रायपुर: राजधानी में सहकारी समिति कर्मचारी संघ ने अपनी 5 सूत्रीय मांग को लेकर प्रदर्शन किया है. सहकारी समिति कर्मचारी संघ में लगभग 9 हजार 850 कर्मचारी संस्था प्रबंधक, लेखापाल, लिपिक सह ऑपरेटर, विक्रेता भृत्य और चौकीदार सफलतापूर्वक प्रदेश के लाखों किसान से जमीनी स्तर पर जुड़कर कम वेतन में अपना काम करते आ रहे हैं. लेकिन सरकार की वादाखिलाफी की वजह से सहकारी समिति कर्मचारियों को प्रदर्शन के लिए मजबूर होना पड़ा.
विपक्ष में रहते हुए कांग्रेस ने साल 2018 में सहकारी समिति कर्मचारी संघ के द्वारा किए जा रहे अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन को मांग पूरी करने का आश्वासन देकर स्थगित करवाया था. इसके साथ ही कांग्रेस ने सहकारी समिति कर्मचारियों के मांगों को पूरा करने का आश्वासन भी दिया था, लेकिन सरकार बनने के 2 साल बाद भी सहकारी समिति कर्मचारी संघ की मांगों को सरकार के द्वारा पूरा नहीं किया गया. इसी के विरोध में प्रदेश स्तर पर शनिवार को सहकारी समिति कर्मचारी संघ ने अपनी 5 सूत्रीय मांग को लेकर एक दिवसीय प्रदर्शन किया.
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सहकारी समिति कर्मचारी संघ की 5 सूत्रीय मांग इस प्रकार है-
1. समर्थन मूल्य धान खरीदी नीति व अनुबंध में संशोधन किया जाए.
2. प्रदेश के 1,333 सहकारी समितियो में कार्यरत कर्मचारियों को 7वें वेतनमान के लिए वेतन अनुदान पंजीयक महोदय के पत्र को टीएस सिंहदेव की अनुशंसा अनुदान 50 करोड़ प्रतिवर्ष प्रदाय किया जाए और शासकीय कर्मचारी की तरह नियमित कर वेतनमान दी जाए.
3. प्रदेश के 1333 सहकारी समितियों में कार्यरत कर्मचारियों को सेवा नियम 2018 के अनुसार प्रबंधक की भर्ती 50 प्रतिशत के स्थान पर 100 प्रतिशत की जाए और समिति के संस्था प्रबंधकों को कैडर प्रबंधक पद पर सविलियन करते हुए बैंक के अन्य रिक्त पदों पर समिति के अन्य कर्मचारियों को 100 प्रतिशत संविलियन के माध्यम से किया जाए.
4. सहकारी समिति सेवा नियम 2018 में आंशिक संशोधन के लिए संघ द्वारा प्रेषित मांग में कार्यालय मुख्यमंत्री निवास और सहकारिता मंत्री के पत्र पर अनुशंसित टीप को तत्काल लागू किया जाए.
5. खाद्य नागरिक आपूर्ति व उपभोक्ता संरक्षण संचनालय के आदेश पत्र को निरस्त कर सहकारी समितियों द्वारा संचालित पीडीएस दुकानों को यथावत रखा जाए और धान खरीदी में किसानों से लिकिंग वसूली की ऋण राशि डीएमआर खाते में वसूली के बाद ही किसानो के सेविंग खाते में समायोजन किया जाए.