रायपुर: छत्तीसगढ़ में 18 दिनों से छत्तीसगढ़ सर्व विभागीय संविदा कर्मचारी महासंघ के बैनर तले प्रदेश भर के संविदा कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं. अपनी एक सूत्रीय मांग यानि नियमितीकरण को लेकर वे नया रायपुर के तूता धरना स्थल पर आंदोलन कर रहे हैं. शुक्रवार को संविदा कर्मचारियों ने रैली निकाली. कर्मचारियों की दिल की बात जानने के लिए ETV भारत धरनास्थल पहुंचा.
संविदा कर्मचारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष कौशलेष तिवारी से बताया,'सरकार की संवेदनहीनता के कारण सभी में आक्रोश है. 3 दिनों से आमरण अनशन कर रहे हमारे दो साथियों की तबीयत खराब हो गई. लेकिन शासन प्रशासन का कोई अधिकारी उनका हालचाल जानने नहीं पहुंचा. सरकार अपनी जिद पर अड़ी हुई है. हम सरकार से निवेदन करते हैं कि नियमितीकरण का जो वादा सरकार ने किया था उसे जल्द पूरा करें'. सरकार ने अब तक इन कर्मचारियों की बात सुनी है तो केवल वेतन वृद्धि के मामले में. सरकार ने 27 फीसदी वेतन बढाने का वादा किया है.
वेतन वृद्धि को किस तरह देखते ?:कर्मचारियों को अब तक वो मिला है, जो उन्होंने मांगा नहीं था. यानि वो वेतन वृद्धि नहीं चाहते थे. पर सरकार ने वहीं दिया है. प्रदेश अध्यक्ष कौशलेष ने कहा,'हमारी मांग में कहीं भी वेतन वृद्धि नहीं रही है.हमारी मांग सिर्फ नियमितीकरण की है. हमने आवेदन और निवेदन नियमितीतकरण के लिए ही किया था. 27 प्रतिशत वेतन वृद्धि की हमारी कोई मांग नहीं है. सरकार के इस निर्णय से हमें यह पता चलता है कि सरकार को वास्तव में यह बात पता नहीं है कि संविदा कर्मचारियों की मांग क्या है ?' वेतन बढने के बाद भी कर्मचारी अपनी हड़ताल को खत्म करने के मूड में नहीं दिख रहे हैं.
संविदा कर्मचारियों का भूपेश से भरोसा टूटा:पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने अपने जन घोषणापत्र में संविदा कर्मियों को नियमित करने का वादा किया था. अब कुछ महीनों में चुनाव आने वाले हैं. कर्मचारी बताते हैं कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सार्वजनिक रूप से मीडिया में कहा है कि संविदा कर्मचारियों का ख्याल रखने के लिए 27 प्रतिशत वेतन वृद्धि की है. उन्हें नियमित करने के लिए केंद्र सरकार अनुमति दे दें, तो नियमित करने के लिए कोई हर्ज नहीं है. हालांकि सीएम के इस बयान को कर्मचारी धोखा बताते हैं. कर्मचारी कहते हैं कि ऐसे कई राज्य के उदाहरण हैं, जिन्होंने अपने राज्य के संविदा कर्मचारियों को नियमित किया है. इनमें ओडिशा, मणिपुर, राजस्थान के उदाहरण सबके सामने हैं.
कांग्रेस ने घोषणा पत्र बनाने से पहले क्या प्रधानमंत्री से पूछा था: प्रांत प्रवक्ता सूरज ने कहा,'कांग्रेस ने सत्ता में आने से पहले जन घोषणा बनाने के दौरान प्रधानमंत्री से नियमितीकरण की बात पूछी थी. अपने घोषणा पत्र में यह बात शामिल करने से पहले क्या भाजपा का सहारा लिया ? जब हम आंदोलन कर रहे थे. तब हमारे कंधों पर हाथ रखकर हमसे गले लगा कर कहा था कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार आएगी तब प्रदेश के 1-1 संविदा कर्मचारियों को नियमित कर देंगे. आज 1500 से ज्यादा दिन बीत गए हैं. अगर सरकार हमें नियमितीकरण नहीं करेगी तो हमारे संविदा कर्मचारियों के साथ उनके साढ़े 4 लाख परिवार सरकार के खिलाफ अनशन पर बैठेंगे और सरकार के खिलाफ वोट देंगे.
जॉब सिक्योरिटी चाहिए: सर्व विभागीय संविदा कर्मचारी महासंघ के प्रांत प्रवक्ता सूरज सिंह ने कहा कि यह सरकार धोखेबाजी का पर्याय बन चुकी है. 2019 में नियमितीकरण के लिए कमेटी बनाई गई थी. पौने 5 साल बाद विधानसभा के बजट सत्र में वे कहते हैं कि संविदा कर्मचारियों को नियमित नहीं कर सकते. सरकार ने इतने साल तक संविदा कर्मचारियों को गुमराह क्यों किया ? अब अंतिम समय में जब संविदा कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर हड़ताल कर रहे हैं, तब सरकार ने संविदा कर्मचारियों का 27 प्रतिशत वेतन वृद्धि की घोषणा की, यह दांव उन पर उल्टा पड़ चुका है, हमें अपनी जॉब सिक्योरिटी चाहिए हमें नियमितीकरण चाहिए.सरकार 45000 संविदा कर्मचारियों और उनके 4:30 लाख परिवारों को गुमराह कर रही है.