रायपुर: रंग तेरस रंगों से भरा त्यौहार है, जो चैत्र कृष्ण पक्ष के दौरान त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है. इस बार 19 मार्च को रंग तेरस मनाया जाएगा. इसे रंग त्रयोदशी भी कहा जाता है. इस दिन कृष्ण भगवान की पूजा करने के बाद रंग खेला जाता है.
कृष्ण भगवान को समर्पित है ये त्यौहार: रंग तेरस का त्यौहार भगवान कृष्ण को समर्पित है. राजस्थान के नाथद्वारा में यह पर्व बहुत ही उल्लास के साथ मनाया जाता है. रंग तेरस में देश के कोने-कोने से लोग यहां आते हैं.
ऐसे मनाया जाता है रंग तेरस: रंग तेरस को भारतीय किसानों के धन्यवाद उत्सव के तौर पर मनाया जाता है. इस शुभ दिन पर किसान पृथ्वी माता को भोजन सहित सभी आवश्यक चीजें अर्पित करता है. इस दिन महिलाएं व्रत रखती हैं.
यह भी पढ़ें: Chaitra Navratri 2023: इस दिन से शुरू होगा चैत्र नवरात्र, इस विधि से पूरा करें मां को प्रसन्न
राजस्थान में है फेमस: राजस्थान के मेवाड़ क्षेत्र में गेहूं की फसल पर खुशी व्यक्त करने के लिए रंग तेरस के दिन भव्य आदिवासी मेले का आयोजन किया जाता है. आसपास के राज्यों के लोग भी चैत्र के महीने में इस रंगारंग मेले का हिस्सा बनने आते हैं. ये पर्व 15वीं शताब्दी से मनाया जाता रहा है. बुजुर्ग लोगों की भीड़ 'नगाड़ा' बजाती है. युवक बांस की लकड़ियों से और तलवारों से बजने वाले संगीत की ताल को बजाने की कोशिश करते हैं. नृत्य की यह कला मेवाड़ क्षेत्र की खासियत है. इसे गेर के नाम से लोग जानते हैं.
रंगतेरस का महत्व: रंगारंग जुलूस और उन्माद रंग तेरस के त्यौहार का वर्णन करता है. कई जगहों पर इसे होली समारोह के एक भाग के रूप में भी मनाया जाता है.