रायपुर: बड़े-बड़े विश्लेषकों का मानना है कि चौथा विश्वयुद्ध पानी के लिए होगा. प्रकृति की यह अनुपम देन है. वर्षा के माध्यम से पानी पृथ्वी पर गिरता है. इसे संरक्षित और सुरक्षित करने का एक विशेष माध्यम है. यह रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम कहलाता है. इसके जरिए अमूल्य जल का संरक्षण किया जा सकता है. वास्तव में पानी एक बहुत ही बहुमूल्य चीज है. प्रकृति के वरदान के रूप में यह हमारे जीवन को संचालित करता है. पृथ्वी के 70% से ज्यादा भाग पर पानी है. मानव शरीर के 70 फीसदी से ज्यादा भाग पर पानी और तरल पदार्थों का प्रभाव है.
किस दिशा में लगाएं रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम: ज्योतिष एवं वास्तु शास्त्री पंडित विनीत शर्मा ने बताया कि " रेन वाटर हार्वेस्टिंग आधुनिक समाज में बहुत ही उपयोगी चीज है. यह वास्तु शास्त्र के अनुसार ईशान कोण यानी उत्तर पूर्वी कोण, पूर्व दिशा, उत्तर दिशा या वायव्य दिशा में स्थापित होना चाहिए. इसके माध्यम से भवन में गिरने वाला सारा जल ड्रेनेज सिस्टम के द्वारा धरती में ही समाहित हो जाता है, जिससे जल का स्तर बढ़ता रहता है और संरक्षित रहता है."
रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम वास्तु टिप्स खेती-किसानी का कोई भी काम पानी के बिना संभव नहीं है. इसलिए इस वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को भवन के ईशान पूर्वी और उत्तर कोने में निश्चित तौर पर लगाना चाहिए. अग्नि कोण में वाटर हार्वेस्टिंग कराए जाने पर मुकदमे, झूठे केस, मान-अपमान का भय रहता है. भवन में रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य प्रभावित रहते हैं. इसी तरह से दक्षिण दिशा में भी वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम नहीं लगाना चाहिए. कुछ मामलों में नैरेत्र कोण में यह कराया जा सकता है.
वाटर हार्वेस्टिंग के लिए शुभ मुहूर्त का ध्यान रखें: जब नैरेत्र कोंण में वाटर हार्वेस्टिंग कराएं तो यह आवश्यक है कि वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम ईशान कोण पूर्व या उत्तर दिशा में हो. वायव्य कोण के स्वामी चंद्रमा माने गए हैं. चंद्रमा सौम्यता और शीतलता को बताता है. समुद्र में आने वाली ज्वार भाटा चंद्रमा के कारण ही होते हैं. वायव्य कोण में भी जो उत्तर पश्चिम का क्षेत्र कहलाता है, यहां पर वाटर हार्वेस्टिंग की जा सकती है. वाटर हार्वेस्टिंग कराते समय ध्यान रखें शुभ मुहूर्त में यह कार्य प्रारंभ किया जाए. इसके साथ ही क्षेत्र विशेष में उनके अनुरूप यंत्र लगाकर यह कार्य करना चाहिए. गड्ढा खोदते समय तांबे का लोटा, हल्दी, सुपारी, चावल और पुष्प को संतुलित मात्रा में डालना चाहिए. 5 बार कुदाली के द्वारा खोदकर इसे प्रारंभ करना चाहिए. ईशान कोण में वाटर हार्वेस्टिंग कराए जाने पर सुख-समृद्धि का वास रहता है.
रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम है जरूरी: ज्योतिष एवं वास्तु शास्त्री पंडित विनीत शर्मा ने बताया कि "बहुत अधिक गर्मी और कम वृक्ष लगाए जाने के कारण लगातार भू-जल का स्तर गिरता जा रहा है. जल संकट जैसी स्थितियां भी देखने को मिल रही है. पानी अधिक गहराई में खोदने पर ही मिलता है. इसलिए रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम जरूरी है. इसके बिना पानी का संचय करने की कल्पना नहीं की जा सकती है. वास्तव में जल की बूंदें मनुष्य के लिए एक वरदान है. पांच तत्वों से मिलकर शरीर बना है इसलिए गड्ढा खोदते समय पांच कुल्हाड़ी को जातक के द्वारा खोदने का विधान है. यह कार्य आचार्य से सलाह लेकर पवित्र मुहूर्त में करना चाहिए. यह एक वैज्ञानिक, तार्किक और रचनात्मक क्रिया है. इसके द्वारा हम जल देवता को सम्मान और यश देते हैं. जितना अधिक जल संरक्षण होगा, हमारा जीवन उतना ही सुखी और संपन्न होगा. ईशान कोण में वाटर हार्वेस्टिंग कराए जाने पर व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि, ऐश्वर्य और प्रसिद्धि का वास रहता है.
जल देवता हमारे जीवन को प्रभावित करने वाले देव हैं: उत्तर दिशा में वाटर हार्वेस्टिंग करने पर धन की अनुकूलता देखने को मिलती है. पूर्व दिशा में वाटर हार्वेस्टिंग कराए जाने पर व्यक्ति की प्रसिद्धि, लोकप्रियता और आदत व्यवहार का जनमानस पर बहुत अच्छा प्रभाव पड़ता है. ऐसे व्यक्ति प्रसिद्धि और यश को धारण करते हैं. जल देवता हमारे जीवन को प्रभावित करने वाले देवों में माने गए हैं. गुस्सा, तनाव या चिड़चिड़ाट में एक गिलास जल को नजदीक रखकर देखने में पाया गया है कि जल भी अपना स्वभाव रूप बदल लेते हैं.