रायपुर: छत्तीसगढ़ में प्रशासनिक फेरबदल के साथ ही एक बार फिर से सियासी गलियारों में भी ब्यूरोक्रेसी को लेकर चर्चा तेज हो चुकी है. जनता और सरकार के बीच अहम भूमिका निभाने वाले सचिवों, कलेक्टरों की बजाय छत्तीसगढ़ सरकार का भरोसा डायरेक्ट के बजाय प्रमोटी अफसरों पर ज्यादा है. यही वजह है कि प्रदेश के ज्यादातर जिलों और विभागों में प्रमोटी को जिम्मेदारी दी गई है. जानकार मानते हैं कि प्रशासनिक सेवा का लंबा अनुभव होने और परफॉर्मेंस बेहतर होने की वजह से सरकार को प्रमोटी अफसरों पर अधिक विश्वास है.
प्रदेश में IAS लॉबी की दखल तगड़ी
प्रदेश में प्रशासनिक महकमे को लेकर हमेशा से यह देखा जाता रहा है कि प्रदेश में IAS लॉबी की दखल तगड़ी रही है. पिछली बीजेपी सरकार में भी लगातार अफसरशाही के किस्से चर्चित रहे हैं. विपक्ष में रहते हुए कांग्रेस ने IAS लॉबी की मनमानी को लेकर मोर्चा खोला था. सत्ता में आने के बाद कांग्रेस ने भी बड़े पैमाने पर फेरबदल करके IAS लॉबी को ध्वस्त करने का काम किया है. शुरुआती दौर से ही यह बात देखने में आ रही है कि पूरे विभागों में अधिकारियों को बदलकर रख दिया गया है. यही नहीं अब लगातार जिस तरह से बड़े प्रभार वाले विभागों और जिलों में भी प्रमोटी अधिकारियों को ज्यादा तवज्जो मिल रही है. इसे लेकर भी प्रशासनिक महकमे में कई तरह की चर्चा देखने को मिल रही है.
प्रमोटी अफसरों को ज्यादा तवज्जो
हाल ही में छत्तीसगढ़ सरकार ने 29 IAS अफसरों के तबादले किए. इस तबादला सूची ने सबको आश्चर्य में डाल दिया है. किसी भी सरकार में प्रशासनिक सर्जरी कोई नई बात नहीं है, लेकिन हाल ही में हुए प्रशासनिक फेरबदल में कई तरह के सवाल को जन्म दे दिया है. इसमें यह बात भी सामने आ रही है कि प्रदेश में कलेक्टर और सचिव जैसे महत्वपूर्ण पदों पर भी प्रमोटी अधिकारियों का जलवा इन दिनों देखने को मिल रहा है. हालांकि इसके पीछे कई तरह के कारण भी हो सकते हैं.
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कई काबिल अफसर अभी भी वेटिंग लिस्ट में
कई IAS अफसर जिनकी वर्किंग स्टाइल काफी बेहतर है. काफी काबिल अधिकारी माने जाते हैं. ऐसे अधिकारी जो पहले कलेक्टर रह चुके हैं. वहीं एक टेबल-कुर्सी के सहारे अपने काम पर ज्यादा फोकस करते हैं. किसी भी खास विचारधारा या पार्टी से उनका जुड़ाव नहीं है. इसके बावजूद वे वेटिंग लिस्ट में हैं. इन अफसरों को लग रहा था कि उनको मौका मिलेगा, लेकिन अभी लूप लाइन पर ही हैं.
तारन सिन्हा को मिला कलेक्टर पद
तारन सिन्हा प्रमोटी आईएएस ऑफिसर हैं. अब तक जनसंपर्क विभाग का काम संभाल रहे थे. राज्य शासन ने उन्हें राजनांदगांव जिले का कलेक्टर बनाया है. तारन सिन्हा सीएम भूपेश बघेल के भरोसेमंद अधिकारी माने जाते हैं. जब भूपेश बघेल सीएम बनें तो जनसंपर्क विभाग की कमान सिन्हा को सौंपी थी. ढाई साल में ही मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की छवि का ग्राफ नेशनल लेवल पर बढ़ता ही गया. सरकार की योजनाएं भी इस कदर प्रसिद्धि पाई कि राष्ट्रीय स्तर पर भी पार्टी आलाकमान ने उन्हें तारीफ की. जाहिर है तारण सिन्हा को उनकी रणनीति और सूझबूझ का इनाम मिला है.
टोपेश्वर वर्मा को भी मिला बड़ा पद
टोपेश्वर वर्मा भी प्रमोटी अफसर माने जाते हैं. उन्हें राजनंदगांव कलेक्टर से हटाकर उन्हें राजधानी में बिठाया गया है. हालांकि उनकी नियुक्ति में काफी बड़ा विश्वास सरकार ने जताया है. वे खाद्य नागरिक एवं आपूर्ति निगम और परिवहन आयुक्त जैसे बड़े विभाग के सचिव बनाए गए हैं. यह जिम्मेदारी मिलना उनकी कार्यशैली को दर्शाता है कि मुख्यमंत्री का भरोसा उन पर कायम है. सरकार को इन दोनों विभागों से वह रिजल्ट नहीं मिल पा रहा था, जिसकी उन्हें उम्मीद थी. ऐसे में टोपेश्वर वर्मा के ऊपर सरकार ने एक बड़ा भरोसा दिखाया है.
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'हर सरकार अपने हिसाब से ब्यूरोक्रेसी को एडजस्ट करती है'
प्रमोटी अफसरों को महत्वपूर्ण पदों पर बैठाने को लेकर वरिष्ठ पत्रकार अनिल द्विवेदी कहते हैं कि नौकरशाही किसी भी सरकार का एक अभिन्न अंग होती है. चाहे वह किसी भी राजनीतिक या विचारधारा की सरकार हो. जब वह सरकार में रहती है तो यह चाहती है कि ब्यूरोक्रेसी उसी के हिसाब से चले. छत्तीसगढ़ में देखा गया कि युवा और नए IAS को अच्छे काम के लिए एक्स्पोजर दिया गया. जिलों में कलेक्टर और निगम कमिश्नर जैसे पद भी दिए जाते हैं. पिछली सरकारों में हमने देखा था कि नए IAS अधिकारियों को जिलों के कमान दी गई थी. वहीं नई सरकार ने भी ब्यूरोक्रेसी को अपने हिसाब से एडजस्ट किया. कई प्रमोटी अफसरों को अहम पदों पर बैठाया गया. अनिल द्विवेदी ने बताया कि विभिन्न विभागों और लंबे सेवा अनुभव के चलते प्रमोटी अधिकारियों का मंत्रियों और विधायकों के साथ अच्छा तालमेल होता है. सिर्फ मुख्यमंत्री या जिलों की आवश्यकता के अनुरूप अफसर तो तय होते ही हैं. मंत्रियों की भी कुछ काफी सिफारिश होती है कि अधिकारी अपने हिसाब से चाहिए. ताकि वे उनके अनुसार काम कर सके. इस आधार पर जिलों में और विभागों में अधिकारियों का बंटवारा होता है.
'कोरोना काल में किए अच्छे कामों को सम्मान मिलना ही था'
सरकार के प्रवक्ता और संसदीय कार्यमंत्री रविंद्र चौबे का कहना है कि, बीजेपी सरकार में जिस तरह से तबादले होते थे. यह तबादला उससे भिन्न है. कुछ कलेक्टरों ने अपने-अपने जिलों में खूब काम किया है. उनको उनका सम्मान मिलना चाहिए. अलग-अलग विभागों में जरूरत होती है. यह सतत प्रक्रिया के तहत हुआ है. जिन विभागों में जहां जरूरत थी उसके अनुसार जिम्मेदारियां दी गई हैं. आगे भी जिम्मेदारियां तय होंगी.
इन विभागों में पदस्थ प्रमोटी अधिकारी
- जितेंद्र शुक्ला, कलेक्टर, जांजगीर-चांपा
- डीडी सिंह, सचिव, सामान्य प्रशासन
- अमृत खलखो, सचिव, एग्रीकल्चर और सेक्रेटरी राज्यपाल
- वीके ध्रुवे, ज्वाइंट सेक्रेट्री, जेल और ट्रांसपोर्ट
- निरंजन दास, एमडी, छत्तीसगढ़ स्टेट सिविल सप्लाईज कॉरपोरेशन
- जीआर चुरेंद्र, कमिश्नर, बस्तर संभाग
- उमेश अग्रवाल, सेक्रेटरी गृह विभाग
- धनंजय देवांगन, सेकेंडरी एजुकेशन
- जनक पाठक, स्पेशल सेक्रेट्री रिवेन्यू एंड डिजास्टर मैनेजमेंट
- महादेव कावरे, कलेक्टर, जशपुर
- नरेंद्र कुमार दुग्गा, एमडी, देवभोग कारपोरेशन
- डोमन सिंह, कलेक्टर, महासमुंद
- रमेश कुमार शर्मा, कलेक्टर, कवर्धा
इनके अलावा ऐसे बहुत से अधिकारी हैं जो राज्य प्रशासनिक सेवा में रहते हुए लंबे समय से काम कर रहे हैं. इसे लेकर विषय विशेषज्ञों की मानें तो यह बात सामने आ रही है कि सरकार IAS लॉबी की मनमानी के चलते सरकार अब स्थानीय अधिकारियों को ज्यादा प्रमोट कर रही है. इतना ही नहीं उनके प्रमोशन के पीछे स्थानीय जनप्रतिनिधियों का बड़ा रोल रहता है. प्रमोटी अधिकारी आम जनता और सरकार के बीच बेहतर तालमेल बिठाकर काम कर सकते हैं. यही वजह है कि अभी भी वेटिंग लिस्ट में कई IAS अधिकारी जो लिस्ट का इंतजार कर रहे थे उनको भी निराशा हाथ लगी है.