ETV Bharat / state

जांजगीर के किसान ने कर दिया कमाल, अलसी के तने से बनाए रंग बिरंगे कपड़े - बिच्छू घास

जांजगीर चांपा के किसान रामाधार देवांगन ने अलसी के तने से कुछ ऐसा कर दिखाया जिसकी तारीफ पीएम नरेंद्र मोदी से लेकर सीएम भूपेश बघेल ने की.

अलसी के बीज से किसान का कमाल
author img

By

Published : Nov 3, 2019, 9:16 PM IST

Updated : Nov 3, 2019, 11:01 PM IST

रायपुर : जिस तरह खादी के लिए बापू को याद किया जाता है, ठीक वैसे ही अलसी से बने हुए कपड़ों के लिए छत्तीसगढ़ के जांजगीर चांपा जिले में रहने वाले रामाधार को याद किया जाएगा. रामाधार की मेहनत ने अलसी को एक नया रूप देकर कपड़े में बदल दिया है, जो अब राष्ट्रीय नहीं बल्कि अंतराष्ट्रीय स्तर पर भी बेचे जाएंगे. रामाधार ने अलसी के तने से कपड़े और जैकेट का निर्माण किया है, जिसे राज्योत्स्व मेले के स्टॉल में रखा गया है. अलसी से बने जैकेट को रामाधार ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को भेंट किया है.

पैकेज

रामाधार देवांगन सिवनी ग्राम के रहने वाले हैं. रामाधार कोसा और रेशम से कपड़ा बनाने का पुश्तैनी काम करते हैं. इसके परिणाम स्वरूप उन्होंने अलसी के तने से कपड़े और शॉल बनाए हैं. जिसे उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेंट किया था.

  • रामाधार ने बताया अलसी के तने से कपड़े बनाने के लिए सबसे पहले अलसी को पकाना पड़ता है अलसी पकने के बाद उसके बीज को निकाल लिया जाता है और उसे कचरे में फेंक दिया जाता है, लेकिन उसी तने से कपड़ा बनाने के लिए को अलसी के तने को पांच दिन पानी में भिगोकर रखा जाता है. उसके बाद उसे सुखाकर रेशा निकाला जाता है फिर वैसे के बाद धागा बनाया जाता है. धागे से कपड़े का निर्माण किया जाता है.
  • बातचीत में उन्होंने बताया कि छत्तीसढ़ के किसानों ने अलसी की खेती करना बंद कर दिया था, लेकिन अलसी से बने कपड़े के निर्माण के बाद एक बार फिर वे अलसी की खेती कर रहे हैं. अलसी से बने कपड़े को वे हजार रुपए प्रति मीटर में बेच रहे हैं और 25 सौ रुपए में जैकेट बेच रहे हैं.
  • साथ ही इसका जैकेट मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को भी पहनाया था. मशीन और अन्य खर्चों के लिए सराकर की तरफ से उन्हे 25 लाख रुपए स्वीकृत किए गए हैं. साथ ही जानकारी देते हुए उन्होंने यह भी बताया कि अलसी के रेशे से बने हुए जैकेट वे पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह , केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और छत्तीसगढ़ के कृषि मंत्री रविंद्र चौबे को भी पहना चुके हैं.
  • इसके आलावा उन्होने बताया कि बिच्छू घास और लाल अमारी से भी कपड़े का निर्माण कर रहे हैं. बिच्छू घास की पैदावार उत्तराखंड के जंगलों में है, लेकिन छत्तीसगढ़ में कोरबा जिले के पुटका पहाड़ में भी यह घास पाई जाती है. वह इसे पीस करके इसका रेशा निकालकर कपड़े का निर्माण किया जा रहा है. वहीं लाल अमारी से भी कपड़े का निर्माण सैंपल के लिए तैयार किया गया है इसका जूस और अचार भी बनाया जाएगा.

इंसान अगर चाह ले तो कोई भी काम मुमकिन है. इस कहावत को रामाधार ने सच कर दिखाया है. अब वो दिन दूर नहीं जब आप अलसी के रेशे से बने रंग बिरंगे कपड़े आप की शान-ओ-शौकत में चार चांद लगाएंगे.

रायपुर : जिस तरह खादी के लिए बापू को याद किया जाता है, ठीक वैसे ही अलसी से बने हुए कपड़ों के लिए छत्तीसगढ़ के जांजगीर चांपा जिले में रहने वाले रामाधार को याद किया जाएगा. रामाधार की मेहनत ने अलसी को एक नया रूप देकर कपड़े में बदल दिया है, जो अब राष्ट्रीय नहीं बल्कि अंतराष्ट्रीय स्तर पर भी बेचे जाएंगे. रामाधार ने अलसी के तने से कपड़े और जैकेट का निर्माण किया है, जिसे राज्योत्स्व मेले के स्टॉल में रखा गया है. अलसी से बने जैकेट को रामाधार ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को भेंट किया है.

पैकेज

रामाधार देवांगन सिवनी ग्राम के रहने वाले हैं. रामाधार कोसा और रेशम से कपड़ा बनाने का पुश्तैनी काम करते हैं. इसके परिणाम स्वरूप उन्होंने अलसी के तने से कपड़े और शॉल बनाए हैं. जिसे उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेंट किया था.

  • रामाधार ने बताया अलसी के तने से कपड़े बनाने के लिए सबसे पहले अलसी को पकाना पड़ता है अलसी पकने के बाद उसके बीज को निकाल लिया जाता है और उसे कचरे में फेंक दिया जाता है, लेकिन उसी तने से कपड़ा बनाने के लिए को अलसी के तने को पांच दिन पानी में भिगोकर रखा जाता है. उसके बाद उसे सुखाकर रेशा निकाला जाता है फिर वैसे के बाद धागा बनाया जाता है. धागे से कपड़े का निर्माण किया जाता है.
  • बातचीत में उन्होंने बताया कि छत्तीसढ़ के किसानों ने अलसी की खेती करना बंद कर दिया था, लेकिन अलसी से बने कपड़े के निर्माण के बाद एक बार फिर वे अलसी की खेती कर रहे हैं. अलसी से बने कपड़े को वे हजार रुपए प्रति मीटर में बेच रहे हैं और 25 सौ रुपए में जैकेट बेच रहे हैं.
  • साथ ही इसका जैकेट मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को भी पहनाया था. मशीन और अन्य खर्चों के लिए सराकर की तरफ से उन्हे 25 लाख रुपए स्वीकृत किए गए हैं. साथ ही जानकारी देते हुए उन्होंने यह भी बताया कि अलसी के रेशे से बने हुए जैकेट वे पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह , केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और छत्तीसगढ़ के कृषि मंत्री रविंद्र चौबे को भी पहना चुके हैं.
  • इसके आलावा उन्होने बताया कि बिच्छू घास और लाल अमारी से भी कपड़े का निर्माण कर रहे हैं. बिच्छू घास की पैदावार उत्तराखंड के जंगलों में है, लेकिन छत्तीसगढ़ में कोरबा जिले के पुटका पहाड़ में भी यह घास पाई जाती है. वह इसे पीस करके इसका रेशा निकालकर कपड़े का निर्माण किया जा रहा है. वहीं लाल अमारी से भी कपड़े का निर्माण सैंपल के लिए तैयार किया गया है इसका जूस और अचार भी बनाया जाएगा.

इंसान अगर चाह ले तो कोई भी काम मुमकिन है. इस कहावत को रामाधार ने सच कर दिखाया है. अब वो दिन दूर नहीं जब आप अलसी के रेशे से बने रंग बिरंगे कपड़े आप की शान-ओ-शौकत में चार चांद लगाएंगे.

Intro:राजस्व में हर विभाग ने अपनी ओर से अलग-अलग स्टॉल लगाए हैं वहीं कृषि विभाग के अंतर्गत इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के स्टॉल में एक ऐसे किसान ने अपना स्टॉल लगाया है जहां वे अलसी से बने हुए कपड़े बेच रहे हैं।।

जांजगीर-चांपा जिले के सिवनी ग्राम के रहने वाले रामाधार देवांगन नवाचार किसान के रूप में उभरकर सामने आए हैं, इन्होंने अनुपयोगी अलसी के तने से कपड़े का निर्माण किया है। रामाधार ने बताया कि वे इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के साइंटिस्ट के पी वर्मा से उन्हें इस विषय की जानकारी हुई।

उन्होंने बताया कि कोसा और रेशम से कपड़ा बनाने का पुश्तैनी काम है, उन्हें अलसी के रफी की जानकारी मिली तो जानकारी के बाद उन्होंने पैसे से धागा बनाकर कपड़ा बनाया है।।




Body:

ऐसे बनता है अलसी के तने से कपड़ा

रामाधार ने बताया कि अलसी पकने के बाद उसके बीज को निकाल लिया जाता है और जो तना बचा रहता है उसे कचरे में फेंक दिया जाता है, लेकिन उसी तने से कपड़ा बनाने के लिए को अलसी के तने को पांच दिन पानी में भिगोकर रखा जाता है।
उसके बाद उसे सुखाकर , उसे रेशा निकाला जाता है फिर वैसे के बाद धागा बनाया जाता है।। धागे के बाद फिर कपड़ा बनाया जाता है।।

उन्होंने बताया कि वे अलसी के कपड़े के अलावा अलसी के बीज से सात प्रकार के व्यंजन तैयार किए हैं जिसमें अलसी का छत्तीसगढ़ी लड्डू, अलसी का पंजाबी लड्डू अलसी का मराठी लड्डू अलसी की चिक्की, मुखवास, नमकीन रोस्टर, और चटनी का निर्माण किया है। वही लोग भी इसे काफी पसंद कर रहे हैं।




Conclusion:पेड़ बताया कि वह भी अलसी इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय से ले रहे हैं उनके क्षेत्र में किसानों ने अलसी बुना बंद कर दिया था लेकिन अभी जागरूकता के बाद किसान अलसी की खेती कर रहे हैं।।

बिच्छू घास और लाल अमारी से बने कपड़े


इसके अलावा बिच्छू घास और लाल अमारी से भी रामाधार कपड़े का निर्माण कर रहे है।। रामाधर ने बताया कि बिच्छू घास मूलतः उत्तराखंड के जंगलों में बिच्छू घास की ज्यादा पैदावार है लेकिन छत्तीसगढ़ में कोरबा जिले के पुटका पहाड़ में भी यह घास पाई गई है। वह इसका प्लीज करके इसका रेशा निकालकर कपड़े का निर्माण किया जा रहा है।।

वही लाल अमारी से भी कपड़े का निर्माण सैंपल के लिए तैयार किया गया है, ने बताया कि उनके क्षेत्र में महिला पार्वती देवांगन अपने खेत में आधे एकड़ में लाल अमारी को बोई है, उसका कपड़ा तैयार किया जाएगा उसका जूस और अचार भी बनाया जाएगा।

वहीं राज्य उत्सव के दौरान उन्होंने बनाए हुए कपड़े को लेकर आया है और लोग उसे खरीद भी रहे हैं उन्हें बताया कि अलसी से बने हुए कपड़े को हजार रुपए मीटर में बेच रहे हैं और 25 सौ रुपए में जैकेट बेचा जा रहा है।।

रामाधार ने बताया कि अलसी से बना हुआ और शॉल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेंट की थी, साथ ही इसका जैकेट मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पहनाया था उन्होंने बतौर मेहनताना मुझे 2000 रुपए दिए थे । वही इसका निर्माण अभी हाथ से किया गया है वह इस प्रोसेस के लिए मशीन और अन्य खर्चों के लिए 25 लाख रुपए मुख्यमंत्री ने स्वीकृत किए हैं । वही अलसी के रेशे से बनाए हुए जैकेट वे पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह , केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और छत्तीसगढ़ के कृषि मंत्री रविंद्र चौबे को भी पहना चुके हैं।।




Last Updated : Nov 3, 2019, 11:01 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.