टर गाइड लाइन से बजट का ऐलान

सरकारी जमीन की कीमत यानी कलेक्टर गाइड लाइन में 30 फीसदी तक कमी करने का ऐलान पिछले बजट में किया गया था. रियल स्टेट के जानकारों ने सरकार के इस फैसले को वाजिब बताते हुए कहा है कि मंदी के दौर में भी रियल स्टेट को सहारा देने वाला फैसला मार्केट के लिए फायदेमंद साबित हुआ है. अब यही उम्मीद है कि सरकार इस निर्णय को आगे भी जारी रखें, ताकि मार्केट में एक फ्लो बना रहे. वहीं क्रेडाई प्रेसिडेंट ने कहा कि उनकी संस्था ने राष्ट्रीय संस्था क्रेडाई के माध्यम से भी मुख्यमंत्री से अनुरोध किया है कि सरकारी गाइड लाइन को यथावत रखा जाए और रजिस्ट्री शुल्क में भी कमी की जाए, ताकि मंदी से जूझ रहे रियल स्टेट कारोबार को एक फ्लो मिल सके.

कारोबार में संभावनाओं के लिए कर सकते हैं प्रयास: अर्थशास्त्री

दरअसल छत्तीसगढ़ में साल 2008 से 2018 तक हर साल जमीन की सरकारी कीमतों में करीब 10 फीसदी तक बढ़ोतरी की जा रही थी. इसका असर यह हुआ कि जमीन की सरकारी कीमत बाजार भाव से कई ज्यादा हो गई. यानी बाजार में जिस जमीन की कीमत कम थी उसे खरीदने के बाद 2 गुना बढ़ी हुई कीमत पर रजिस्ट्री करानी पड़ रही थी. ऐसे में जमीन और मकान की कीमतों में बहुत ज्यादा वृद्धि हो रही थी. अर्थशास्त्रियों का मानना है कि किसी भी चीज की औसत से ज्यादा वृद्धि होना मार्केट के लिए घातक हो सकता है. अर्थशास्त्री डॉ विनोद जोशी कहते हैं कि छत्तीसगढ़ के लिहाज से कारोबार में संभावनाओं के लिए इस तरह के प्रयास किए जा सकते हैं, जिससे कि रियल स्टेट कारोबारियों और पूरे बाजार में एक बेहतर माहौल बन सके.

जमीन के सरकारी रेट में न हो वृद्धि: रियल स्टेट कारोबारी

छत्तीसगढ़ में रियल स्टेट मार्केट में पिछले कुछ सालों से चल रही मंदी का असर लगातार दिखा गया है. लेकिन बीते साल में सरकार की ओर से किए गए बदलाव से मार्केट में एक फ्लो आया है. अब इस साल भी रियल स्टेट कारोबारियों को उम्मीद है कि जमीन के सरकारी रेट में वृद्धि नहीं की जानी चाहिए. ताकि मार्केट में आने वाला पैसा रियल स्टेट कारोबार क्षेत्र में भी लगाया जा सके.

Last Updated : Feb 27, 2020, 2:26 PM IST
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