रायपुर: लॉकडाउन का सूखे मेवे के कारोबार पर खासा असर पड़ा है. एक तरफ जहां दाम में गिरावट दर्ज की गई है, तो वहीं खपत में भी भारी कमी आई है. जिससे सूखे मेवे का कारोबार काफी प्रभावित हुआ है.
ड्राई फ्रूट्स का बाजार पड़ा फीका
कोरोना और लॉकडाउन ने ऐसे सीजन में व्यापार बिगाड़ा है, जिस समय किसी भी वस्तु या सेवा की बहुत डिमांड होती है. मार्च, अप्रैल, मई शादियों का सीजन होता है. इसी के साथ मिठाईयां, आइसक्रीम, सूखे मेवे की भी खासी डिमांड रहती है. इस समय मिठाईयां, आइसक्रीम, सूखे मेवे की खासी मांग रहती है, लेकिन इस साल इन तीन महीनों में ना तो ठाठ-बाट से शादियां हुईं और ना ही भारी मात्रा में मिठाईयां ही बनीं. लॉकडाउन के दौरान आवश्यक सेवाओं को छोड़कर सभी दुकानें भी बंद रहीं. जिसका सबसे ज्यादा असर पड़ा सूखे मेवे की बिक्री पर. लॉकडाउन के कारण सूखे मेवे के कारोबार पर काफी असर पड़ा है.
15 से 20 फीसदी गिरे दाम
लगातार लॉकडाउन की वजह से सूखे मेवे के दामों में काफी गिरावट आई है. एक अनुमान के मुताबिक लॉकडाउन के बीच मेवे के दामों में लगभग 15 से 20 फीसदी तक गिरावट दर्ज की गई है, जो ग्राहकों के लिए अच्छी खबर है, क्योंकि सूखे मेवे खाने-पीने की चीजों का स्वाद तो बढ़ाते ही हैं, साथ ही ये शरीर के लिए आवश्यक पोषक तत्व भी प्रदान करते हैं.
100 से 200 रुपए प्रति किलो मेवे का गिरा दाम
दुकानदारों का मानना है कि लॉकडाउन में सूखे मेवे के दामों में काफी कमी आई है. अधिकतर सूखे मेवों के दामों में 100-200 रुपए प्रति किलो की गिरावट दर्ज की गई है. लॉकडाउन के पहले काजू हजार रुपए प्रति किलो था, वह अब 800 रुपए प्रति किलो हो गया है. बादाम 800 से 700 रुपए प्रति किलो हो गया है. लॉकडाउन के पहले 1100 रुपए प्रति किलो बिकने वाला पिस्ता अब लगभग 900 रुपए प्रति किलो बिक रहा है. अखरोट और अंजीर के दामों की बात की जाए, तो उनके दाम स्थिर बने हुए हैं. किशमिश 300 से 400 रुपए प्रति किलो बिक रही है.
25 फीसदी रहा मेवे का कारोबार
लॉकडाउन की वजह से मेवे की बिक्री पर खासा प्रभाव पड़ा है. इन सूखे मेवों की बिक्री काफी कम हो गई है. इसकी मुख्य वजह है होटल, रेस्टॉरेंट्स, मिठाई की दुकान का बंद होना और शादी-ब्याह का ना होना, क्योंकि इन जगहों पर ही सूखे मेवों की ज्यादा खपत होती थी. दुकानदारों का कहना है कि इस सबके बंद होने से सूखे मेवों की बिक्री अब सिर्फ 25 फीसदी ही रह गई है. हालांकि दुकानदारों को उम्मीद है कि अब उनके व्यापार में तेजी आएगी.
फुटकर ग्राहकों का क्या कहना
हालांकि ग्राहकों का कहना है कि वे थोड़ी मात्रा में काजू, किशमिश, बादाम ले जाते हैं, इसलिए उन्हें दाम का ज्यादा अंदाजा नहीं है. फिर भी लॉकडाउन में ऐसा नहीं लगता है कि सूखे मेवे के दामों में कोई बढ़ोतरी हुई है. कुछ ग्राहकों का मानना है कि दाम बढ़े हुए लग रहे हैं.
बता दें कि बादाम और किशमिश को छोड़कर दूसरे सूखे मेवों की तासीर गर्म होती है, इसलिए ये मेवे सर्दियों में ही अधिक खाए जाते हैं. गर्मियों में इनका इस्तेमाल मिठाईयों, आइसक्रीम उद्योग में ज्यादा होता है, लेकिन 3 महीने के लॉकडाउन के कारण गर्मी और शादी के सीजन में ना मिठाईयां बिकीं और ना ही आइसक्रीम. हालांकि अब उम्मीद की जा रही है कि अनलॉक के बाद मेवे का बाजार फिर से ऊपर चढ़ेगा.