रायपुर: छत्तीसगढ़ के सभी केंद्रीय जिलों में कैदियों की तादाद उनकी क्षमताओं से ज्यादा है. केंद्रीय जेलों में थोड़ी बहुत नहीं बल्कि 2 से 3 गुना ज्यादा कैदी हैं. जिनमें कई कुख्यात अपराधी भी शामिल हैं. ऐसे में जेलों की सुरक्षा के साथ ही यहां बंद कैदियों की सुरक्षा पर सवालिया निशान लग गए हैं.
सरकार ने छत्तीसगढ़ के जेलों को सुधार गृह के तौर पर विकसित करने की बात कही थी, इसके तहत कैदियों को कारावास के दौरान समाज में एक अच्छे इंसान बनने की प्रेरणा देने के साथ ही उन्हें प्रशिक्षण दिया जाना था, जिससे कि वह अपनी रोजी-रोटी अपनी मेहनत से चला सके, लेकिन क्षमता से ज्यादा तादाद होने के चलते सुधार गृह का सपना सिर्फ कागजों में सिमटता नजर आ रहा है.
केंद्रीय जेलों से अच्छी है जिला जेलों की स्थिति
बता दें कि केंद्रीय जेलों में सरकार कई तरह के सुधार कार्य आयोजित करती है, लेकिन क्षमता से ज्यादा कैदी होने के चलते कैदियों को पूरा लाभ भी नहीं मिल पाता है. वहीं अगर जिला जेलों को देखा जाए, तो केंद्रीय जेलों के उलट जिला जेल और उप जेल की स्तिथि बेहतर नजर आती है.
जेलों में हिंसात्मक गतिविधियों सामने आई
वहीं अगर सही मायने में जेलों को सुधारगृह के तौर पर आगे बढ़ाना है, तो सरकार को मौजूद जेलों की क्षमता को बढ़ाने की ओर ध्यान देना होगा. क्योंकि पिछले कुछ समय में प्रदेश के कुछ जेलों में हिंसात्मक गतिविधियों सामने आई हैं, जो प्रशासन पर सवाल उठाती हैं.
केंद्रीय जेल में बंद कैदियों के आकड़े
- आकड़ों की बात की जाए तो रायपुर केंद्रीय जेल की क्षमता 1190 कैदियों की है, लेकिन 2948 कैदी सजा काट रहे हैं, जो क्षमता से तीन गुना ज्यादा है.
- इसी तरह बिलासपुर केंद्रीय जेल की क्षमता 1540 कैदियों की है, लेकिन यहां 3135 कैदी सजा काट रहे हैं.
- नक्सल प्रभावित क्षेत्र जगदलपुर के केंद्रीय जेल में 1351 कैदियों की क्षमता है, जबकि यहां 2454 कैदी बंद है, जिनमें कई हार्डकोर नक्सली भी शामिल हैं.
- इसी तरह प्रदेश के दो अन्य केंद्रीय जेल दुर्ग और अंबिकापुर में भी क्षमता से अधिक कैदी मौजूद हैं.
- दुर्ग में 1606 कैदियों की क्षमता वाली जेल में 1924 कैदी हैं.
- अंबिकापुर में 1020 की क्षमता पर 2222 कैदी सजा काट रहे हैं.