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Pregnant Woman Dies: हमर अस्पताल में दो दिन तड़पती रही गर्भवती, नहीं कराई गई कोई जांच, हुई मौत

गुढ़ियारी के हमर अस्पताल की लापरवाही से गर्भवती महिला की मौत का मामला सामने आया है. परिवार के लोगों के साथ ही मितानिन समूह ने अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई की मांग उठाई है.

negligence of government hospital in Raipur
गुढ़ियारी के हमर अस्पताल
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Published : Jun 12, 2023, 11:13 PM IST

रायपुर: हमर अस्पताल गुढ़ियारी की बड़ी लापरवाही सामने आई है. दो दिन से तड़प रही गर्भवती की कोई जांच नहीं की गई, वहीं जब मामला बिगड़ गया तो निजी हाॅस्पिटल ले जाने के सलाह दी गई. सोमवार को सरकारी हाॅस्पिटल से निजी हाॅस्पिटल ले जाते समय गर्भवती महिला ने दम तोड़ दिया. हमर अस्पताल पर लापरवाही को आरोप लगाते हुए परिवार के लोग गुस्से में आ गए और मितानिन समूह के साथ मिलकर अस्पताल में नारेबाजी शुरू कर दी. मौके पर पहुंची पुलिस टीम ने मामला शांत कराने की कोशिश की, लेकिन परिवार के लोगों ने एक न सुनी. नारेबाजी कर रहे लोगों ने आरोपी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की.

negligence of government hospital in Raipur
अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ जमकर नारेबाजी

9 जून को हमर अस्पताल में भर्ती हुई थी गर्भवती: गर्भवती महिला को गुढ़ियारी के हमर अस्पताल में 9 जून को भर्ती कराया गया. डॉक्टर और नर्स को इस बात की जानकारी थी कि महिला काफी दर्द में है. बावजूद इसके स्वास्थ्य टीम ने न तो महिला की सोनोग्राफी कराई और न ही कोई जांच हुई. 2 दिन अस्पताल में बिना किसी जांच के गर्भवती तड़पती रही. हालत जब ज्यादा गंभीर हो गई तो अस्पताल प्रबंधन ने परिजनों को निजी अस्पताल ले जाने की सलाह दी.

एंबुलेंस की भी नहीं थी व्यवस्था: अस्पताल में एंबुलेंस की भी कोई व्यवस्था नहीं थी. गर्भवती महिला को ई रिक्शा से निजी अस्पताल ले जाया गया. अस्पताल पहुंचते ही गर्भवती महिला की मौत हो गई. इस पर नाराज परिवार वालों ने डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगाया.

बच्चे के गले में फंसी थी नाल: परिवार ने बताया कि "2 दिन तक हमर अस्पताल में गर्भवती महिला के पास इलाज के लिए कोई नहीं आया. बच्चे के गले में नाल भी फस गई थी. अस्पताल प्रबंधन ने गर्भवती को डॉक्टर भीमराव अंबेडकर स्मृति चिकित्सालय रेफर करने की जगह किसी निजी अस्पताल में ले जाने की सलाह दी."

सूरजपुर में मां और बच्चे की मौत का मामला, फॉरेंसिक और पुलिस की टीम ने की कार्रवाई
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जिला अस्पताल की पड़ताल: नवजात के साथ जमीन पर बैठे परिजन, नर्सरी इंचार्ज ने कहा- हमारी संस्कृति में है जमीन पर बैठना

दूसरे दिन दोपहर में आईं डाक्टर: परिवार के मुताबिक "पहले दिन जब गर्भवती को अस्पताल में भर्ती किया गया, तब दोपहर के वक्त सोनोग्राफी के लिए कहा गया. लेकिन अस्पताल की ओर से कहा गया कि अभी लाइट नहीं है. इसके बाद पूरा दिन और उसके दूसरे दिन भी गर्भवती के पास कोई भी इलाज करने नहीं पहुंचा. दोपहर 2 बजे के पहले डॉक्टर आईं और बच्चे के गले में नाल फंसे होने की जानकारी दी और ऑपरेशन करने की जरूरत बताई. इसके बाद वह चली गई और दोबारा आई ही नहीं. इसके बाद किसी दूसरे डॉक्टर ने स्थिति काफी गंभीर होने की बात कहते दूसरे अस्पताल जाने की सलाह दी."

एक ओर जहां स्वास्थ्य विभाग की ओर से स्वास्थ्य सेवा में लगातार सुधार की कवायद की जा रही है. ओपीडी की समय सारणी बदली जा रही है और डॉक्टर को कड़े निर्देश दिए जा रहे हैं. वहीं इन सब के बावजूद अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही सिस्टम पर सवाल खड़े करती है.

रायपुर: हमर अस्पताल गुढ़ियारी की बड़ी लापरवाही सामने आई है. दो दिन से तड़प रही गर्भवती की कोई जांच नहीं की गई, वहीं जब मामला बिगड़ गया तो निजी हाॅस्पिटल ले जाने के सलाह दी गई. सोमवार को सरकारी हाॅस्पिटल से निजी हाॅस्पिटल ले जाते समय गर्भवती महिला ने दम तोड़ दिया. हमर अस्पताल पर लापरवाही को आरोप लगाते हुए परिवार के लोग गुस्से में आ गए और मितानिन समूह के साथ मिलकर अस्पताल में नारेबाजी शुरू कर दी. मौके पर पहुंची पुलिस टीम ने मामला शांत कराने की कोशिश की, लेकिन परिवार के लोगों ने एक न सुनी. नारेबाजी कर रहे लोगों ने आरोपी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की.

negligence of government hospital in Raipur
अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ जमकर नारेबाजी

9 जून को हमर अस्पताल में भर्ती हुई थी गर्भवती: गर्भवती महिला को गुढ़ियारी के हमर अस्पताल में 9 जून को भर्ती कराया गया. डॉक्टर और नर्स को इस बात की जानकारी थी कि महिला काफी दर्द में है. बावजूद इसके स्वास्थ्य टीम ने न तो महिला की सोनोग्राफी कराई और न ही कोई जांच हुई. 2 दिन अस्पताल में बिना किसी जांच के गर्भवती तड़पती रही. हालत जब ज्यादा गंभीर हो गई तो अस्पताल प्रबंधन ने परिजनों को निजी अस्पताल ले जाने की सलाह दी.

एंबुलेंस की भी नहीं थी व्यवस्था: अस्पताल में एंबुलेंस की भी कोई व्यवस्था नहीं थी. गर्भवती महिला को ई रिक्शा से निजी अस्पताल ले जाया गया. अस्पताल पहुंचते ही गर्भवती महिला की मौत हो गई. इस पर नाराज परिवार वालों ने डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगाया.

बच्चे के गले में फंसी थी नाल: परिवार ने बताया कि "2 दिन तक हमर अस्पताल में गर्भवती महिला के पास इलाज के लिए कोई नहीं आया. बच्चे के गले में नाल भी फस गई थी. अस्पताल प्रबंधन ने गर्भवती को डॉक्टर भीमराव अंबेडकर स्मृति चिकित्सालय रेफर करने की जगह किसी निजी अस्पताल में ले जाने की सलाह दी."

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दूसरे दिन दोपहर में आईं डाक्टर: परिवार के मुताबिक "पहले दिन जब गर्भवती को अस्पताल में भर्ती किया गया, तब दोपहर के वक्त सोनोग्राफी के लिए कहा गया. लेकिन अस्पताल की ओर से कहा गया कि अभी लाइट नहीं है. इसके बाद पूरा दिन और उसके दूसरे दिन भी गर्भवती के पास कोई भी इलाज करने नहीं पहुंचा. दोपहर 2 बजे के पहले डॉक्टर आईं और बच्चे के गले में नाल फंसे होने की जानकारी दी और ऑपरेशन करने की जरूरत बताई. इसके बाद वह चली गई और दोबारा आई ही नहीं. इसके बाद किसी दूसरे डॉक्टर ने स्थिति काफी गंभीर होने की बात कहते दूसरे अस्पताल जाने की सलाह दी."

एक ओर जहां स्वास्थ्य विभाग की ओर से स्वास्थ्य सेवा में लगातार सुधार की कवायद की जा रही है. ओपीडी की समय सारणी बदली जा रही है और डॉक्टर को कड़े निर्देश दिए जा रहे हैं. वहीं इन सब के बावजूद अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही सिस्टम पर सवाल खड़े करती है.

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