रायपुर: रक्षाबंधन का त्यौहार भाई-बहन के पवित्र प्रेम के लिए मनाया जाता है. हर साल सावन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है. इस साल रक्षाबंधन की सही तारीख को लेकर लोगों के बीच संशय की स्थिति बनी हुई है. इस साल अधिक मास होने की वजह से सभी त्योहार देरी से आ रहे हैं. अगस्त महीने में पूर्णिमा तिथि 2 दिन पड़ रही है. ऐसे में रक्षाबंधन पर कब और किस मुहुर्त में राखी बांधी जानी चाहिए, आइए जानते हैं.
रक्षाबंधन की तिथि और मुहूर्त: इस साल 30 अगस्त के दिन श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि है. 30 अगस्त को सुबह 11:00 बजे से शुरू पूर्णिमा तिथि शुरू हो जाएगी. श्रावण पूर्णिमा तिथि का समापन 31 अगस्त को सुबह 7:06 पर होगा. पूर्णिमा तिथि 2 दिन होने की वजह से इस बार रक्षाबंधन का पर्व भी 2 दिन तक मनाया जाएगा.
भद्रा काल की वजह से तारीख के लेकर कन्फ्यूजन: इस साल रक्षाबंधन पर भद्रा का साया रहेगा. भद्रा के कारण इस साल रक्षाबंधन की तिथि को लेकर भी मतभेद की स्थिति देखने को मिल रही है. 30 अगस्त की सुबह 10:58 से भद्रा तिथि लग जाएगी, जो 30 अगस्त की रात 9:01 तक रहेगी. इस साल भद्रा रक्षाबंधन के दिन पृथ्वी पर वास करेगी. इस वजह से भद्रा में राखी बांधना शुभ नहीं रहेगा. वहीं दूसरी तरफ श्रावण पूर्णिमा 31 अगस्त को सुबह 7:06 पर खत्म हो जाएगी. भद्रा लगने से पहले राखी बांधी जा सकती है. 30 की रात 09:01 से 31 अगस्त को सुबह 7:06 के बीच राखी बांध सकते हैं.
भद्राकाल या भद्रातिथि क्या है? : शास्त्रों के मुताबिक, भद्रा भगवान सूर्य और माता छाया की संतान हैं. भद्रा शनिदेव की बहन भी हैं. पौराणिक कथाओं के अनुसार, भद्रा का जन्म दायित्वों के विनाश के लिए हुआ था. जब भद्रा का जन्म हुआ, तो वह जन्म लेने के फौरन बाद ही पूरी सृष्टि को अपना निवाला बनाने लगी थी. इस तरह से भद्रा के कारण जहां भी शुभ और मांगलिक कार्य, यज्ञ, अनुष्ठान होते हैं, वहां बाधाएं आने लगती है. इसी वजह से जब भद्रा लगती है, तो कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता. इसे ही भद्राकाल या भद्रातिथि कहा जाता है.
कब लगता है भद्रा काल: भद्रा को 11 करणों में सातवें करण यानी विशिष्ट करण में स्थान मिला है. पंचांग की गणना के मुताबिक, भद्रा का वास तीनों लोकों में होता है. यानी भद्रा स्वर्ग, पाताल और पृथ्वी लोक में वास करती है. चंद्रमा कर्क, सिंह, कुंभ और मीन राशि में मौजूद होते हैं. तब भद्रा का वास पृथ्वी लोक पर होता है. पृथ्वी लोक में भद्रा का वास होने पर भद्रा का मुख सामने की तरफ होता है. ऐसे में इस समय किसी भी तरह का शुभ और मांगलिक कार्य करना निषेध माना जाता है. पौराणिक कथा के अनुसार, रावण की बहन ने भद्रा काल में ही राखी बांधी थी, जिसके कारण रावण का भगवान राम के हाथों विनाश हुआ था.
श्रावणी उपाकर्म क्या है? श्रावणी उपाकर्म, सावन मास की पूर्णिमा तिथि के दिन किया जाता है. यह पर्व मुख्य रूप से जनेऊधारी ब्राह्मणों के लिए होता है. इस दिन साल भर के बाद पुराने जनेऊ को उतारकर नया जनेऊ धारण किया जाता है. इस अनुष्ठान का भी विधिवत मंत्र उच्चार होता है. यज्ञोपवीत के लिए यह संस्कार बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है.