रायपुर: भारत में आयुर्वेदिक उपचार सदियों से चली आ रही है. भारत में लोग बड़ी से बड़ी बीमारियों को जड़ी बूटी की मदद से उपचार कर ठीक किया जाता रहा है. आयुर्वेद को रोगों के उपचार और स्वस्थ जीवन शैली के लिहाज से बेहद खास माना जाता है. अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखने के महत्व के कारण आज आधुनिक युग में भी लोग आयुर्वेद के सिद्धांतों और इलाज की विधियों का उपयोग करते हैं.
आयुर्वेदिक उपचार का महत्व: आयुर्वेद के विधा में दो प्रकार से ट्रीटमेंट किया जाता है. पहला, स्वस्थ व्यक्ति को हमेशा स्वस्थ रखने के लिए मेडिसिन दिया जाता है. दूसरा, जो व्यक्ति बीमार है, उन्हें बीमारी से निजात दिलाने के लिए दवा दी जाती. इसके साथ ही व्यक्ति को लंबे समय तक जवान और स्वस्थ बनाए रखने के लिए पंच आयुर्वेद चूर्ण का उपयोग किया जाता है. इस पंच आयुर्वेद चूर्ण से शरीर स्वस्थ और निरोग रहता है.
"आयुर्वेद में व्यक्ति को हमेशा स्वस्थ रखने के लिए या बीमार व्यक्ति के लिए जड़ी बूटियों की मदद से उपचार किया जाता है. व्यक्ति को लंबे समय तक जवान बनाकर रखने और स्वस्थ शरीर के लिए जो दवाई दी जाती है, उसे रसायन वाटिका में अश्वगंधा, शतावरी, सितोपलादि, तुलसी, ब्राह्मी की जड़ी बूटियों से बनाया जाता है. इन दवाइयां से आप हमेशा हेल्दी और बलवान बने रहते है. धातु की कोई परेशानी नहीं होती है." - डॉ राजेश साव, आयुर्वेदिक चिकित्सक
पांच आयुर्वेदिक चूर्ण:
अश्वगंधा: अश्वगंधा पेड़ की जड़ों से इसका चूर्ण बनाया जाता है. अश्वगंधा से शरीर की दुर्बलता कम होती है और हड्डियां मजबूत होती है. अश्वगंधा एक एंटी कैंसर और एंटी ट्यूमर गुणों से भरपूर होता है. इसके रोजाना सेवन से आप कैंसर और ट्यूमर जैसी बीमारियों से बच पाते हैं. तनाव, अनिद्रा, ब्लड प्रेशर, शुगर जैसी बीमारियों से आपको यह बचा कर रखता है.
शतावरी : शतावरी जड़ी बूटी का इस्तेमाल वजन कम करने के लिए किया जाता है. शतावरी में कैंसर रोधी गुण पाया जाता है, इसीलिए कैंसर के इलाज में काफी मददगार माना जाता है. शतावरी को महिलाओं के लिए रामबाण इलाज माना जाता है. महिलाओं को गर्भ से संबंधित समस्याएं, माहवारी से संबंधित समस्याएं से बचाने में शतावरी अहम भूमिका निभाता है. स्तनपान करने वाली महिलाओं को शतावरी का सेवन जरूर करना चाहिए. महिलाओं में दुग्ध उत्पादन के लिए शतावरी मददगार साबित होता है.
सितोपलादि: सितोपलादि से खांसी, सर्दी जैसी बीमारियों समाप्त हो जाता है. जिस व्यक्ति को लंबे समय से खांसी सर्दी कफ की समस्या है,ऐसे व्यक्ति को सितोपलादि के सेवन करना चाहिए.
ब्राह्मी: ब्राह्मी से डायबिटीज की बीमारी, दिल की बीमारी, तनाव, कफ की समस्या दूर होती है.
तुलसी: तुलसी का पौधा दैविक गुणों के साथ औषधि भी है. साइनिस, कान दर्द, सिर दर्द, नाक दर्द, रतौंधी, सूजन संबंधी समस्याओं में तुलसी का पौधा रामबाण इलाज का काम करता है.
आयुर्वेद के अनुसार, इन सभी जड़ी बूटियों को पूर्ण रूप में और सिरप दोनों के रूप में लिया जा सकता है. इन दवाओं को सुबह-शाम गर्म पानी में या गर्म दूध में एक चम्मच सामान्य व्यक्ति रोजाना ले सकता है.
दूसरे विश्व युद्ध के दौरान सोवियत यूनियन ने अपने सैनिकों को जड़ी बूटियां का एक पाउडर बनाकर दवा के रूप में दिया था. सैनिकों को युद्ध करने के लिए मजबूत बनाने, तनाव, अवसाद और अनिद्रा जैसी बीमारियों से दूर रखने के लिए उन्हें यह पाउडर दिया था. जिसका नाम उन्होंने एडाप्टोजेन रखा था. एडाप्टोजेन को भारत में सदियों से अश्वगंधा, ब्राम्ही, शतावरी, शीतोपलादि, तुलसी जैसे जड़ी बूटियों के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है. तात्पर्य है कि आयुर्वेदिक औषधियों के प्रभाव का लोहा देश में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी माना जाता है.