रायपुर :आजादी के 75वीं वर्षगांठ (Achievements75 ) के मौके पर देशभर में आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा (Ravishankar Shukla Biography ) है. इस खास मौके पर हम आपको ऐसे स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों (freedom fighters of chhattisgarh) के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्होंने राष्ट्रीय स्तर के आंदोलनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उन्ही स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों में से एक हैं पंडित रविशंकर शुक्ला (Pandit Ravi Shankar Shukla). जिन्होंने देश के स्वतंत्रता संग्राम में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया..
कौन थे पंडित रविशंकर शुक्ला : 2 अगस्त 1877 को जन्मे रविशंकर शुक्ल का जन्म सागर जिले में हुआ था, उनके पिता का नाम जगन्नाथ शुक्ला था. रविशंकर शुक्ला ने अपनी प्राथमिक शिक्षा सागर में ही पूरी की. अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने अपनी वकालत की पढ़ाई पूरी की इस दौरान उनके शिक्षा दीक्षा रायपुर जबलपुर और नागपुर से संपन्न हुई.शि क्षा समाप्त करने के बाद 3 साल तक खैरागढ़ राज्य के हाईस्कूल में प्रधानाध्यापक और बस्तर कवर्धा एवं खैरागढ़ के राजकुमारों के शिक्षक रहे. साल 1906 में रायपुर में वकालत की शुरुआत की. पंडित रविशंकर शुक्ल ने वकालत की पढ़ाई के दौरान ही स्वतंत्रता संग्राम के राष्ट्रीय आंदोलन के करीब जुड़ चुके थे.
कैसा था राजनीतिक सफर : शुरू से पण्डित रविशंकर शुक्ल सार्वजनिक कार्यों पर रूचि रखते थे.लेकिन देश को आजाद कराने में महात्मा गांधी के नेतृत्व में हुए असहयोग आंदोलन शुरू होने के दौरान ही उन्होंने वकालत छोड़ कर आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया. साथी राजनीति के क्षेत्र में भी उतर आए. आंदोलन के दौरान अंग्रेजों ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया. साल 1930 में पंडित रविशंकर शुक्ल को 3 साल की सजा हुई. पंडित रविशंकर शुक्ला एक कानूनी विद्वान के साथ-साथ एक उत्कृष्ट अनुभवी नेता थे . वह एक प्रतिबंध लोकतांत्रिक और देशभक्त थे. जिन्होंने राष्ट्र की सेवा के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया.
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एमपी के पहले मुख्यमंत्री : पंडित रविशंकर शुक्ला स्वराज पार्टी (Pandit Ravi Shankar Shukla Swaraj Party) की ओर से राज्यसभा के सदस्य चुने गए. सन 1926 से 1937 तक वह रायपुर जिला बोर्ड के सदस्य रहे.1923 में नागपुर में आयोजित झंडा सत्याग्रह में छत्तीसगढ़ का प्रतिनिधित्व 4 जुलाई, 1937 ई. को खरे के प्रथम कांग्रेसी मंत्री मंडल में शिक्षा मंत्रि के रूप में सम्मिलित हुए तथा विद्या मंदिर योजनाओं को क्रियान्वित किया. 15 अगस्त, 1947 (Indian Independence Day) को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बने और 1956 तक वे इस पद पर बने रहे. 1 नवंबर, 1956 को नए मध्य प्रदेश के प्रथम संस्थापक मुख्यमंत्री बनने का गौरव प्राप्त हुआ.