रायपुर: ज्योतिष शास्त्र में शुक्र को सौंदर्य और भोग का कारक ग्रह माना गया है. शुक्र ही पुरुषों के लिए पारिवारिक जीवन का कारक है. दांपत्य सुख प्रदाता एवं शयन सुख प्रदाता भी शुक्र ही है. लेकिन इसके साथ चंद्र राहु और मंगल की युति हो, तो इनके प्रभाव से उस व्यक्ति में वशीकरण करने की क्षमता होती है और ऐसे जातक अत्यंत सुंदर आकर्षक व्यक्तित्व वाले होते हैं. ऐसा क्यों होता है, इस बारे में ज्योतिष एवं वास्तुविद डॉ महेन्द्र कुमार ठाकुर ने विस्तार से जानकारी दी है.
उच्च शुक्र और चंद्र का प्रभाव: उच्च शुक्र वाले जातक, स्त्री और पुरुष दोनों ही सौंदर्य से युक्त होते हैं और यदि शुक्र का संबंध चंद्रमा से हो जाए, दोनों की युति हो या परस्पर दृष्टि हो या शुभ भाव से संबंध हो, विशेषकर लग्न और त्रिकोण से हो, तो ऐसे जातक अत्यंत सुंदर आकर्षक व्यक्तित्व वाले होते हैं. उनमें ऑपोजिट किसी को भी वशीकरण करने की क्षमता होती है. यदि इनके साथ राहु की युति हो जाए. तो वह किसी भी सीमा तक जा सकते हैं.
शुक्र और मंगल की युति का प्रभाव: मंगल ग्रह, इसका एक बहुत बड़ा कारक ग्रह है. मंगल शक्ति और उर्जा प्रदान करता है, जातक को हमेशा सक्रिय रखता है. यदि शुक्र के साथ मंगल की युति हो, तो सौंदर्य और काम की क्षमता बहुत ज्यादा बढ़ जाती है. ऐसी स्थिति में व्यक्ति चाहे कितना भी सदाचारी और संयमी हो,वह कई संबंधओं में होते ही हैं. यह भी संयोग की बात है.
शुक्र और राहु की युति का प्रभाव: शुक्र और मंगल की युति जहां जातक को एक से अधिक से काम संबंध हेतु प्रेरित करती हैं. वहीं राहु किसी भी हद तक जातक के चरित्र को गिरा देता है. जबकि शुक्र और मंगल पर गुरु की दृष्टि, गुरु की युति या गुरु का प्रभाव हो, तो व्यक्ति बहुत सौम्य हो जाता है. उसमें क्षमता कम होने के बावजूद वह चारित्रिक पतन नहीं होने देता. अगर शुक्र और मंगल के साथ राहु का भी संबंध हो जाए, तो व्यक्ति का चरित्र बहुत गिर जाता है. इसका संबंध 8 वें और 12 वें घर से हो और सप्तम भाव से भी हो, तो फिर क्या कहना है. व्यक्ति नियंत्रित नहीं होता और कई बार तो ऐसे जातक अपराध की ओर आगे बढ़ जाते हैं.
नोट: यहां दी गई जानकारी मान्यताओं पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ईटीवी भीरत किसी भी तरह की मान्यता, ज्योतिषिय जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.