रायपुर: छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसिएशन ने प्रदेश में शिक्षा का अधिकार को लेकर निजी स्कूलों पर कई गंभीर आरोप लगाये हैं.
छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष क्रिस्टोफर पाल का कहना है कि प्रदेश में शिक्षा का अधिकार कानून के तहत सभी गरीब बच्चों को इसका लाभ नहीं मिल रहा है. उन्होंने कहा कि निजी स्कूलों को अप्रत्यक्ष रूप से लाभ पहुंचाने की नियत से कम सीटों पर गरीब बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में प्रवेश दिया जा रहा है.
अधिकारी नहीं दे रहे ध्यान
क्रिस्टोफर पाल का कहना है कि जिम्मेदार अधिकारी जानबूझकर सुनियोजित तरीकों से खाली सीटों पर गरीब बच्चों को प्रवेश नहीं दे रहे हैं. जिसके कारण प्रदेश के हजारों गरीब बच्चे बेहतर शिक्षा से वंचित हो रहे हैं. वहीं सरकार भी इसके लिए कुछ नहीं कर रही है.
कोर्ट के आदेश का पालन नहीं
पैरेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष ने बताया कि बिलासपुर हाई कोर्ट ने 2016 में एक आदेश दिया था. जिसमें कहा गया था प्रदेश में आरटीई के तहत सभी खाली सीटों को भरा जाएगा, लेकिन सत्र 2018-19 में 43 हजार सीट खाली रह गई. जिसका लाभ निजी स्कूल संचालक उठा रहे हैं. इसके बाद सत्र 2019-20 में भी लगभग 35 हजार सीट खाली पड़ी हैं.
खाली जगह पर बच्चों का भरा जाए
छत्तीसगढ़ में नया सेशन 1 अप्रैल से शुरू हो गया है. गर्मी की छुट्टी के बाद 24 जून से स्कूल भी खुल जाएंगे, लेकिन 35 हजार सीट अब भी खाली पड़ी हैं. क्रिस्टोफर पाल का कहा, 'हमारी सरकार से दो मांग हैं. इसमें शिक्षा का अधिकार अधिनियम में पिछले तीन साल से खाली पदों को भरा जाए और दूसरा आरटीई के तहत समिति या आयोग न बनाकर कानून बनाया जाए. जैसे दिल्ली में कानून बनाया गया है.'