रायपुर: छत्तीसगढ़ में साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं. इसलिए सरकार से लेकर विपक्ष आदिवासियों का साधने में जुटे हैं. इसी कड़ी में भूपेश सरकार आज विश्व आदिवासी दिवस को छत्तीसगढ़ में बड़े स्तर पर मनाने जा रही है. जिसके लिए प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों में कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आज बस्तर संभाग के जगदलपुर और सरगुजा संभाग के सीतापुर में आयोजित विश्व आदिवासी दिवस के कार्यक्रम में शामिल होंगे.
सीएम बघेल बस्तर को देंगे सौगात: सीएम भूपेश बघेल 8 और 9 अगस्त को जगदलपुर के दौरे पर हैं. इसी क्रम में आज सीएम भूपेश बघेल जगदलपुर के पीजी काॅलेज ग्राउंड में बस्तर संभाग के लोगों को 637 करोड़ रुपये के विकास कार्यों की सौगात देंगे. जिसके तहत 486 करोड़ 70 लाख के 1838 कार्यों का भूमिपूजन और 150 करोड़ 32 लाख के 462 कार्यों का लोकार्पण किया जाएगा. साथ ही सीएम भूपेश कई योजना के लाभार्थियों को मंच पर बुलाकर सहायक उपकरण भेंट करेंगे.
सरगुजा में कांग्रेस का शक्ति प्रदर्शन: विश्व आदिवासी दिवस पर सरगुजा के सीतापुर में भी बड़ा आदिवासी सम्मेलन आयोजित किया गया है. आज के इस समारोह को आदिवासी सम्मेलन के बहाने चुनाव से पहले कांग्रेस का शक्ति प्रदर्शन भी माना जा रहा है. क्योंकि प्रदेश कांग्रेस प्रभारी कुमारी शैलजा, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव समेत तमाम कांग्रेसी नेता इस आदिवासी सम्मेलन में मौजूद रहेंगे. सीतापुर के कार्यक्रम में राहुल गांधी के भी आने की चर्चा थी. लेकिन वो किसी कारण से नहीं आ रहे हैं.
सरगुजा के आदिवासियों को देंगे सौगात: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जगदलपुर से सीधे सरगुजा के सीतापुर पहुंचेंगे. विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर सीतापुर में आयोजित आदिवासी सम्मेलन में सीएस भूपेश शामिल होंगे. इस दौरान सीएम भूपेश सरगुजा संभाग के वासियों को 334.23 करोड़ के 269 विकास कार्यों की सौगात देंगे. इसके साथ ही 696 हितग्राहियों को व्यक्तिगत एवं सामुदायिक वनाधिकार पत्र वितरित करेंगे. वहीं 27 हजार से ज्यादा हितग्राहियों को आवश्यक दस्तावेज, सामग्री और सहायता राशि का चेक बांटेंगे.
कांग्रेस के लिए सरगुजा क्यों है खास? : राजनीतिक विश्लेषक मनोज गुप्ता के अनुसार, 2003 को छोड़ दें, तो अविभाजित मध्यप्रदेश में भी सरगुजा ने कांग्रेस का साथ दिया है. आदिवासी वर्ग ने जिसका साथ दिया, सरकार भी उसका ही बनाना तय माना जाता है. यही कारण है कि 2003 में भी कांग्रेस में चुनावी शंखनाद सरगुजा से किया, 2008 में राहुल गांधी खुद यहां आए थे. 2013 के चुनाव से पहले भी कांग्रेस ने सरगुजा से शुरुआत की थी. 2018 में भी राहुल गांधी आये और चुनावी अभियान की शुरुआत यहां से की थी.
"छत्तीसगढ़ में आदिवासी मतदाता ही सरकार बनाने की मुख्य कड़ी रहे हैं. उत्तर छत्तीसगढ़ का सरगुजा और दक्षिण छत्तीसगढ़ का बस्तर, दोनों ही आदिवासी बाहुल्य है. इसमें सरगुजा से हमेशा कांग्रेस को बढ़त मिली है. वर्तमान में सरगुजा की 14 में से 14 सीट कांग्रेस के पास है. वहीं बस्तर की भी 12 में से 12 सीट कांग्रेस के पास है. इसलिए कांग्रेस नेता अपने मजबूत गढ़ को ही तवज्जो देते हैं. यही वजह है कि कांग्रेस आदिवासी मतदाताओं को साधने का प्रयास कर रही है." - मनोज गुप्ता, राजनीतिक विश्लेषक
आदिवासी सम्मेलन के क्या है मायने? : कांग्रेस की नजर हमेशा से सरगुजा और बस्तर पर रही है. पिछले विधानसभा चुनाव में छत्तीसगढ़ में सत्ता परिवर्तन का शंखनाद कांग्रेस ने सरगुजा और बस्तर से ही किया था. जिसका नतीजा यह रहा कि इन दोनों संभाग में कांग्रेस ने बंपर जीत हासिल किया. लेकिन इस विधानसभा चुनाव में पहली बार सर्व आदिवासी समाज की ओर से 50 सीटों पर उम्मीदवार उतारने की घोषणा की गई है. जिसने कांग्रेस और भाजपा की नींद उड़ा दी है. इसी को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस अब एक बार फिर सरगुजा और बस्तर को प्राथमिकता में रखकर आगे बढ़ रही है. कांग्रेस आज बस्तर संभाग समेत पूरे छत्तीसगढ़ में विश्व आदिवासी दिवस मनाने जा रही है. जिला स्तर पर भी कई आयोजन होंगे. वहीं सीएम भूपेश बघेल बस्तर और सरगुजा संभाग में आदिवासियों के लिए सौगातों की बौछार करेंगे.