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रायपुर के ये वकील हैं शौकिया पेंटर, बच्चों को सीखा रहे चित्रकला

रायपुर के वकील सिद्धार्थ बसु पेशे से तो वकील (Raipur lawyers are teaching painting to children) हैं लेकिन उनका शौक चित्रकारी है. आज बच्चों के चित्रकारी सीखा कर सिद्धार्थ अपने शौक को पूरा कर रहे हैं.

Chitrakar Lawyers from Raipur
रायपुर का चित्रकर वकील
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Published : May 29, 2022, 9:35 PM IST

रायपुर: कई लोग ऐसे होतें हैं जो अपने परिजनों के शौक के कारण अपने शौक की बलि दे देते हैं. लेकिन उनकी इच्छाएं उनका शौक कभी नहीं मरता. आज हम आपको एक ऐसे ही शख्स से मिलवाने जा रहे हैं, जो कि पेशे से तो वकील हैं लेकिन उन्हें शौक है चित्रकारी का... अपने शौक को बच्चों को सीखा कर ये पूरा कर रहे हैं. हम बात कर रहे हैं. सिद्धार्थ बसु की. जो पेशे से तो वकील है लेकिन पैशन से कलाकार. सिद्धार्थ बसु पिछले 21 साल से एडवोकेट हैं. दिन भर बिजी रहने के बावजूद सिद्धार्थ बसु पिछले 8 साल से बच्चों को पेंटिंग की ट्रेनिंग दे रहे हैं. (Raipur lawyers are teaching painting to children)

रायपुर के ये वकील हैं शौकिया पेंटर

ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान सिद्धार्थ बसु ने बताया, "बचपन में मैं पेंटर बनना चाहता था और कई जगहों पर मैंने पेंटिंग की क्लासेस भी ली. लेकिन पापा चाहते थे कि मैं वकालत करूं. इसलिए मुझे पेंटिंग छोड़नी पड़ी और मैंने वकालत की पढ़ाई की."

पिता की खुशी के कारण छोड़ा अपना शौक: सिद्धार्थ बसु कहते हैं, "बचपन से ही मुझे चित्रकला का शौक था. जब मैंने होश संभाला तो मैं पेंटर ही बनना चाहता था. जब मैंने बचपन में पेंटिंग शुरू की तो शहर में ज्यादा पेंटिंग सिखाने वाले लोग नहीं रहते थे. जैसे-तैसे मैंने पेंटिंग सीखा. मेरे पिता चाहते थे कि मैं वकील बनूं, इसीलिए मुझे पेंटिंग बीच में छोड़कर वकालत की पढ़ाई करनी पड़ी. वकील बन जाने के बाद भी मैंने अपने शौक को नहीं छोड़ा. आज भी मैं पेंटिंग करता हूं और बच्चों को पेंटिंग से सिखाता हूं."

मधुबनी आर्ट में बचपन से रुचि: सिद्धार्थ बसु कहते हैं, "पेंटिंग करने के दौरान मेरी रुचि मधुबनी आर्ट में पड़ी. इसके बाद मैंने रंगायन संस्था से मिलकर बच्चों को ट्रेनिंग देना शुरू किया. जब भी मौका मिलता...हम ट्रेनिंग कैंप लगाते. अभी तक हजारों बच्चों को मैंने मधुबनी पेंटिंग की ट्रेनिंग दी है."

यह भी पढ़ें: सरगुजा का वो चित्रकार जिसे भूल गई केंद्र और राज्य सरकार

घर में सब है कलाकार: सिद्धार्थ बसु कहते हैं, " हमारा 4 सदस्य का परिवार है. हम दो और हमारी दो बेटियां. हमारे परिवार में सभी कलाकार हैं. मेरी पत्नी सविता बसु लोकगायिका हैं. बड़ी बेटी संयुक्ता सिंगिंग सीख रही है और स्टेज परफॉर्मेंस भी करती है. छोटी बेटी सुप्रिया फोटोग्राफी सिख रही है. मुझे बचपन से पेंटिंग का शौक था लेकिन जब मैं छोटा था तो पेंटिंग शहर में सिखाने वाले बहुत कम थे. कुछ जगहों पर मैंने पेंटिंग सीखा भी. लेकिन पेंटिंग मैं कंटिन्यू नहीं कर सका. लेकिन आज भी मैंने हार नहीं मानी है. पिछले 8 सालों से लगातार मैंने सैकड़ों बच्चों को पेंटिंग सिखाया है."

क्या होती है मधुबनी चित्रकला: मधुबनी चित्रकला को मिथिला चित्रकला भी कहा जाता है. यह चित्रकला बिहार राज्य की लोककला है. बिहार में एक जिला है मधुबनी... जिसका अर्थ है "शहद का जंगल". यह चित्रकला मधुबनी जिले की स्थानीय कला है. मधुबनी चित्रकला में नेचुरल रंग का इस्तेमाल किया जाता है. जैसे चावल के पाउडर, हल्दी, चंदन, पौधे, मिट्टी और अन्य प्राकृतिक स्रोतों से प्राप्त रंगों का इस्तेमाल इस कला में होता है.

रायपुर: कई लोग ऐसे होतें हैं जो अपने परिजनों के शौक के कारण अपने शौक की बलि दे देते हैं. लेकिन उनकी इच्छाएं उनका शौक कभी नहीं मरता. आज हम आपको एक ऐसे ही शख्स से मिलवाने जा रहे हैं, जो कि पेशे से तो वकील हैं लेकिन उन्हें शौक है चित्रकारी का... अपने शौक को बच्चों को सीखा कर ये पूरा कर रहे हैं. हम बात कर रहे हैं. सिद्धार्थ बसु की. जो पेशे से तो वकील है लेकिन पैशन से कलाकार. सिद्धार्थ बसु पिछले 21 साल से एडवोकेट हैं. दिन भर बिजी रहने के बावजूद सिद्धार्थ बसु पिछले 8 साल से बच्चों को पेंटिंग की ट्रेनिंग दे रहे हैं. (Raipur lawyers are teaching painting to children)

रायपुर के ये वकील हैं शौकिया पेंटर

ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान सिद्धार्थ बसु ने बताया, "बचपन में मैं पेंटर बनना चाहता था और कई जगहों पर मैंने पेंटिंग की क्लासेस भी ली. लेकिन पापा चाहते थे कि मैं वकालत करूं. इसलिए मुझे पेंटिंग छोड़नी पड़ी और मैंने वकालत की पढ़ाई की."

पिता की खुशी के कारण छोड़ा अपना शौक: सिद्धार्थ बसु कहते हैं, "बचपन से ही मुझे चित्रकला का शौक था. जब मैंने होश संभाला तो मैं पेंटर ही बनना चाहता था. जब मैंने बचपन में पेंटिंग शुरू की तो शहर में ज्यादा पेंटिंग सिखाने वाले लोग नहीं रहते थे. जैसे-तैसे मैंने पेंटिंग सीखा. मेरे पिता चाहते थे कि मैं वकील बनूं, इसीलिए मुझे पेंटिंग बीच में छोड़कर वकालत की पढ़ाई करनी पड़ी. वकील बन जाने के बाद भी मैंने अपने शौक को नहीं छोड़ा. आज भी मैं पेंटिंग करता हूं और बच्चों को पेंटिंग से सिखाता हूं."

मधुबनी आर्ट में बचपन से रुचि: सिद्धार्थ बसु कहते हैं, "पेंटिंग करने के दौरान मेरी रुचि मधुबनी आर्ट में पड़ी. इसके बाद मैंने रंगायन संस्था से मिलकर बच्चों को ट्रेनिंग देना शुरू किया. जब भी मौका मिलता...हम ट्रेनिंग कैंप लगाते. अभी तक हजारों बच्चों को मैंने मधुबनी पेंटिंग की ट्रेनिंग दी है."

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घर में सब है कलाकार: सिद्धार्थ बसु कहते हैं, " हमारा 4 सदस्य का परिवार है. हम दो और हमारी दो बेटियां. हमारे परिवार में सभी कलाकार हैं. मेरी पत्नी सविता बसु लोकगायिका हैं. बड़ी बेटी संयुक्ता सिंगिंग सीख रही है और स्टेज परफॉर्मेंस भी करती है. छोटी बेटी सुप्रिया फोटोग्राफी सिख रही है. मुझे बचपन से पेंटिंग का शौक था लेकिन जब मैं छोटा था तो पेंटिंग शहर में सिखाने वाले बहुत कम थे. कुछ जगहों पर मैंने पेंटिंग सीखा भी. लेकिन पेंटिंग मैं कंटिन्यू नहीं कर सका. लेकिन आज भी मैंने हार नहीं मानी है. पिछले 8 सालों से लगातार मैंने सैकड़ों बच्चों को पेंटिंग सिखाया है."

क्या होती है मधुबनी चित्रकला: मधुबनी चित्रकला को मिथिला चित्रकला भी कहा जाता है. यह चित्रकला बिहार राज्य की लोककला है. बिहार में एक जिला है मधुबनी... जिसका अर्थ है "शहद का जंगल". यह चित्रकला मधुबनी जिले की स्थानीय कला है. मधुबनी चित्रकला में नेचुरल रंग का इस्तेमाल किया जाता है. जैसे चावल के पाउडर, हल्दी, चंदन, पौधे, मिट्टी और अन्य प्राकृतिक स्रोतों से प्राप्त रंगों का इस्तेमाल इस कला में होता है.

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