रायपुर : जिस तरह खादी के लिए बापू को याद किया जाता है, ठीक वैसे ही अलसी से बने हुए कपड़ों के लिए छत्तीसगढ़ के जांजगीर चांपा जिले में रहने वाले रामाधार को याद किया जाएगा. रामाधार की मेहनत ने अलसी को एक नया रूप देकर कपड़े में बदल दिया है, जो अब राष्ट्रीय नहीं बल्कि अंतराष्ट्रीय स्तर पर भी बेचे जाएंगे. रामाधार ने अलसी के तने से कपड़े और जैकेट का निर्माण किया है, जिसे राज्योत्स्व मेले के स्टॉल में रखा गया है. अलसी से बने जैकेट को रामाधार ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को भेंट किया है.
रामाधार देवांगन सिवनी ग्राम के रहने वाले हैं. रामाधार कोसा और रेशम से कपड़ा बनाने का पुश्तैनी काम करते हैं. इसके परिणाम स्वरूप उन्होंने अलसी के तने से कपड़े और शॉल बनाए हैं. जिसे उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेंट किया था.
- रामाधार ने बताया अलसी के तने से कपड़े बनाने के लिए सबसे पहले अलसी को पकाना पड़ता है अलसी पकने के बाद उसके बीज को निकाल लिया जाता है और उसे कचरे में फेंक दिया जाता है, लेकिन उसी तने से कपड़ा बनाने के लिए को अलसी के तने को पांच दिन पानी में भिगोकर रखा जाता है. उसके बाद उसे सुखाकर रेशा निकाला जाता है फिर वैसे के बाद धागा बनाया जाता है. धागे से कपड़े का निर्माण किया जाता है.
- बातचीत में उन्होंने बताया कि छत्तीसढ़ के किसानों ने अलसी की खेती करना बंद कर दिया था, लेकिन अलसी से बने कपड़े के निर्माण के बाद एक बार फिर वे अलसी की खेती कर रहे हैं. अलसी से बने कपड़े को वे हजार रुपए प्रति मीटर में बेच रहे हैं और 25 सौ रुपए में जैकेट बेच रहे हैं.
- साथ ही इसका जैकेट मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को भी पहनाया था. मशीन और अन्य खर्चों के लिए सराकर की तरफ से उन्हे 25 लाख रुपए स्वीकृत किए गए हैं. साथ ही जानकारी देते हुए उन्होंने यह भी बताया कि अलसी के रेशे से बने हुए जैकेट वे पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह , केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और छत्तीसगढ़ के कृषि मंत्री रविंद्र चौबे को भी पहना चुके हैं.
- इसके आलावा उन्होने बताया कि बिच्छू घास और लाल अमारी से भी कपड़े का निर्माण कर रहे हैं. बिच्छू घास की पैदावार उत्तराखंड के जंगलों में है, लेकिन छत्तीसगढ़ में कोरबा जिले के पुटका पहाड़ में भी यह घास पाई जाती है. वह इसे पीस करके इसका रेशा निकालकर कपड़े का निर्माण किया जा रहा है. वहीं लाल अमारी से भी कपड़े का निर्माण सैंपल के लिए तैयार किया गया है इसका जूस और अचार भी बनाया जाएगा.
इंसान अगर चाह ले तो कोई भी काम मुमकिन है. इस कहावत को रामाधार ने सच कर दिखाया है. अब वो दिन दूर नहीं जब आप अलसी के रेशे से बने रंग बिरंगे कपड़े आप की शान-ओ-शौकत में चार चांद लगाएंगे.