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छग के केंद्रीय जेलों में तीन गुना ज्यादा कैदी, ऐसे में जेल कैसे बन सकेंगे सुधार गृह! - जेलों को सुधारगृह

छत्तीसगढ़ के केंद्रीय जेलों में क्षमता से ज्यादा कैदी हैं, जिससे जेलों की सुरक्षा के साथ ही बंद कैदियों की सुरक्षा पर सवालिया निशान लग रहे हैं.

छग के केंद्रीय जेलों में तीन गुना ज्यादा कैदी
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Published : Oct 19, 2019, 9:41 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ के सभी केंद्रीय जिलों में कैदियों की तादाद उनकी क्षमताओं से ज्यादा है. केंद्रीय जेलों में थोड़ी बहुत नहीं बल्कि 2 से 3 गुना ज्यादा कैदी हैं. जिनमें कई कुख्यात अपराधी भी शामिल हैं. ऐसे में जेलों की सुरक्षा के साथ ही यहां बंद कैदियों की सुरक्षा पर सवालिया निशान लग गए हैं.

सरकार ने छत्तीसगढ़ के जेलों को सुधार गृह के तौर पर विकसित करने की बात कही थी, इसके तहत कैदियों को कारावास के दौरान समाज में एक अच्छे इंसान बनने की प्रेरणा देने के साथ ही उन्हें प्रशिक्षण दिया जाना था, जिससे कि वह अपनी रोजी-रोटी अपनी मेहनत से चला सके, लेकिन क्षमता से ज्यादा तादाद होने के चलते सुधार गृह का सपना सिर्फ कागजों में सिमटता नजर आ रहा है.

केंद्रीय जेलों से अच्छी है जिला जेलों की स्थिति
बता दें कि केंद्रीय जेलों में सरकार कई तरह के सुधार कार्य आयोजित करती है, लेकिन क्षमता से ज्यादा कैदी होने के चलते कैदियों को पूरा लाभ भी नहीं मिल पाता है. वहीं अगर जिला जेलों को देखा जाए, तो केंद्रीय जेलों के उलट जिला जेल और उप जेल की स्तिथि बेहतर नजर आती है.

जेलों में हिंसात्मक गतिविधियों सामने आई
वहीं अगर सही मायने में जेलों को सुधारगृह के तौर पर आगे बढ़ाना है, तो सरकार को मौजूद जेलों की क्षमता को बढ़ाने की ओर ध्यान देना होगा. क्योंकि पिछले कुछ समय में प्रदेश के कुछ जेलों में हिंसात्मक गतिविधियों सामने आई हैं, जो प्रशासन पर सवाल उठाती हैं.

केंद्रीय जेल में बंद कैदियों के आकड़े

  • आकड़ों की बात की जाए तो रायपुर केंद्रीय जेल की क्षमता 1190 कैदियों की है, लेकिन 2948 कैदी सजा काट रहे हैं, जो क्षमता से तीन गुना ज्यादा है.
  • इसी तरह बिलासपुर केंद्रीय जेल की क्षमता 1540 कैदियों की है, लेकिन यहां 3135 कैदी सजा काट रहे हैं.
  • नक्सल प्रभावित क्षेत्र जगदलपुर के केंद्रीय जेल में 1351 कैदियों की क्षमता है, जबकि यहां 2454 कैदी बंद है, जिनमें कई हार्डकोर नक्सली भी शामिल हैं.
  • इसी तरह प्रदेश के दो अन्य केंद्रीय जेल दुर्ग और अंबिकापुर में भी क्षमता से अधिक कैदी मौजूद हैं.
  • दुर्ग में 1606 कैदियों की क्षमता वाली जेल में 1924 कैदी हैं.
  • अंबिकापुर में 1020 की क्षमता पर 2222 कैदी सजा काट रहे हैं.

रायपुर: छत्तीसगढ़ के सभी केंद्रीय जिलों में कैदियों की तादाद उनकी क्षमताओं से ज्यादा है. केंद्रीय जेलों में थोड़ी बहुत नहीं बल्कि 2 से 3 गुना ज्यादा कैदी हैं. जिनमें कई कुख्यात अपराधी भी शामिल हैं. ऐसे में जेलों की सुरक्षा के साथ ही यहां बंद कैदियों की सुरक्षा पर सवालिया निशान लग गए हैं.

सरकार ने छत्तीसगढ़ के जेलों को सुधार गृह के तौर पर विकसित करने की बात कही थी, इसके तहत कैदियों को कारावास के दौरान समाज में एक अच्छे इंसान बनने की प्रेरणा देने के साथ ही उन्हें प्रशिक्षण दिया जाना था, जिससे कि वह अपनी रोजी-रोटी अपनी मेहनत से चला सके, लेकिन क्षमता से ज्यादा तादाद होने के चलते सुधार गृह का सपना सिर्फ कागजों में सिमटता नजर आ रहा है.

केंद्रीय जेलों से अच्छी है जिला जेलों की स्थिति
बता दें कि केंद्रीय जेलों में सरकार कई तरह के सुधार कार्य आयोजित करती है, लेकिन क्षमता से ज्यादा कैदी होने के चलते कैदियों को पूरा लाभ भी नहीं मिल पाता है. वहीं अगर जिला जेलों को देखा जाए, तो केंद्रीय जेलों के उलट जिला जेल और उप जेल की स्तिथि बेहतर नजर आती है.

जेलों में हिंसात्मक गतिविधियों सामने आई
वहीं अगर सही मायने में जेलों को सुधारगृह के तौर पर आगे बढ़ाना है, तो सरकार को मौजूद जेलों की क्षमता को बढ़ाने की ओर ध्यान देना होगा. क्योंकि पिछले कुछ समय में प्रदेश के कुछ जेलों में हिंसात्मक गतिविधियों सामने आई हैं, जो प्रशासन पर सवाल उठाती हैं.

केंद्रीय जेल में बंद कैदियों के आकड़े

  • आकड़ों की बात की जाए तो रायपुर केंद्रीय जेल की क्षमता 1190 कैदियों की है, लेकिन 2948 कैदी सजा काट रहे हैं, जो क्षमता से तीन गुना ज्यादा है.
  • इसी तरह बिलासपुर केंद्रीय जेल की क्षमता 1540 कैदियों की है, लेकिन यहां 3135 कैदी सजा काट रहे हैं.
  • नक्सल प्रभावित क्षेत्र जगदलपुर के केंद्रीय जेल में 1351 कैदियों की क्षमता है, जबकि यहां 2454 कैदी बंद है, जिनमें कई हार्डकोर नक्सली भी शामिल हैं.
  • इसी तरह प्रदेश के दो अन्य केंद्रीय जेल दुर्ग और अंबिकापुर में भी क्षमता से अधिक कैदी मौजूद हैं.
  • दुर्ग में 1606 कैदियों की क्षमता वाली जेल में 1924 कैदी हैं.
  • अंबिकापुर में 1020 की क्षमता पर 2222 कैदी सजा काट रहे हैं.
Intro:रायपुर

छत्तीसगढ़ के सभी केंद्रीय जिलों में बंदियों की तादाद उनकी क्षमताओं से ज्यादा है थोड़ी बहुत ज्यादा नहीं बल्कि 2 से 3 गुना ज्यादा कैदी प्रदेश के पांच केंद्रीय जेल में बंद है।।
इनमें कई कुख्यात अपराधी भी शामिल है. ऐसे में जेलों की सुरक्षा के साथ ही यहां बंद कैदियों की सुरक्षा पर सवालिया निशान लग गए हैं

सरकार ने छत्तीसगढ़ के जेलो को सुधार गृह के तौर पर विकसित करने की बात कही थी,इसके तहत कैदियों को कारावास के दौरान समाज में एक अच्छे इंसान बनने की प्रेरणा देने के साथ ही उन्हें इस तरह का प्रशिक्षण दिया जाना था जिससे कि वह अपनी रोजी-रोटी अपनी मेहनत से चला सके।



Body:लेकिन क्षमता से ज्यादा तादाद होने के चलते शुद्ध सुधार ग्रह का सपना सिर्फ कागजों में सिमटी नजर आता है

आकड़ो की बात की जाए तो

रायपुर केंद्रीय जेल की क्षमता 1190 कैदियों की है इनमें 1110 पुरूष महज 80 महिलाओं की क्षमता है लेकिन अगस्त 2019 तक यहां 2948 कैदी सजा काट रहे थे।

यानी कि क्षमता से तीन गुना ज्यादा कैदी यहां बन्द है।

इसी तरह बिलासपुर केंद्रीय जेल की क्षमता 1540 कैदियों की है लेकिन यहां 3135 कैदी सजा काट रहे है।।


नक्सल प्रभावित क्षेत्र जगदलपुर के केंद्रीय जेल में 1351 कैदियों की क्षमता है जबकि यहां 2454 कैदी बंद है जिनमे कई हार्डकोर नक्सली भी शामिल है। जाहिर है क्षमता से अधिक कैदी होना यहां होना किसी अनहोनी की आशंका के साथ ही यहां रह रह3 कैदियों जीवन स्तर को प्रभावित कर रहा है।।


इसी तरह प्रदेश के दो अन्य केंद्रीय जेल दुर्ग और अंबिकापुर में भी क्षमता से अधिक कैदी मौजूद हैं

दुर्ग में 1606 कैदियों की क्षमता वाली जेल में 1924 कैदी है,
तो अम्बिकापुर में 1020 की क्षमता पर 2222 कैदी है।।




Conclusion:केंद्रीय जेलों में सरकार कई तरह के सुधार कार्य आयोजित करती है लेकिन क्षमता से ज्यादा कैदी होने के चलते पूरा लाभ नहीं मिल पाता है इस और कई बार ध्यान दिलाने के बावजूद जेलों की क्षमता बढ़ाने के बारे में सरकार उदासीन ही है

केंद्रीय जेलों के उलट जिला जेल और उप जेल की स्तिथि कुछ बेहतर नज़र आती है यहां क्षमता से ज्यादा कैदी वाले जेलो की सँख्या कम है वही कई ऐसे उप जेल है जहां क्षमता से कम कैदी बन्द है।।

अगर सही मायने में जेलो को सुधारगिरह के तैर पर आगे बढ़ाना है तो सरकार को यहां मौजूद जेलो की क्षमता को बढाने की ओर ध्यान देना होगा ।।

पिछले कुछ समय में प्रदेश के कुछ जेलो में हिंसात्मक गतिविधियों सामने आई है ,तो दंतेवाड़ा जेल ब्रेक जैसी घटनाओं को जेल महकमें जे करीब से देखा है।।


नोट wrap से अम्बिकापुर और दुर्ग सेंट्रल जेल के शार्ट भेजे है।


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