रायपुर: गरीबों की मसीहा के नाम से विश्व विख्यात, ममता और दया से भरी मदर टेरेसा की आज 109वीं जयंती मनाई जा रही है. उनके विचारों ने समाज में शांति और प्रेम का प्रकाश फैलाया. उनकी जयंती पर पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने ट्वीट कर श्रद्धांजलि दी है. उनके महान कार्यों को याद किया है.
रमन ने ट्वीट कर लिखा कि, 'स्वयं को समाज के वंचितों की सेवा में अर्पित करने वाली दया और करुणा की प्रतिमूर्ति, नोबेल शांति सम्मान से पुरस्कृत आदरणीय मदर टेरेसा जी की जयंती पर उन्हें कोटि-कोटि नमन. सम्पूर्ण जीवन मानवता की सेवा में अर्पित करने वाली मदर टेरेसा जी के कार्य सदैव स्मरणीय रहेंगे.'
-
स्वयं को समाज के वंचितों की सेवा में अर्पित करने वाली दया और करुणा की प्रतिमूर्ति, नोबेल शांति सम्मान से पुरस्कृत आदरणीय #MotherTeresa जी की जयंती पर उन्हें कोटि-कोटि नमन। सम्पूर्ण जीवन मानवता की सेवा में अर्पित करने वाली मदर टेरेसा जी के कार्य सदैव स्मरणीय रहेंगे। pic.twitter.com/0fybh50wEy
— Dr Raman Singh (@drramansingh) August 26, 2019 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
">स्वयं को समाज के वंचितों की सेवा में अर्पित करने वाली दया और करुणा की प्रतिमूर्ति, नोबेल शांति सम्मान से पुरस्कृत आदरणीय #MotherTeresa जी की जयंती पर उन्हें कोटि-कोटि नमन। सम्पूर्ण जीवन मानवता की सेवा में अर्पित करने वाली मदर टेरेसा जी के कार्य सदैव स्मरणीय रहेंगे। pic.twitter.com/0fybh50wEy
— Dr Raman Singh (@drramansingh) August 26, 2019स्वयं को समाज के वंचितों की सेवा में अर्पित करने वाली दया और करुणा की प्रतिमूर्ति, नोबेल शांति सम्मान से पुरस्कृत आदरणीय #MotherTeresa जी की जयंती पर उन्हें कोटि-कोटि नमन। सम्पूर्ण जीवन मानवता की सेवा में अर्पित करने वाली मदर टेरेसा जी के कार्य सदैव स्मरणीय रहेंगे। pic.twitter.com/0fybh50wEy
— Dr Raman Singh (@drramansingh) August 26, 2019
टेरेसा भारत रत्न से सम्मानित रोमन कैथोलिक नन थी. आज उनकी जयंती पर पूरा देश नमन कर श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा है.
पूरा जीवन असहायों और पीड़ितों को किया समर्पित
मदर टेरेसा का जन्म 26 अगस्त 1910 में मेसिडोनिया के स्कोप्जे शहर में हुआ था. उनका पूरा नाम 'अगनेस गोंझा बोयाजिजू' था. सन् 1929 में वो भारत आईं. साल 1948 में उन्होंने भारतीय नागरिकता ली. 1950 में उन्होंने कोलकाता में मिशनरीज ऑफ चैरिटी की स्थापना की, जिसके बाद उन्होंने असहायों की मदद और देखरेख में अपना पूरा जीवन लगा दिया. 5 सितंबर 1997 को उन्होंने 87 साल की उम्र में इस दुनिया को अलविदा कह दिया.