रायपुर: राजधानी में प्रतिदिन लगभग 500 टन कचरा सकरी प्लांट भेजा जाता है. जिनमें लगभग 300 टन गीला कचरा और लगभग 200 टन सूखा कचरा होता है. इसमें गीले कचरे को कंपोस्ट खाद बनाने की प्रक्रिया में 30 से 40 दिन सामान्य तौर पर लगते हैं. सूखे कचरे से रिसाइकल होने वाले प्लास्टिक कांच इत्यादि को रिसाइकल के लिए भेजा जाता है. शेष प्लास्टिक कपड़े इत्यादि आरडीएफ को ईंधन के रूप में सीमेंट प्लांट में उपयोग के लिए भेजा जाता है. कचरा मैनेजमेंट से न सिर्फ शहर साफ हो रहा है, बल्कि अब हरियाली भी आएगी.
पहला- शहर से लाए गए कचरे को डिब्बे आग में डाला जाता है. उसके बाद उसकी प्रीसेटिंग की जाती है. इसमें कचरों को अलग अलग किया जाता है. जिसमें आरडीएस और ट्रोमल फीडिंग निकलता है. इससे ही खाद बनाने की प्रॉसेस को आगे बढ़ाया जाता है.
दूसरा- इस स्टेज में विंडो किया जाता है. जिसमें ट्रोमल फीडिंग को 28 दिन के लिए धूप में रखा जाता है और सप्ताह में उसे उलट-पुलट किया जाता है.
तीसरा- इस स्टेज में प्रीप्रेटरी प्रोसेस किया जाता है. जिसमें 28 दिनों तक खुले में रखे गए कचरे को 25 एमएम की मशीन में डाला जाता है और दो तरह के मटेरियल निकलते हैं. जिसमें सेमीफेरा मेटेड मटेरियल खाद बनाने के काम आता है और बाकी बचा मटेरियल लैंड फीलिंग में जाता है.
चौथा- अंतिम प्रक्रिया रिफाईनमेंट की होती है. जिनमें सेमीफेरामीटर को 4mm मशीन वेरी फाइन किया जाता है और खाद बनकर तैयार होता है.
पढ़ें- सावधान! कोरोना काल में गुटखा खाकर खुले में थूकना सब के लिए घातक
जल्द बाजार में आएगा कचरा खाद
रामकी कंपनी के सकरी ट्रेंचिंग ग्राउंड के प्लांट इंचार्ज श्रीकांत ने बताया कि अभी कचरा से खाद बनाया जा रहा है और खाद की क्वॉलिटी चेक करने के लिए उसे लैब भी भेजा जाता है. उन्होंने बताया कि खाद का लाइसेंस अप्लाई किया गया है और जल्द ही लाइसेंस मिलने के बाद यह खाद बाजारों में बिकने लगेगा. वहीं आने वाले दिनों में कचरा से बिजली उत्पादन का कार्य भी किया जाएगा. लेकिन अभी बिजली उत्पादन के कार्य का प्रपोजल तैयार किया गया है. जल्द ही अनुमति मिलने के बाद उसे भी शुरू किया जाएगा.
नगर निगम की बड़ी उपलब्धि- ननि अपर आयुक्त
वहीं इस मामले पर नगर निगम अपर आयुक्त पुलक भट्टाचार्य ने बताया रायपुर शहर से जो वेस्ट निकलता है उसे रामकी कंपनी सकरी ले जाती है. कंपनी की 250 गाड़ियां और 100 नगर निगम की गाड़ियों से शहर भर से कचरा उठाया जाता है. प्रोसेसिंग प्लांट में अलग-अलग चीजें की जाती है और खाद बनाने का कार्य किया जा रहा है. कंपनी ही खाद को बेचेगी और लास्ट में जो मटेरियल बचता है उसे लैंड फिर साइड में डाला जाता है. इससे पूरा का पूरा वेस्ट समाप्त हो जाता है और जो मटेरियल बचता है उसे आरडीएफ के रूप में सीमेंट कंपनियों को भेजा जाता है. जैसे बड़े शहरों में प्रोसेसिंग प्लांट होता है, ऐसे ही रायपुर में प्रोसेसिंग प्लांट शुरू हो गया है और रायपुर नगर निगम के लिए यह बड़ी उपलब्धि है.
पढ़ें- SPECIAL: राजधानी रायपुर में जर्जर भवनों से जोखिम में जान! 'क्या हादसे के बाद जागेगा नगर निगम'?
टॉप 5 में आएगा रायपुर- महापौर
रायपुर नगर निगम महापौर एजाज ढेबर का कहना है रायपुर शहर से निकलने वाले कचरे को पूरी तरह से रीसायकल किया जा रहा है. डोर टू डोर कचरा कलेक्शन से लेकर प्रोसेसिंग कर उसके निष्पादन का कार्य किया जा रहा है. साथ ही खाद बनाने का कार्य भी चल रहा है. महापौर ने बताया कि अगर पहले यह रिसाइकल प्लांट शुरू हो जाता तो स्वच्छता सर्वेक्षण में रायपुर का रैंक टॉप 5 में होता. लेकिन आने वाले स्वच्छता सर्वेक्षण में रायपुर टॉप 5 में जरूर जगह बनाएगा. अब कचरे से खाद बनाया जा रहा है. ऐसे में पूरी तरह से कचरा कलेक्शन हो रहा है और इससे शहर में गंदगी नहीं हो रही है.