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COVID-19: शव से संक्रमण का खतरा, किन सावधानियों के साथ किया जाता है कोरोना से मौत के बाद अंतिम संस्कार - Risk of infection after death from corona

कोरोना संक्रमण से मरने वालों की संख्या बढ़ रही है. ऐसे में एक बड़ा सवाल यह पैदा होता है कि क्या कोरोना संक्रमण इंसान की मौत के साथ ही खत्म हो जाता है, या फिर मरने का बाद भी शरीर में मौजूद रहता है. आज हम आपको बताएंगे कि कोरोना मरीज की मौत के बाद उसका अंतिम संस्कार कैसे और किन साविधानियों के साथ किया जाता है.

precautions thaken for death of corona patients
कोरोना से मौत के बाद ली जाने सावधानियां
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Published : Aug 6, 2020, 12:27 PM IST

रायपुर: कोरोना महामारी ने मानव समाज के सामने हर कदम पर एक नई समस्या खड़ी कर दी है. अब तक इस बीमारी का कोई इलाज नहीं मिल पाया है और न ही इसकी रोकथाम के लिए कोई वैक्सीन बनी है, इससे पीड़ित व्यक्ति का इलाज कर रहे डॉक्टर और नर्स भी खतरे के दायरे में होते हैं. इसकी भयावहता इससे पीड़ित आदमी की मौत के बाद भी पीछे नहीं छोड़ती. देश में कई जगह कोविड-19 से मौत के बाद शव का अंतिम संस्कार को लेकर अव्यवस्था की तस्वीर सामने आई है. छत्तीसगढ़ में कोरोना से किसी व्यक्ति की मौत के बाद उसका अंतिम संस्कार कैसे और किन साविधानियों के साथ किया जाता है इन सभी मुद्दों पर ETV भारत ने चर्चा की है.

कोरोना मरीज के अंतिम संस्कार के लिए बरती जाने वाली सावधानियां


पिछले एक महीने में छत्तीसगढ़ में कोविड-19 से पीड़ित लोगों की मौत के आंकड़े में तेजी से बढ़ोतरी हुई है. देखते ही देखते यह संख्या 50 के पार हो गई है. मरने वाले ज्यादातार लोग रायपुर से हैं. इससे पीड़ित व्यक्ति का इलाज कर रहे डॉक्टर और नर्स भी खतरे के दायरे में होते हैं. इसकी भयावहता इतनी ज्यादा है कि मरने के बाद भी ये पीछा नहीं छोड़ती.

पढ़ें: 'एक रक्षासूत्र मास्क का' मुहिम: रायगढ़ पुलिस ने बांटे 13 लाख मास्क, बना रिकॉर्ड

स्थानीय प्रशासन ने बताया कि कोरोना संक्रमण से मरने वाले लोगों के शवों का अंतिम संस्कार शहर के देवेंद्र नगर मुक्तिधाम में किया जाता है. करीब 10:30 बजे एक शव वाहन मुक्तिधाम में प्रवेश करता है और उसके पीछे एक दूसरे वाहन पर नायब तहसीलदार पहुंचते हैं. इसके तुरंत बाद शव को पूरे एतिहात के साथ वाहन से नीचे उतारकर आगे कि प्रक्रिया की जाती है. स्वास्थय विभाग का कहना है कि, इस काम में बहुत रिस्क है फिर भी वे अपने कर्तव्य से पीछे नहीं हट सकते और इस दौरान सुरक्षा मानकों का पूरी तरह से पालन करते हैं.

क्या हैं गाइडलाइंस

  • हवा से नहीं बारीक कणों के जरिए फैलता है कोरोना.
  • शव को हटाते समय पीपीई का प्रयोग बेहद जरूरी.
  • शव के किसी हिस्से में घाव हो या खून के रिसाव की आशंका हो तो उसे ढका जाए.
  • शव से किसी तरह का तरल पदार्थ ना रिसे.
  • परिवार को कुछ लोगों को ही होगी शव को देखने की अनुमति.
  • शव को ले जाने में इस्तेमाल हुए बैग और चादरों को भी करना होता है निष्क्रिय.
  • शव को दफनाने या जलाने के बाद खुद को सैनिटाइज करना जरूरी.
  • COVID-19 से संक्रमित शव की एम्बामिंग पर रोक.
  • अंतिम संस्कार की जगह पर कम से कम भीड़.
  • बिना शव को छुए होता है अंतिम संस्कार का कार्यक्रम.
  • शव दहन के बाद उठाया जा सकता है राख.


सेमी इलेक्ट्रिक मशीन से होता है अंतिम संस्कार

रायपुर में कोविड-19 से मरने वालों के शव का अंतिम संस्कार सेमी इलेक्ट्रिक मशीन से किया जाता है. इसमें थोड़ी लकड़ी लगती है और बॉडी इलेक्ट्रिक सिस्टम से डिस्पोज हो जाती है. इस मशीन से अंतिम संस्कार करने से संक्रमण की सभी संभावना पर विराम लग जाता है. वहां मौजूद स्टाफ का कहना है कि इस मशीन को एक बार इस्तेमाल करने के बाद कम से कम 7 से 8 घंटे बाद दोबारा उपयोग किया जा सकता है.

पढ़ें: सूरजपुर: 11 नए कोरोना संक्रमित मरीज मिले, लोगों में दहशत

बहुत कम संख्या में ही परिजनों को अनुमति

कोविड-19 से मारे जाने वाले लोगों को अंतिम विदाई देने उनके अपने ही बहुत मुश्किल से पहुंच पाते हैं और जो लोग आते भी हैं उन्हें दूर से ही प्लास्टिक कवर के अंदर से ही अंतिम दर्शन करा दिया जाता है. इस पूरी प्रक्रिया को प्रशासनिक अधिकारी अपनी देखरेख में कराते हैं. शव को दफनाने और जलाने दोनों ही तरीके सुरक्षित हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी इबोला के दौरान एक एडवाइजरी जारी की थी और कहा था कि मरने वाले संक्रमित व्यक्ति को दफना सकते हैं, लेकिन कुछ बचाव के उपाय करने होंगे. बता दें कि छत्तीसगढ़ में प्रशासन ने कोविड-19 से मारे गए लोगों के प्रति पूरी संवेदनशीलता के साथ शवों को डिस्पोज किया जाता है.

रायपुर: कोरोना महामारी ने मानव समाज के सामने हर कदम पर एक नई समस्या खड़ी कर दी है. अब तक इस बीमारी का कोई इलाज नहीं मिल पाया है और न ही इसकी रोकथाम के लिए कोई वैक्सीन बनी है, इससे पीड़ित व्यक्ति का इलाज कर रहे डॉक्टर और नर्स भी खतरे के दायरे में होते हैं. इसकी भयावहता इससे पीड़ित आदमी की मौत के बाद भी पीछे नहीं छोड़ती. देश में कई जगह कोविड-19 से मौत के बाद शव का अंतिम संस्कार को लेकर अव्यवस्था की तस्वीर सामने आई है. छत्तीसगढ़ में कोरोना से किसी व्यक्ति की मौत के बाद उसका अंतिम संस्कार कैसे और किन साविधानियों के साथ किया जाता है इन सभी मुद्दों पर ETV भारत ने चर्चा की है.

कोरोना मरीज के अंतिम संस्कार के लिए बरती जाने वाली सावधानियां


पिछले एक महीने में छत्तीसगढ़ में कोविड-19 से पीड़ित लोगों की मौत के आंकड़े में तेजी से बढ़ोतरी हुई है. देखते ही देखते यह संख्या 50 के पार हो गई है. मरने वाले ज्यादातार लोग रायपुर से हैं. इससे पीड़ित व्यक्ति का इलाज कर रहे डॉक्टर और नर्स भी खतरे के दायरे में होते हैं. इसकी भयावहता इतनी ज्यादा है कि मरने के बाद भी ये पीछा नहीं छोड़ती.

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स्थानीय प्रशासन ने बताया कि कोरोना संक्रमण से मरने वाले लोगों के शवों का अंतिम संस्कार शहर के देवेंद्र नगर मुक्तिधाम में किया जाता है. करीब 10:30 बजे एक शव वाहन मुक्तिधाम में प्रवेश करता है और उसके पीछे एक दूसरे वाहन पर नायब तहसीलदार पहुंचते हैं. इसके तुरंत बाद शव को पूरे एतिहात के साथ वाहन से नीचे उतारकर आगे कि प्रक्रिया की जाती है. स्वास्थय विभाग का कहना है कि, इस काम में बहुत रिस्क है फिर भी वे अपने कर्तव्य से पीछे नहीं हट सकते और इस दौरान सुरक्षा मानकों का पूरी तरह से पालन करते हैं.

क्या हैं गाइडलाइंस

  • हवा से नहीं बारीक कणों के जरिए फैलता है कोरोना.
  • शव को हटाते समय पीपीई का प्रयोग बेहद जरूरी.
  • शव के किसी हिस्से में घाव हो या खून के रिसाव की आशंका हो तो उसे ढका जाए.
  • शव से किसी तरह का तरल पदार्थ ना रिसे.
  • परिवार को कुछ लोगों को ही होगी शव को देखने की अनुमति.
  • शव को ले जाने में इस्तेमाल हुए बैग और चादरों को भी करना होता है निष्क्रिय.
  • शव को दफनाने या जलाने के बाद खुद को सैनिटाइज करना जरूरी.
  • COVID-19 से संक्रमित शव की एम्बामिंग पर रोक.
  • अंतिम संस्कार की जगह पर कम से कम भीड़.
  • बिना शव को छुए होता है अंतिम संस्कार का कार्यक्रम.
  • शव दहन के बाद उठाया जा सकता है राख.


सेमी इलेक्ट्रिक मशीन से होता है अंतिम संस्कार

रायपुर में कोविड-19 से मरने वालों के शव का अंतिम संस्कार सेमी इलेक्ट्रिक मशीन से किया जाता है. इसमें थोड़ी लकड़ी लगती है और बॉडी इलेक्ट्रिक सिस्टम से डिस्पोज हो जाती है. इस मशीन से अंतिम संस्कार करने से संक्रमण की सभी संभावना पर विराम लग जाता है. वहां मौजूद स्टाफ का कहना है कि इस मशीन को एक बार इस्तेमाल करने के बाद कम से कम 7 से 8 घंटे बाद दोबारा उपयोग किया जा सकता है.

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बहुत कम संख्या में ही परिजनों को अनुमति

कोविड-19 से मारे जाने वाले लोगों को अंतिम विदाई देने उनके अपने ही बहुत मुश्किल से पहुंच पाते हैं और जो लोग आते भी हैं उन्हें दूर से ही प्लास्टिक कवर के अंदर से ही अंतिम दर्शन करा दिया जाता है. इस पूरी प्रक्रिया को प्रशासनिक अधिकारी अपनी देखरेख में कराते हैं. शव को दफनाने और जलाने दोनों ही तरीके सुरक्षित हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी इबोला के दौरान एक एडवाइजरी जारी की थी और कहा था कि मरने वाले संक्रमित व्यक्ति को दफना सकते हैं, लेकिन कुछ बचाव के उपाय करने होंगे. बता दें कि छत्तीसगढ़ में प्रशासन ने कोविड-19 से मारे गए लोगों के प्रति पूरी संवेदनशीलता के साथ शवों को डिस्पोज किया जाता है.

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