रायपुर: कोविड 19 महामारी से पूरा विश्व जूझ रहा है. पूरे देश में लॉक डाउन है. लोगों को बेवजह सड़क पर निकलने की इजाजत नहीं है. ये पाबंदी इंसानों की जिंदगी बचाने के लिए लगाई गई है, लेकिन जानवरों की जान पर बन आई है. बेजुबानों को इस वक्त कहीं खाना नहीं मिल रहा. ऐसी कई तस्वीरें देखने को मिल रही हैं , जब जानवर भूख की वजह से घरों में घुस रहे हैं.
राजधानी में नेक दिलों का एक संगठन ऐसे ही बेजुबानों के लिए खाने-पानी का इंतजाम कर रहा है. 'वाटिका एनिमल सेंचुरी' नाम का ये संगठन मवेशियों के चारे-पानी का इंतजाम कर रहा है, जिससे वे भूखे न रहें. संस्था में काम कर रहे सदस्यों का कहना है कि पहले सड़कों पर घूमने वाले गाय और कुत्तों को लोगों से खाना मिल जाता था, लेकिन अब लॉकडाउन की वजह से इन बेजुबानों को पानी तक मुनासिब नहीं होता है, जिसे देखते हुए वे उन्हें खाना खिला रही हैं.
भूखे-प्यासे जानवरों का बन रहे सहारा
वाटिका एनिमल सेंचुरी की संचालक कस्तूरी बलाल ने बताया कि 'वह पिछले कई वर्षों से सड़क के किनारे घूमते जानवरों को बचा रही हैं. साथ ही लॉकडाउन की वजह से जिन जानवरों को खाना नसीब नहीं होता, उन्हें 'वाटिका एनिमल सेंचुरी' के लोग खाना खिला रहे हैं. वो बताती हैं दिन में 450 से 500 जानवरों को खाना खिलाती हैं, जिससे भूखे-प्यासे जानवरों का पेट भर सके'.
असहाय जानवरों को खिलाते हैं चारा
वहीं संस्था में काम कर रहे मेंबर्स ने बताया कि वे पिछले 3 साल से संस्था से जुड़े हुए हैं. सड़कों पर घूम रहे स्ट्रीट एनिमल्स को डेली खाना खिलाते हैं. उन्होंने कहा कि जानवरों के पास इंसानों की तरह क्षमता नहीं होता, जिसकी वजह से वह खाना स्टॉक नहीं कर सकते. वहीं वंचना लाबान बताती हैं कि रायपुर 'वाटिका एनिमल सेंचुरी' संस्था में 40 से ज्यादा मेंबर्स काम करते हैं, जो सड़कों पर घूम रहे असहाय जानवरों को चारा और खाना खिलाते हैं.
बेजुबानों की लाचारगी पर रहम
बहरहाल, मनुष्य के अंदर जानवरों के प्रति सहजता और कोमलता का भाव ही सेवा करने का मौका देता है, जो राह चलते लोगों की दुत्कार और मार खाने वाले जानवरों के लिए भगवान बनता है. ऐसे में इन जानवरों की लाचारगी को देखते हुए 'वाटिका एनिमल सेंचुरी' ने जो जिम्मा उठाया है वह वाकई काबिल-ए-तारीफ है.