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Living And Eating Arrangements For Protesters: जन सहयोग से चल रहा संविदा कर्मचारियों का आंदोलन, इस तरह तैयार हो रहा भोजन - शदाणी दरबार हॉस्टल

Living And Eating Arrangements For Protesters बड़े से बड़ा आंदोलन भी बिना अर्थ के कामयाब नहीं हो पाया है. आंदोलन में लगे लोगों के रहने सहने, खाने पीने के साथ ही उसे चलाने के लिए अर्थ जरूरी है. नवा रायपुर में नियमितीकरण की मांग को लेकर संविदा कर्मचारियों का आंदोलन 16 दिनों से चल रहा है. हजारों लोगों के रहने, खाने पीने की व्यवस्था भी रायपुर में ही की गई है. नाम मात्र की पगार पाने वाले लोग इसे बहुत करीने से मैनेज कर रहे हैं.

Living And Eating Arrangements For Protesters
जन सहयोग से चल रहा संविदा कर्मचारियों का आंदोलन
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Published : Jul 25, 2023, 10:27 PM IST

Updated : Jul 26, 2023, 12:45 AM IST

जन सहयोग से चल रहा संविदा कर्मचारियों का आंदोलन

रायपुर: छत्तीसगढ़ सर्व विभागीय संविदा कर्मचारी महासंघ के बैनर तले प्रदेश के संविदा कर्मचारी 3 जुलाई से आंदोलन कर रहे हैं. जिला स्तरीय आंदोलन के बाद प्रदेशभर के संविदा कर्मचारी 10 जुलाई से नवा रायपुर के तूता धरना स्थल पर प्रदर्शन कर रहे हैं. इनकी एक ही मांग है कि इनका नियमितीकरण किया जाए. किसी भी आयोजन को करने के लिए बड़े अर्थ की भी जरूरत होती है. संविदा कर्मचारियों का आंदोलन भी अपवाद नहीं है. संविदा कर्मचारी जन सहयोग से ही इस आंदोलन को चला रहे हैं. आंदोलन के पीछे संविदा कर्मचारियों की दिनचर्या और उनके भोजन की व्यवस्था को जानने समझने के लिए ईटीवी भारत की टीम शदाणी हॉस्टल स्थल पहुंची और वहां का हाल जाना.

सुबह 6 बजते ही शुरू होता है खाना बनना: धरना प्रदर्शन कर रहे लोगों के लिए अलग-अलग स्थानों पर रुकने की व्यवस्था की गई है. शदाणी दरबार हॉस्टल के अलावा बैंस भवन और अन्य भवन में लोगों को ठहराया गया है. शदाणी हॉस्टल में प्रदर्शनकारियों के लिए सुबह 6 बजे से भोजन बनना शुरू हो जाता है. महिलाएं सब्जियां काटने में लग जाती हैं तो वहीं बाकी को लोग खाना बनाने का काम करते हैं. भोजन करने के बाद 11 बजे तक सभी नवा रायपुर के तूता धरना स्थल पहुंचते हैं. दिनभर धरना प्रदर्शन करते हुए संविदा कर्मचारी अपनी आवाज बुलंद करते हैं और फिर शाम 6 बजे वापस लौट आते हैं और रात का भोजन सभी साथ मिलकर करते हैं. यह सिलसिला 10 जुलाई से चल रहा है.

आपसी समन्वय और सहयोग से हम भोजन की व्यवस्था करते हैं, भोजन तैयार करने से लेकर सभी की अलग-अलग ड्यूटी बांटी गई है. जिसमें सब्जियां काटने से लेकर, भोजन बनाने, खरीददारी करने और भोजन बांटने की व्यवस्था में लोग लगें रहते है. -चंद्रहास श्रीवास्तव, व्यवस्थापक

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आंदोलन में जन सहयोग की है बड़ी भूमिका: संविदा कर्मचारियों ने आंदोलन में जन सहयोग की बड़ी भूमिका है. कमर्चारियों के मुताबिक जन सहयोग के बदौलत ही यह आंदोलन चल रहा है. कोई चावल दान कर रहा है, कोई सब्जी का दान कर रहा है. सभी ब्लॉक और जिला के साथी भी इस आंदोलन के लिए 100-200 रुपये सहयोग राशि भी उपलब्ध करा रहे हैं.



मांग पूरी होने तक जारी रहेगा आंदोलन: आंदोलनरत संविदा कर्मचारियों ने कहा कि जब तक हमारी नियमितीकरण की मांग पूरी नहीं हो जाती हमारा आंदोलन अनवरत जारी रहेगा. हम मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से निवेदन करते हैं कि विधानसभा का सत्र खत्म हो गया है लेकिन चुनाव को अभी भी समय है. आप अपने भतीजे भतीजियों को 62 साल की जॉब सिक्योरिटी दें. अगर सरकार नियमितीकरण नहीं कर सकती तो आने वाले चुनाव में संविदा कर्मचारियों का परिवार सरकार के खिलाफ वोट करेगा.

जन सहयोग से चल रहा संविदा कर्मचारियों का आंदोलन

रायपुर: छत्तीसगढ़ सर्व विभागीय संविदा कर्मचारी महासंघ के बैनर तले प्रदेश के संविदा कर्मचारी 3 जुलाई से आंदोलन कर रहे हैं. जिला स्तरीय आंदोलन के बाद प्रदेशभर के संविदा कर्मचारी 10 जुलाई से नवा रायपुर के तूता धरना स्थल पर प्रदर्शन कर रहे हैं. इनकी एक ही मांग है कि इनका नियमितीकरण किया जाए. किसी भी आयोजन को करने के लिए बड़े अर्थ की भी जरूरत होती है. संविदा कर्मचारियों का आंदोलन भी अपवाद नहीं है. संविदा कर्मचारी जन सहयोग से ही इस आंदोलन को चला रहे हैं. आंदोलन के पीछे संविदा कर्मचारियों की दिनचर्या और उनके भोजन की व्यवस्था को जानने समझने के लिए ईटीवी भारत की टीम शदाणी हॉस्टल स्थल पहुंची और वहां का हाल जाना.

सुबह 6 बजते ही शुरू होता है खाना बनना: धरना प्रदर्शन कर रहे लोगों के लिए अलग-अलग स्थानों पर रुकने की व्यवस्था की गई है. शदाणी दरबार हॉस्टल के अलावा बैंस भवन और अन्य भवन में लोगों को ठहराया गया है. शदाणी हॉस्टल में प्रदर्शनकारियों के लिए सुबह 6 बजे से भोजन बनना शुरू हो जाता है. महिलाएं सब्जियां काटने में लग जाती हैं तो वहीं बाकी को लोग खाना बनाने का काम करते हैं. भोजन करने के बाद 11 बजे तक सभी नवा रायपुर के तूता धरना स्थल पहुंचते हैं. दिनभर धरना प्रदर्शन करते हुए संविदा कर्मचारी अपनी आवाज बुलंद करते हैं और फिर शाम 6 बजे वापस लौट आते हैं और रात का भोजन सभी साथ मिलकर करते हैं. यह सिलसिला 10 जुलाई से चल रहा है.

आपसी समन्वय और सहयोग से हम भोजन की व्यवस्था करते हैं, भोजन तैयार करने से लेकर सभी की अलग-अलग ड्यूटी बांटी गई है. जिसमें सब्जियां काटने से लेकर, भोजन बनाने, खरीददारी करने और भोजन बांटने की व्यवस्था में लोग लगें रहते है. -चंद्रहास श्रीवास्तव, व्यवस्थापक

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आंदोलन में जन सहयोग की है बड़ी भूमिका: संविदा कर्मचारियों ने आंदोलन में जन सहयोग की बड़ी भूमिका है. कमर्चारियों के मुताबिक जन सहयोग के बदौलत ही यह आंदोलन चल रहा है. कोई चावल दान कर रहा है, कोई सब्जी का दान कर रहा है. सभी ब्लॉक और जिला के साथी भी इस आंदोलन के लिए 100-200 रुपये सहयोग राशि भी उपलब्ध करा रहे हैं.



मांग पूरी होने तक जारी रहेगा आंदोलन: आंदोलनरत संविदा कर्मचारियों ने कहा कि जब तक हमारी नियमितीकरण की मांग पूरी नहीं हो जाती हमारा आंदोलन अनवरत जारी रहेगा. हम मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से निवेदन करते हैं कि विधानसभा का सत्र खत्म हो गया है लेकिन चुनाव को अभी भी समय है. आप अपने भतीजे भतीजियों को 62 साल की जॉब सिक्योरिटी दें. अगर सरकार नियमितीकरण नहीं कर सकती तो आने वाले चुनाव में संविदा कर्मचारियों का परिवार सरकार के खिलाफ वोट करेगा.

Last Updated : Jul 26, 2023, 12:45 AM IST
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