रायपुर: सामान्य तौर पर माना जाता है कि परिवारवाद तब होता है, जब पिता की जगह बेटे को या फिर पत्नि को टिकट मिले. इस बार परिवार के बीच युद्ध का भी ट्रेंड अभी से तय हो गया है. पाटन से बीजेपी ने सीएम भूपेश बघेल के भतीजे विजय बघेल को टिकट दिया है. यानी अगर सीएम पाटन से चुनाव लड़ते हैं तो चाचा और भतीजे के बीच टक्टर होगी. हालांकि इसके पहले भी दोनों के बीच में टक्कर हो चुकी है. 2008 में विजय बघेल पाटन से भूपेश बघेल को हरा चुके हैं. राजनीतिक जानकारों की मानें तो बीजेपी की रणनीति भूपेश बघेल को उनके ही घर में घेरने की है. इससे बीजेपी को फायदा होगा क्योंकि भूपेश बघेल अपने ही चुनाव क्षेत्र में व्यवस्त रह सकते हैं.
पाटन में चाचा भतीजे के बीच कांटे का मुकाबला: भूपेश बघेल और विजय बघेल के बीच पाटन विधानसभी सीट पर तीन बार चुनावी मुकाबला हुआ. इनमें दो बार भूपेश बघेल तो एक बार विजय बघेल ने बाजी मारी. पहली बार दोनों 2003 के विधासभा चुनाव में आमने सामने थे. एनसीपी के सिंबल पर लड़े विजय बघेल को 37308 वोट मिले. वहीं भूपेश बघेल ने 44217 वोट बटोरे और विजय बघेल के 6909 वोटों के अंतर से हराया. इसके बाद एनसीपी छोड़ भाजपा में शामिल विजय बघेल ने 2008 विधानसभा चुनाव में भूपेश बघेल के खिलाफ ताल ठोंका. इस बार विजय बघेल ने बाजी मारी और भूपेश बघेल के 7842 वोट के अंतर से हराया. भाजपा के विजय बघेल को 59000 और कांग्रेस के भूपेश बघेल को 51158 वोट मिले. 2013 विधानसभा चुनाव में दोनों फिर एक दूसरे के खिलाफ मैदान में थे. भूपेश बघेल ने 68185 वोट हासिल किए और विजय बघेल को 9343 मतों के अंतर से हराया.
2018 में भाजपा ने नहीं दिया मौका: 2018 विधानसभा चुनाव में भाजपा ने विजय बघेल को मौका ही नहीं दिया. 2019 लोकसभा चुनाव में विजय बघेल दुर्ग सीट से चुनाव लड़े और कांग्रेस की प्रतिमा चंद्राकर को हराकर सांसद बने. इसके बाद भी विजय बघेल सार्वजिनक मंचों से भूपेश बघेल के खिलाफ चुनाव लड़ने की इच्छा जताते रहते थे. बहुत ही कम मार्जिन के अंतर से जीत हार के ट्रैक रिकाॅर्ड को देखते हुए भाजपा ने एक बार फिर वियय बघेल पर भरोसा जताया है.
पाटन विधानसभा सीट का चुनावी गुणा गणित: 2018 विधानसभा चुनाव में भूपेश बघेल ने भाजपा प्रत्याशी मोतीलाल साहू को 27 हजार 477 मतों के भारी अंतर से हराया. विधानसभा चुनान 2018 के अनुसार इस सीट पर कुल 1 लाख 90 हजार 384 मतदाता हैं. इसमें 95 हजार 835 पुरुष और 94 हजार 549 महिला मतदाता हैं. 46 परसेंट ओबीसी वोटर उम्मीदवारों की जीत हार तय करते हैं. इनके अलावा साहू और कुर्मी मतदाता भी अपना प्रभाव रखते हैं.
पाटन विधानसभा क्षेत्र में क्रेशर खदान हैं समस्या: इस विधानसभा क्षेत्र के कई गांवों में क्रेशर खदान हैं. ब्लास्टिंग के कारण मकानों में दरारें पड़ जाती हैं. शिकायत के बाद भी खदानें बंद नहीं की गईं. क्रेशर खदानों के कारण भूमि का जलस्तर भी नीचे चला गया. गर्मी के दिनों में पीने के पानी और सिंचाई की समस्या बनी रहती है. युवाओं के लिए रोजगार के साधन नहीं हैं. क्षेत्र में अवैध खनन और अवैध लकड़ी कटाई चल रहा है. सीएम भूपेश बघेल का विधानसभा क्षेत्र होने के कारण लोगों को उम्मीद थी कि बरसों से चली आ रही परेशानी से मुक्ति मिलेगी. लेकिन ऐसा ना हो सका.