रायपुर : भारतीय रेल दुनिया के सर्वश्रेष्ठ रेल नेटवर्क में से एक है. यह अपने नेटवर्क के माध्यम से अपने यात्रियों को विश्व स्तर की सुविधा प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है. अपने यात्रियों को स्वच्छ वातावरण और सुगम यात्रा का अनुभव प्रदान करने के लिए भारतीय रेल ने 'स्वच्छ भारत स्वच्छ रेल' पहल के अंतर्गत विभिन्न कदम उठाए हैं, जिसमें से एक बायो टॉयलेट भी शामिल हैं.
भारतीय रेल में सत्र 2018-2019 के दौरान 14,916 रेल डिपो में 49,487 बायो टॉयलेट लगाए गए. इसके साथ ही 100 फीसदी कवरेज के साथ 68,800 कोचों में लगाए गए बायो टॉयलेट की संख्या 2,45,400 हो गई है.
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1400 बायो टॉयलेट लगाए गए
रायपुर रेल मंडल की बात करें, तो यहां रेल मंडल ने लगभग 13 गाड़ियां दुर्ग-जम्मूतवी-दुर्ग , अजमेर-दुर्ग-अजमेर, दुर्ग-राजेंद्र नगर- दुर्ग, दुर्ग-अंबिकापुर-दुर्ग, दुर्ग-कानपुर-दुर्ग सहित सभी गाड़ियों के लगभग 375 कोचों में 1400 बायो टॉयलेट लगाए हैं, जिससे पर्यावरण प्रदूषण नहीं होता. साथ ही पटरी पर वेस्ट प्रोडक्ट भी नहीं दिखता. बायो टॉयलेट बैक्टीरिया वेस्ट मटेरियल को डस्ट पाउडर के रूप में बदल देता है.
यात्रियों से अपील
रेलवे की ओर से यात्रियों से अपील भी की गई है कि यात्रियों के बॉटल, चाय के कप, कपड़े, नैपकिन, पॉलीथिन और गुटखा पाउच इत्यादि को टॉयलेट में डालने के कारण बायो टॉयलेट जाम हो जाता है और सुचारू रूप से कार्य नहीं करता है. इसलिए शौचालय में बोतल, चाय के कप, कपड़े, नैपकिन पॉलीथिन और गुटखा पाउच इत्यादि न डालें. हर बायो टॉयलेट के कोच के टॉयलेट में 1 डस्टबिन भी रखा गया है, जिसमें कूड़ा डाला जा सकता है.