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Rajyoga to the native of Trika Bhav: जानिए कैसे बनता है राजयोग, क्या आपकी कुंडली में भी है यह खास योग ! - जानिए कैसे बनता है राजयोग

ज्योतिष ग्रंथों में माना गया है कि आठवें भाव का स्वामी या त्रिक भाव का स्वामी यानी छठवें, आठवें और बारहवें भाव का स्वामी जिस भाव में जाता है. उसके अच्छे फलों को खराब कर देता है. लेकिन रायपुर के ज्योतिषि का मानना है कि आठवें भाव का स्वामी यदि दसवें भाव में जाता है या दसवें भाव का संबंध आठवें भाव से हो जाए तो यह राजयोग देता है. Rajyog is formed

Rajyoga to the native of Trika Bhav
आठवें भाव का स्वामी
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Published : Mar 2, 2023, 12:22 AM IST

जानिए कैसे बनता है राजयोग

रायपुर: त्रिक भाव को लेकर अमूमन लोगों के मन में अलग ही विचार होते हैं. छठवें, आठवें, बारहवें भाव के स्वामी को लेकर यह माना जाता है कि ये जिस भी भाव में जाएंगे, नुकसान ही करेंगे. लेकिन इस पर ज्योतिषि महेंद्र कुमार ठाकुर की राय बिल्कुल अलग है. उनका मानना है कि "आठवें भाव के स्वामी के दसवें भाव में जाने या दसवें भाव का आठवें भाव संबंध होने पर राजयोग बनता है. हालांकि आठवें भाव का स्वामी होने के कारण यह मानसिक तनाव भी देता है. इसलिए इसकी शांति करा लेना उचित होता है. इसके लिए संबंधित ग्रह का मंत्र जाप करना श्रेष्ठ है."

भगवान विष्णु के मंत्र का जाप करने से मिलती है शांति: ज्योतिष एवं वास्तुविद डॉक्टर महेंद्र कुमार ठाकुर ने बताया कि "ऐसे जातक अपने कुलदेवता या कुलदेवी या फिर अपने गुरु मंत्र का जाप करे. भगवान विष्णु या कृष्ण भगवान के किसी मंत्र का जाप करें तो भी तनाव में कमी आती है. आठवें भाव की दशा में जिनका भाव में दशमेश रहा है, दशमेश यानी दशम भाव का स्वामी, तो उनकी दशा में ही अनेक उच्च पद पर पहुंचने वाले लोग मिलते हैं."

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अष्टमेश की दशा में ही लाल बहादुर शास्त्री बने थे पीएम: डॉक्टर महेंद्र कुमार ठाकुर ने बताया कि "लाल बहादुर शास्त्री और नरसिम्हा राव अष्टमेश की दशा में ही प्रधानमंत्री बने थे. यही सूत्र छठवें और 12वें भाव के स्वामी पर भी लागू होता है. 12वें भाव के स्वामी का संबंध अगर द्वितीय भाव से हो जाए, तो उसको धन की प्राप्ति होगी. यदि छठे भाव के स्वामी का संबंध चौथे भाव से हो जाए तो ऐसी स्थिति में रोग, ऋण, शत्रु से भले ही परेशान रहें, लेकिन उसको अंत में लाभ प्राप्त ही होता है. यह लाभ अचल संपत्ति या निवास से संबंधित हो सकता है."

आठवें भाव के स्वामी से न घबराएं: डॉक्टर महेंद्र कुमार ठाकुर के मुताबिक "आठवें भाव का स्वामी केवल नुकसान करता है, लोगों को इस धारणा से बाहर निकलने की जरूरत है. बल्कि आठवें भाव के स्वामी से राजयोग तो मिलता ही है, कार्यों के लिए, व्यापार के लिए, राजनीति के लिए यह बहुत लाभदायक है.

जानिए कैसे बनता है राजयोग

रायपुर: त्रिक भाव को लेकर अमूमन लोगों के मन में अलग ही विचार होते हैं. छठवें, आठवें, बारहवें भाव के स्वामी को लेकर यह माना जाता है कि ये जिस भी भाव में जाएंगे, नुकसान ही करेंगे. लेकिन इस पर ज्योतिषि महेंद्र कुमार ठाकुर की राय बिल्कुल अलग है. उनका मानना है कि "आठवें भाव के स्वामी के दसवें भाव में जाने या दसवें भाव का आठवें भाव संबंध होने पर राजयोग बनता है. हालांकि आठवें भाव का स्वामी होने के कारण यह मानसिक तनाव भी देता है. इसलिए इसकी शांति करा लेना उचित होता है. इसके लिए संबंधित ग्रह का मंत्र जाप करना श्रेष्ठ है."

भगवान विष्णु के मंत्र का जाप करने से मिलती है शांति: ज्योतिष एवं वास्तुविद डॉक्टर महेंद्र कुमार ठाकुर ने बताया कि "ऐसे जातक अपने कुलदेवता या कुलदेवी या फिर अपने गुरु मंत्र का जाप करे. भगवान विष्णु या कृष्ण भगवान के किसी मंत्र का जाप करें तो भी तनाव में कमी आती है. आठवें भाव की दशा में जिनका भाव में दशमेश रहा है, दशमेश यानी दशम भाव का स्वामी, तो उनकी दशा में ही अनेक उच्च पद पर पहुंचने वाले लोग मिलते हैं."

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अष्टमेश की दशा में ही लाल बहादुर शास्त्री बने थे पीएम: डॉक्टर महेंद्र कुमार ठाकुर ने बताया कि "लाल बहादुर शास्त्री और नरसिम्हा राव अष्टमेश की दशा में ही प्रधानमंत्री बने थे. यही सूत्र छठवें और 12वें भाव के स्वामी पर भी लागू होता है. 12वें भाव के स्वामी का संबंध अगर द्वितीय भाव से हो जाए, तो उसको धन की प्राप्ति होगी. यदि छठे भाव के स्वामी का संबंध चौथे भाव से हो जाए तो ऐसी स्थिति में रोग, ऋण, शत्रु से भले ही परेशान रहें, लेकिन उसको अंत में लाभ प्राप्त ही होता है. यह लाभ अचल संपत्ति या निवास से संबंधित हो सकता है."

आठवें भाव के स्वामी से न घबराएं: डॉक्टर महेंद्र कुमार ठाकुर के मुताबिक "आठवें भाव का स्वामी केवल नुकसान करता है, लोगों को इस धारणा से बाहर निकलने की जरूरत है. बल्कि आठवें भाव के स्वामी से राजयोग तो मिलता ही है, कार्यों के लिए, व्यापार के लिए, राजनीति के लिए यह बहुत लाभदायक है.

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