रायपुर : हम घर पर अक्सर पुराने कपड़ों को गंदगी साफ करने के लिए इस्तेमाल करते हैं.इसके अलावा पुराने सामान जैसे जूते,चश्में और बैग्स को फेंक देते हैं. लेकिन जिन चीजों को हम इस्तेमाल नहीं करते वो किसी जरुरतमंद के लिए उपयोगी होते हैं.ऐसे पुरानी चीजों को इकट्ठा करके गरीबों तक पहुंचाने का काम कर रही है जेसीआई रायपुर कैपिटल की टीम.
समाज सेवा में इस्तेमाल होता है फंड : जेसीआई रायपुर संस्था इस दिशा में पिछले चार साल से काम कर रही है.जो पुरानी चीजों को इकट्ठा करने के बाद 10 से 50 रुपए में लोगों को उपलब्ध करवाते हैं.इन कपड़ों को बेचकर जो आय संस्था को मिलती है,उसे समाजसेवा के काम में लगाया जाता है.पुराने सामानों को लेकर उन्हें जरुरतमंदों तक पहुंचाने के लिए संस्था मड़ई नाम से स्टॉल लगाती है.
मड़ई के स्टॉल में लोग आकर अपनी जरुरत की चीजों को 10 रुपए से लेकर 50 रुपए तक दाम चुकाकर खरीदते हैं.जेसीआई रायपुर कैपिटल की टीम ने रायपुर के रामनगर में मड़ई -4 आयोजन किया. जिसमें बड़ी संख्या में लोगों ने पहुंचकर खरीदारी की. कम दामों में महंगी चीजें पाकर लोगों के चेहरे खुशी से खिल उठे.
हमारी संस्था पिछले 4 सालों से क्वॉलिटी वाले कपड़े कम दामों में जरूरतमंद लोगों तक पहुंचाने का काम कर रही है.जब वे शॉपिंग कर यहां से कपड़े खरीदते हैं तो ऐसे में उनके आत्मसम्मान को भी ठेस नहीं पहुंचता. हम कपड़ों के लिए 10 -20 रुपए चार्ज करते हैं.ताकि उन्हें ऐसा न लगे कि ये कपड़े मुफ्त में दिए जा रहे हैं. -मनीष,सचिव,जेसीआई रायपुर कैपिटल
महिला विंग लोगों के घरों से इकट्ठा करती हैं कपड़े : जेसीआई रायपुर कैपिटल के प्रेसिडेंट विक्रम के मुताबिक हमारे घरों में ऐसे कपड़े होते हैं. जो छोटे हो जाते लेकिन वह नए रहते हैं. ऐसे कपड़ों को फेंकने का मन भी नहीं करता है. इसी सोच के साथ हम लोगों ने एक पहल की. जरूरतमंद लोगों तक उन कपड़ों को पहुंचाया जाए. हमने इन कपड़ों का कलेक्शन अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से किया है. पिछले 3 महीनों से हमारी महिला विंग की टीम इनमें काम कर रही है.
कपड़ों को साफ करके होती है बिक्री : कपड़ों को कलेक्ट करने के बाद उन्हें साइज के हिसाब से अलग किया जाता है. अलग करने के बाद कपड़ों को ड्राइक्लीन के लिए भेजा जाता है.इसके बाद सभी कपड़ों की पैकिंग करके उन्हें जरुरतमंदों को बेचा जाता है.
हम इन कपड़ों को नि:शुल्क भी बांट सकते हैं. लेकिन हम लोगों से 10 रुपए 20 रुपए ही लेते हैं.ताकि उन्हें ये ना लगे कि कोई भी चीज उन्हें फ्री में दी गई है. जब लोग अपने पैसे से खरीदते हैं. तो उन्हें आत्मशांति मिलती है. -सदस्य,जेसीआई रायपुर कैपिटल
संस्था के मुताबिक कपड़े और दूसरे जरुरी सामान बेचकर जो फंड मिलता है. उसका इस्तेमाल समाज से जुड़े कामों के लिए होता है. संस्था हर महीने सोशल एक्टीविटीज चलाती रहती है. अनाथ आश्रम और बाल आश्रम में जब चीजों की जरूरत होती है तो उन्हें फंड उपलब्ध कराया जाता है.